प्रौद्योगिकी के ज़रिए शासन में परिवर्तन
जून 2025 में भारत डिजिटल इंडिया पहल के 11 वर्ष पूरे कर रहा है—एक ऐसा मिशन जिसने शासन की जड़ तक पहुँच को बदल दिया। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई यह योजना केवल तकनीक या ऐप्स तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसका मूल उद्देश्य था कि सबसे गरीब नागरिक भी सरकारी सेवाओं तक बिना लाइन में लगे, बिना दलालों के पहुंच सके। आज इस डिजिटल संरचना ने पारदर्शी, तेज़ और सरल कल्याण वितरण प्रणाली का निर्माण किया है, जिससे गांवों के बुज़ुर्गों से लेकर शहरों के छात्रों तक सभी को फायदा हुआ है।
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर ने कल्याण वितरण को तेज़ किया
DBT प्रणाली डिजिटल इंडिया की सबसे असरदार उपलब्धियों में से है। इसके तहत सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेजा जाता है। अब तक ₹44 लाख करोड़ सीधे भेजे गए हैं, जिससे दलालों और लीक को रोका गया है। 56 मंत्रालयों की 322 योजनाएं DBT से जुड़ी हैं, और इससे ₹3.48 लाख करोड़ की बचत हुई है। बीते दशक में DBT का उपयोग 90 गुना बढ़ा है—यह सार्वजनिक वित्त में दक्षता की मिसाल है।
आधार: डिजिटल संरचना की रीढ़
140 करोड़ से अधिक भारतीयों को दिया गया आधार नंबर अब रोज़मर्रा की ज़रूरतों का हिस्सा बन गया है—चाहे वह बैंक खाता खोलना हो, सब्सिडी लेना हो या डिजिटल पहचान सत्यापन। अब तक 150 अरब से अधिक आधार आधारित लेनदेन हो चुके हैं, जो इसे विश्व की सबसे बड़ी डिजिटल पहचान प्रणाली बनाता है।
डिजीलॉकर: कागज़ रहित प्रमाणपत्र
डिजीलॉकर एक डिजिटल ब्रीफकेस की तरह है, जहां पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, शैक्षिक प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज़ डिजिटल रूप से सुरक्षित रहते हैं। 52 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता अब तक 852 करोड़ दस्तावेज़ एक्सेस कर चुके हैं। इससे कागज़ की बचत होती है और जीवन आसान बनता है—सरकारी संस्थान अब डिजिटल प्रमाणपत्र को वैध मानते हैं।
पेंशनर्स को राहत: जीवन प्रमाण
पहले वरिष्ठ नागरिकों को बैंक जाकर जीवन प्रमाण पत्र जमा करना पड़ता था। अब वे डिजिटल तरीके से प्रमाणपत्र अपलोड कर सकते हैं। 10 करोड़ से अधिक पेंशनर्स इस योजना से जुड़ चुके हैं। नवंबर 2024 से 143 लाख प्रमाणपत्र घर बैठे डिजिटल रूप से जमा हुए हैं, जिससे बुज़ुर्गों को बहुत राहत मिली है।
उमंग ऐप: एक मंच, हजारों सेवाएँ
UMANG ऐप ने 2,000 से अधिक सरकारी सेवाओं को एक मंच पर ला दिया है—पासपोर्ट आवेदन से लेकर बिजली बिल भुगतान और परीक्षा परिणाम देखने तक। अब तक 8.21 करोड़ उपयोगकर्ताओं ने 597 करोड़ से अधिक लेन–देन किए हैं, जो इसकी व्यापक लोकप्रियता को दर्शाता है।
ग्रामीण भारत का डिजिटल सशक्तिकरण
प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA) का लक्ष्य 6 करोड़ ग्रामीणों को डिजिटल रूप से साक्षर बनाना है। यह कार्यक्रम शहर और गांव के बीच की डिजिटल खाई को पाटने में मदद कर रहा है और फोन, ऐप्स और ऑनलाइन सेवाओं के उपयोग का प्रशिक्षण दे रहा है। यह भारत के संविधान के निर्देशक सिद्धांतों के अनुरूप समान अवसर का प्रसार है।
Static Usthadian Current Affairs Table
प्रमुख विषय | आँकड़े / जानकारी |
डिजिटल इंडिया की शुरुआत | वर्ष 2015 |
शुरुआत करने वाले पीएम | नरेंद्र मोदी |
कुल DBT राशि | ₹44 लाख करोड़ |
आधार धारक | 140+ करोड़ नागरिक |
डिजीलॉकर उपयोगकर्ता | 52 करोड़ |
UMANG ऐप सेवाएँ | 2,000+ |
ग्रामीण डिजिटल साक्षरता लक्ष्य | 6 करोड़ व्यक्ति |
जीवन प्रमाण से जुड़े पेंशनर्स | 10 करोड़+ |
आधार आधारित लेन-देन | 150 अरब+ |
DBT से जुड़ी योजनाएं | 322 योजनाएं, 56 मंत्रालयों के अंतर्गत |