जुलाई 20, 2025 12:46 पूर्वाह्न

कश्मीर में M4 कार्बाइन राइफल: बढ़ता हुआ सुरक्षा खतरा

करेंट अफेयर्स: कश्मीर में एम4 कार्बाइन राइफलें: बढ़ती सुरक्षा चिंता, एम4 कार्बाइन कश्मीर 2025, पहलगाम आतंकी हमला, अमेरिकी हथियार तालिबान, लश्कर-ए-तैयबा हथियार आपूर्ति, आईएसआई पाकिस्तान हथियार लिंक, कश्मीर सुरक्षा खतरा

M4 Carbine Rifles in Kashmir: A Growing Security Concern

M4 कार्बाइन: आधुनिक युद्ध के लिए बहुउपयोगी हथियार

M4 कार्बाइन एक कॉम्पैक्ट गैससंचालित राइफल है, जिसे आधुनिक युद्ध की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है। 1994 में अमेरिकी सेना द्वारा अपनाई गई यह राइफल, M16A2 का हल्का और छोटा संस्करण है। यह प्रति मिनट 700 से 950 राउंड फायर कर सकती है और इसकी प्रभावी सीमा 500 से 600 मीटर तक होती है। यही कारण है कि यह राइफल अब सैन्य बलों के साथसाथ आतंकवादी संगठनों के बीच भी लोकप्रिय होती जा रही है, विशेषकर कश्मीर में।

वैश्विक फैलाव और काले बाजार का खतरा

60 से अधिक देशों द्वारा उपयोग की जाने वाली M4 राइफल, अपनी पोर्टेबिलिटी और एडवांस्ड अटैचमेंट्स के कारण व्यापक रूप से तैनात की जाती है। लेकिन इसकी प्रभावशीलता के लिए प्रशिक्षण और रखरखाव आवश्यक होता है, इसलिए जब यह अनियमित क्षेत्रों में दिखाई देती है, तो यह अंतरराष्ट्रीय हथियार नियंत्रण के उल्लंघन का संकेत देती है। आजकल दक्षिण एशिया में सक्रिय आतंकवादी संगठनों तक काले बाजार के माध्यम से इसकी पहुंच बढ़ती जा रही है।

तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद का प्रभाव

2021 में अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी ने वहां छोड़े गए अमेरिकी हथियारों को काले बाजार में उपलब्ध करवा दिया। इनमें हजारों M4 कार्बाइन राइफलें भी थीं। ये अब पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों तक पहुंच रही हैं, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा में भारी गिरावट आई है। इन उन्नत हथियारों की आपूर्ति ने आतंकियों की मारक क्षमता को सैन्य स्तर तक पहुंचा दिया है।

कश्मीर घाटी में बढ़ता उपयोग

2017 से कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान M4 राइफलें जब्त की गई हैं। हाल की पहलगाम आतंकी घटना में, आतंकवादियों ने AK-47 के साथ M4 कार्बाइन का भी इस्तेमाल किया। यह दिखाता है कि आतंकी संगठनों की रणनीतिक क्षमता, हथियारों की आपूर्ति और लॉजिस्टिक्स अब कहीं अधिक संगठित और ख़तरनाक हो गई है।

खुफिया जानकारी और ISI की भूमिका

भारतीय खुफिया एजेंसियों ने लश्करतैयबा जैसे संगठनों को अंतरराष्ट्रीय हथियार तस्करों से M4 खरीदते हुए चिह्नित किया है। रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI इस अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त को गुप्त रूप से संचालित कर रही है। यह न सिर्फ हथियार नियंत्रण प्रणालियों की असफलता को दर्शाता है, बल्कि सीमा पार आतंकवाद के सशस्त्रीकरण की गंभीरता को भी उजागर करता है।

भारत के लिए रणनीतिक संकेत

M4 जैसे उन्नत हथियारों का आतंकवादियों के पास पहुंचना, भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि आतंकवाद अब सिर्फ घातक ही नहीं, बल्कि तकनीकी रूप से भी सक्षम होता जा रहा है। ऐसे में भारत को सीमा सुरक्षा, हथियारों की निगरानी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को और अधिक सशक्त बनाना होगा ताकि इस बढ़ते खतरे को नियंत्रित किया जा सके

स्थैतिक सामान्य ज्ञान सारांश (STATIC GK SNAPSHOT)

विषय विवरण
चर्चा में हथियार M4 कार्बाइन
फायरिंग क्षमता 700–950 राउंड/मिनट
प्रभावी सीमा 500–600 मीटर
अधिकतम सीमा 3,600 मीटर
पहली बार परिचय 1994 (अमेरिकी सेना द्वारा)
कश्मीर में उपयोग 2017 से, आतंकी मुठभेड़ों में नियमित रूप से पाया गया
संलिप्त आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, ISI समर्थित आतंकी गुट
हथियारों का स्रोत काला बाजार (अफगानिस्तान से अमेरिकी वापसी के बाद)
सुरक्षा प्रभाव आतंकियों की मारक क्षमता में वृद्धि, भारतीय आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा

 

M4 Carbine Rifles in Kashmir: A Growing Security Concern
  1. M4 कार्बाइन एक कॉम्पैक्ट, गैस-संचालित असॉल्ट राइफल है जो आधुनिक युद्धों में व्यापक रूप से उपयोग की जाती है।
  2. इसे 1994 में अमेरिकी सेना द्वारा M16A2 का हल्का संस्करण बनाकर पेश किया गया था।
  3. यह राइफल प्रति मिनट 700–950 राउंड फायर करती है और 600 मीटर तक प्रभावी रेंज रखती है।
  4. 60 से अधिक देशों ने इसके रणनीतिक उपयोग को देखते हुए इसे अपनाया है।
  5. काले बाजार के माध्यम से यह राइफल आतंकी संगठनों के हाथों में पहुँच रही है।
  6. 2021 में अमेरिका के अफगानिस्तान से बाहर निकलने के बाद, हजारों M4 राइफलें पीछे छूट गईं।
  7. अब ये राइफलें दक्षिण एशिया में हथियार तस्करों के जरिये घूम रही हैं।
  8. लश्करतैयबा जैसे आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर में इन राइफलों का प्रयोग कर रहे हैं।
  9. हालिया पहलगाम आतंकी हमले में M4 और AK-47 दोनों राइफलें इस्तेमाल की गईं।
  10. M4 का इस्तेमाल आतंकी समूहों की रणनीतिक क्षमताओं में वृद्धि को दर्शाता है।
  11. भारतीय खुफिया एजेंसियों को संदेह है कि इसमें ISI की भूमिका है।
  12. ISI समर्थित आतंकवादी समूह, M4 राइफलें अंतरराष्ट्रीय काले बाजार से हासिल कर रहे हैं।
  13. यह प्रवृत्ति क्षेत्रीय हथियार नियंत्रण की विफलता को उजागर करती है।
  14. 2017 से, कश्मीर में आतंक विरोधी अभियानों में M4 राइफलें बरामद की गई हैं।
  15. M4 की ऊँची फायरिंग रेट और रेंज, आतंकी हमलों की घातकता बढ़ाती है
  16. ये हथियार भारतीय सुरक्षा बलों और नागरिकों दोनों के लिए खतरा बन चुके हैं।
  17. यह प्रवृत्ति सीमा पार आतंकवाद के बढ़ने का संकेत है।
  18. सीमा निगरानी और हथियार ट्रैकिंग सिस्टम को और मजबूत करने की ज़रूरत है।
  19. अवैध हथियार व्यापार को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है।
  20. उन्नत आतंकी हथियारों का मुकाबला करने के लिए भारत को रणनीतिक तैयारियाँ मजबूत करनी होंगी।

Q1. M4 कार्बाइन की प्रभावी फायरिंग रेंज क्या है?


Q2. कश्मीर में किस आतंकवादी संगठन द्वारा M4 कार्बाइन के इस्तेमाल की सूचना है?


Q3. M4 कार्बाइन दक्षिण एशिया में आतंकवादी समूहों तक कैसे पहुंचे?


Q4. भारतीय बलों ने पहली बार कब कश्मीर में M4 कार्बाइन जब्त करना शुरू किया?


Q5. किस विदेशी एजेंसी पर आतंकवादियों को M4 ट्रांसफर कराने का संदेह है?


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Daily Current Affairs April 27

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