एमआईटी शोधकर्ताओं की सफलता
एमआईटी के शोधकर्ताओं ने जनरेटिव एआई की मदद से बिल्कुल नई एंटीबायोटिक्स तैयार की हैं। ये दवाएं दवा-प्रतिरोधी नीसेरिया गोनोरिया (गोनोरिया का कारण) और मेथिसिलिन-प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस ऑरियस (MRSA) पर असरदार साबित हुई हैं। यह पहली बार है जब एआई ने खुद से ऐसे चिकित्सीय अणु बनाए हैं जो प्रकृति में पहले कभी नहीं पाए गए।
स्टैटिक जीके तथ्य: पहली आधुनिक एंटीबायोटिक पेनिसिलिन की खोज 1928 में अलेक्ज़ेंडर फ्लेमिंग ने की थी।
इस्तेमाल की गई कार्यप्रणाली
शोधकर्ताओं ने एआई एल्गोरिद्म का उपयोग करके 3.6 करोड़ काल्पनिक यौगिकों की स्क्रीनिंग की। कंप्यूटर मॉडल ने इनमें से अकार्यक्षम अणुओं को छांट दिया और ऐसे अणु चुने जो बैक्टीरिया की वृद्धि को रोक सकते थे।
स्टैटिक जीके टिप: कम्प्यूटेशनल दवा खोज बायोइन्फॉर्मेटिक्स का हिस्सा है, जो जीवविज्ञान, रसायन विज्ञान और कंप्यूटर विज्ञान को जोड़ता है।
इसका महत्व
दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया वैश्विक स्तर पर खतरा बन चुके हैं। नीसेरिया गोनोरिया अधिकांश मौजूदा दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो चुका है। इसी तरह, MRSA संक्रमण का इलाज पारंपरिक एंटीबायोटिक्स से कठिन है। एआई द्वारा डिज़ाइन की गई एंटीबायोटिक्स इन सुपरबग्स को नियंत्रित करने का एक नया रास्ता खोलती हैं और वैश्विक एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR) बोझ को कम करने में मदद कर सकती हैं।
स्टैटिक जीके तथ्य: 2019 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एएमआर को शीर्ष 10 वैश्विक स्वास्थ्य खतरों में शामिल किया।
व्यापक अनुप्रयोग
यह एआई प्रणाली माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस और अन्य रोगजनकों के खिलाफ भी दवाएं बना सकती है। चूंकि यह पूरी तरह नए रासायनिक ढाँचे तैयार करती है, इसलिए यह पारंपरिक दवा खोज की सीमाओं को पार कर जाती है। इससे जीवनरक्षक दवाओं के विकास की गति तेज हो सकती है।
स्टैटिक जीके टिप: क्षय रोग (टीबी) आज भी दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारियों में से एक है, जिससे हर साल लगभग 13 लाख मौतें होती हैं।
दवा खोज में एआई का भविष्य
यह उपलब्धि साबित करती है कि एआई सिर्फ सहायक नहीं बल्कि नई दवाओं का सृजनकर्ता भी बन चुका है। आने वाले समय में फार्मास्यूटिकल कंपनियां इसे एंटीवायरल और कैंसररोधी उपचारों में भी लागू कर सकती हैं। हालांकि अभी क्लिनिकल ट्रायल ज़रूरी हैं, लेकिन यह खोज बायोटेक्नोलॉजी और मेडिसिन में एक नए युग की शुरुआत है।
स्टैटिक जीके तथ्य: भारत दुनिया के सबसे बड़े जेनेरिक दवा उत्पादकों में से एक है और 200 से अधिक देशों को निर्यात करता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
शोध संस्थान | एमआईटी (मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) |
तकनीक | जनरेटिव एआई |
उत्पन्न यौगिक | 3.6 करोड़ काल्पनिक यौगिक |
लक्ष्य रोगजनक | नीसेरिया गोनोरिया, एमआरएसए |
मुख्य खतरा | एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR) |
व्यापक उपयोग | क्षय रोग (टीबी) के लिए दवा खोज |
पहली एंटीबायोटिक खोज | पेनिसिलिन (अलेक्ज़ेंडर फ्लेमिंग, 1928) |
वैश्विक स्वास्थ्य प्रभाव | WHO ने AMR को शीर्ष 10 खतरे में रखा |
एआई की विशेषता | पूरी तरह नए रासायनिक ढाँचे तैयार करता है |
भारत की भूमिका | जेनेरिक दवाओं का प्रमुख उत्पादक और निर्यातक |