परिचय
भारत सरकार ने 30 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को आधुनिक बनाने के लिए अन्न–चक्र (Anna-Chakra) सप्लाई चेन टूल लॉन्च किया है। यह डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉजिस्टिक्स लागत घटाने, पारदर्शिता बढ़ाने और पर्यावरणीय लक्ष्यों को समर्थन देने के लिए तैयार किया गया है। इस पहल से प्रति वर्ष लगभग ₹250 करोड़ की बचत और कार्बन उत्सर्जन में कमी की उम्मीद है।
Static GK तथ्य: भारत में PDS (Public Distribution System) की शुरुआत 1944 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान खाद्य संकट से निपटने के लिए हुई थी।
अन्न-चक्र क्या है
अन्न-चक्र एक लॉजिस्टिक्स ऑप्टिमाइज़ेशन टूल है, जिसे PDS में खाद्यान्न वितरण की दक्षता बढ़ाने के लिए बनाया गया है। यह डेटा-आधारित एल्गोरिद्म से गोडाउन से उचित मूल्य दुकानों तक सबसे किफायती मार्ग निर्धारित करता है।
इसके उपयोग से रूट प्लानिंग ऑटोमेटेड हो जाती है, जिससे ईंधन की खपत घटती है, बर्बादी कम होती है और समय पर राशन की डिलीवरी संभव होती है। यह प्रशासकों को रीयल–टाइम निर्णय लेने में भी मदद करता है।
राज्यों में कवरेज
अगस्त 2025 तक यह टूल 30 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में लागू हो चुका है, जिनमें पंजाब, तमिलनाडु, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और केरल शामिल हैं।
केवल मणिपुर में इसका कार्यान्वयन लंबित है।
Static GK टिप: भारत की PDS प्रणाली 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को कवर करती है और यह दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजना है।
मुख्य लाभ
लागत बचत
यह प्लेटफॉर्म ₹250 करोड़ सालाना बचत करता है, क्योंकि ट्रक लोडिंग और मार्ग का अनुकूलन करके परिवहन खर्च कम हो जाता है।
पर्यावरणीय लाभ
कम ईंधन खपत से CO2 उत्सर्जन घटता है, जो भारत के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप है।
आपूर्ति शृंखला में पारदर्शिता
डिजिटल डैशबोर्ड और प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स से सरकार अनाज की आवाजाही को ट्रैक कर सकती है, रिसाव का पता लगा सकती है और देरी पर निगरानी रख सकती है।
समय पर वितरण
विशेषकर दूरदराज़ और कठिन क्षेत्रों में राशन की तेज़ डिलीवरी सुनिश्चित होती है।
रणनीतिक महत्व
भारत का PDS नेटवर्क करोड़ों गरीब और कमजोर परिवारों को सहारा देता है। अन्न–चक्र अपनाने से राजकोषीय अनुशासन मजबूत, प्रशासनिक बोझ कम और कमजोर वर्गों के लिए खाद्य पहुँच बेहतर होती है।
Static GK तथ्य: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के तहत भारत की लगभग दो–तिहाई आबादी को सब्सिडी वाला खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है।
चुनौतियाँ
- मणिपुर में कार्यान्वयन क्षेत्रीय कारणों से विलंबित है।
- प्रशिक्षण कार्यक्रम अधिकारियों और ऑपरेटरों के लिए आवश्यक हैं।
- इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड दीर्घकालिक दक्षता हेतु जरूरी है।
आगे की राह
चरणबद्ध रणनीति, क्षमता निर्माण और समय-समय पर निगरानी से यह योजना और प्रभावी बनेगी। यदि पूरी तरह सफल हुई, तो अन्न–चक्र भारत के अन्य कल्याणकारी वितरण कार्यक्रमों के लिए भी मॉडल बन सकता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
टूल का नाम | अन्न–चक्र सप्लाई चेन ऑप्टिमाइजेशन टूल |
लागू राज्यों/UTs की संख्या | 30 (मणिपुर लंबित) |
वार्षिक बचत | ₹250 करोड़ |
मुख्य लाभ | लॉजिस्टिक्स दक्षता और ईंधन उपयोग में कमी |
पर्यावरणीय प्रभाव | कार्बन उत्सर्जन घटाना |
प्रमुख विशेषता | रूट ऑप्टिमाइजेशन और डिजिटल डैशबोर्ड |
PDS कवरेज | 80 करोड़ से अधिक लाभार्थी |
लॉन्च करने वाला | भारत सरकार |
संबंधित अधिनियम | राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 |
वैश्विक स्थिति | भारत – विश्व का सबसे बड़ा खाद्य सुरक्षा नेटवर्क |