भारत की नई विद्युत एकीकरण उपलब्धि
भारत सरकार ने अदाणी पावर के गोड्डा अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट को राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड से जोड़ने की मंज़ूरी दे दी है। झारखंड के गोड्डा ज़िले में स्थित यह 1,600 मेगावॉट की क्षमता वाला संयंत्र प्रारंभ में केवल बांग्लादेश को बिजली निर्यात करने के लिए बनाया गया था, लेकिन अब यह घरेलू मांग को भी पूरा करेगा। यह भारत की ऊर्जा निर्यात और ग्रिड रणनीति में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है।
स्थैतिक जीके तथ्य: गोड्डा ज़िला कोयले के भंडार से समृद्ध है, जिससे यह थर्मल पावर उत्पादन के लिए एक रणनीतिक स्थान बनता है।
गोड्डा पावर प्लांट की समझ
अदाणी पावर लिमिटेड (APL) द्वारा विकसित गोड्डा संयंत्र एक अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल कोयला आधारित बिजलीघर है, जिसे पारंपरिक थर्मल इकाइयों की तुलना में उच्च दक्षता और कम उत्सर्जन के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका मूल उद्देश्य बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति करना था।
2025 में विद्युत मंत्रालय ने नीति में संशोधन कर परियोजना को घरेलू इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS) में बिजली भेजने की अनुमति दी।
स्थैतिक जीके टिप: अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल तकनीक 600°C से अधिक तापमान पर कार्य करती है और पारंपरिक सबक्रिटिकल संयंत्रों की तुलना में अधिक दक्षता प्राप्त करती है।
LILO प्रणाली के माध्यम से ग्रिड कनेक्शन
कनेक्शन कहलgaon–मैथन B 400 kV ट्रांसमिशन लाइन पर लाइन-इन लाइन-आउट (LILO) कॉन्फ़िगरेशन द्वारा किया जाएगा। यह व्यवस्था विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 164 के तहत स्वीकृत की गई है, जिससे APL को भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 के समान अधिकार मिलते हैं।
यह रेखा गोड्डा और पोरेयाहाट तहसीलों के 56 गाँवों से होकर गुज़रेगी, और स्वीकृति 25 वर्षों के लिए मान्य होगी, बशर्ते संबंधित विभागों — रेलवे, नागरिक उड्डयन, रक्षा और पर्यावरण एवं वन्यजीव प्राधिकरणों — से अनुमति प्राप्त हो।
स्थैतिक जीके तथ्य: विद्युत अधिनियम 2003 ने पुराने बिजली कानूनों को एकीकृत किया ताकि दक्षता, प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ावा मिल सके।
नीतिगत महत्व और रणनीतिक प्रभाव
गोड्डा संयंत्र का राष्ट्रीय ग्रिड में समावेश एक नीतिगत मिसाल है — यह पहला मौका है जब किसी निजी निर्यात-उन्मुख परियोजना को राष्ट्रीय ट्रांसमिशन प्रणाली में जोड़ा गया है।
यह कदम ग्रिड की लचीलापन क्षमता बढ़ाता है, जिससे संयंत्र पीक डिमांड के समय घरेलू बिजली जरूरतों को पूरा कर सकेगा और आवश्यकता पड़ने पर निर्यात क्षमता भी बनाए रखेगा। इससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी, 1,600 मेगावॉट अतिरिक्त क्षमता जुड़ेगी और निजी निवेश वाली परियोजनाओं का संसाधन उपयोग दर बेहतर होगा।
स्थैतिक जीके टिप: 2025 में भारत की कुल स्थापित विद्युत क्षमता 440 गीगावॉट पार कर गई, जिसमें थर्मल ऊर्जा का योगदान 55% से अधिक है।
नियामक और नीतिगत संशोधन
इस द्वि-उद्देश्यीय मॉडल को सक्षम करने के लिए कई ढाँचों में संशोधन किए गए —
• विद्युत मंत्रालय (MoP): अगस्त 2024 में सीमा पार विद्युत व्यापार दिशानिर्देशों में संशोधन।
• केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA): सीमा पार बिजली प्रवाह की प्रक्रियाओं में सुधार।
• केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (CERC): जनरल नेटवर्क एक्सेस (GNA) और ISTS नियमों में संशोधन।
इन परिवर्तनों से निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन, भारत के ऊर्जा विविधीकरण लक्ष्यों को बल और क्षेत्रीय ऊर्जा सहयोग को सुदृढ़ता मिली है।
भारत की ऊर्जा व्यवस्था के लिए लाभ
इस एकीकरण से ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित, कम उपयोग वाली परिसंपत्तियों का बेहतर उपयोग, और निर्यात-आधारित राजस्व पर निर्भरता में कमी होगी। यह भारत को एक क्षेत्रीय ऊर्जा हब के रूप में स्थापित करेगा और भू-राजनीतिक जोखिमों से बचाव भी करेगा।
इस निर्णय के साथ भारत एक लचीले और सुदृढ़ ग्रिड सिस्टम की ओर अग्रसर है जो घरेलू मांग और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के बीच संतुलन बनाए रखेगा — यह भविष्य की ऊर्जा कूटनीति का एक मॉडल बन सकता है।
स्थैतिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| परियोजना का नाम | गोड्डा अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट |
| स्थान | गोड्डा ज़िला, झारखंड |
| क्षमता | 1,600 मेगावॉट |
| विकासकर्ता | अदाणी पावर लिमिटेड (APL) |
| कनेक्शन प्रकार | लाइन-इन लाइन-आउट (LILO) – कहलgaon–मैथन B 400 kV लाइन पर |
| कानूनी आधार | धारा 164, विद्युत अधिनियम 2003 |
| स्वीकृति अवधि | 25 वर्ष |
| नीतिगत संशोधन | MoP, CEA और CERC नियमों में संशोधन (2024–2025) |
| निर्यात साझेदार | बांग्लादेश |
| राष्ट्रीय प्रभाव | 1,600 मेगावॉट अतिरिक्त क्षमता, ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि |





