मॉनसून के अनुमान में नई दिशा
सरकार ने खरीफ 2025 सीजन से पहले लोकल मॉनसून के शुरू होने का अनुमान बेहतर बनाने के लिए एक AI-इनेबल्ड पायलट लॉन्च किया है। इस पहल का मकसद किसानों के लिए सटीक और लोकल बारिश की सलाह देकर जल्दी फैसले लेने की क्षमता को मजबूत करना है।
स्टैटिक GK फैक्ट: भारत का दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आमतौर पर जुलाई के बीच तक पूरे देश को कवर कर लेता है, जिससे 50% से ज़्यादा फसल वाले इलाके पर असर पड़ता है।
मिला-जुला AI फ्रेमवर्क
एक मिला-जुला अनुमान फ्रेमवर्क पायलट का मुख्य हिस्सा था। इसमें गूगल का न्यूरलGCM, ECMWF का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फोरकास्टिंग सिस्टम और 125 साल का IMD बारिश का डेटा शामिल था। इस इंटीग्रेशन से संभावित अनुमान मिले, जिससे किसान बारिश के संभावित समय का अनुमान लगा सके और उसी के हिसाब से बुवाई का समय बदल सके।
स्टेटिक GK टिप: IMD 1875 में बना था और इसका हेडक्वार्टर नई दिल्ली में है।
कई राज्यों में फैलाना
अनुमान M-किसान पोर्टल के ज़रिए फैलाए गए, जिससे 13 राज्यों के 3.88 करोड़ किसानों को SMS एडवाइज़री भेजी गई। ज़्यादा लोगों तक पहुँचने के लिए अनुमान हिंदी, ओडिया, मराठी, बांग्ला और पंजाबी में शेयर किए गए। पायलट ने बिना किसी फाइनेंशियल मदद या सब्सिडी के सिर्फ़ अनुमान बताने पर ध्यान दिया।
किसानों के व्यवहार में बदलाव
मध्य प्रदेश और बिहार में किसान कॉल सेंटर के ज़रिए इकट्ठा किए गए सर्वे के जवाबों से पता चला कि 31–52% किसानों ने AI अनुमानों के आधार पर अपने फ़ैसले बदले। उन्होंने ज़मीन की तैयारी, बुवाई का समय, फसल चुनने और इनपुट के इस्तेमाल में बदलाव किया। यह व्यवहार में बदलाव खेत के लेवल पर क्लाइमेट रेजिलिएंस को मज़बूत करने के लिए AI टूल्स की क्षमता को दिखाता है।
स्टैटिक GK फैक्ट: किसानों को रियल-टाइम सलाह देने के लिए 2004 में किसान कॉल सेंटर (KCC) शुरू किए गए थे।
टेक-ड्रिवन खेती को मज़बूत करना
इस पहल को लोकसभा में कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने हाईलाइट किया, और क्लाइमेट-स्मार्ट खेती के लिए AI-ड्रिवन सलाह सिस्टम बनाने में इसकी क्षमता को माना। यह पायलट प्रोजेक्ट भारत के डिजिटल और डेटा-बेस्ड खेती में बदलाव की ओर बड़े पैमाने पर कदम उठाने के साथ मेल खाता है।
स्टैटिक GK टिप: खेती भारत की GDP में लगभग 15% का योगदान देती है, जबकि लगभग 50% वर्कफोर्स को सपोर्ट करती है।
भविष्य की मॉनसून स्ट्रैटेजी के लिए महत्व
स्थानीयकृत AI-बेस्ड अनुमान मौसम से जुड़ी अनिश्चितताओं को कम करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं जो बुवाई और पैदावार के नतीजों पर असर डालती हैं। ऐसे सिस्टम को बढ़ाकर, भारत क्लाइमेट चेंज के दौर में बदलते मॉनसून के लिए अपनी तैयारी बढ़ा सकता है। यह पायलट भविष्य के इनोवेशन के लिए एक टेम्पलेट का काम करता है जो गांव के लेवल पर अनुमान की सटीकता की कमी को पूरा कर सकता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| Topic | Detail |
| एआई पायलट उद्देश्य | खरीफ 2025 के लिए स्थानीय मानसून आगमन पूर्वानुमान में सुधार |
| उपयोग किए गए प्रमुख एआई मॉडल | NeuralGCM, ECMWF-AIFS, IMD के 125 वर्षों के वर्षा डेटा के साथ |
| पूर्वानुमान प्रकार | संभाव्य (probabilistic) स्थानीय मानसून आगमन प्रक्षेपण |
| किसान पहुँच | 13 राज्यों के 3.88 करोड़ किसान |
| प्रसारण माध्यम | M-Kisan SMS प्लेटफ़ॉर्म |
| उपयोग की गई भाषाएँ | हिंदी, ओड़िया, मराठी, बांग्ला, पंजाबी |
| सर्वेक्षण निष्कर्ष | 31–52% किसानों ने पूर्वानुमानों के आधार पर निर्णय बदले |
| सर्वेक्षित राज्य | मध्य प्रदेश और बिहार |
| मंत्रालय का बयान | लोकसभा में मंत्री रामनाथ ठाकुर द्वारा रेखांकित |
| व्यापक लक्ष्य | एआई-आधारित सलाह के माध्यम से जलवायु-स्मार्ट कृषि को समर्थन देना |





