जुलाई 19, 2025 1:21 पूर्वाह्न

सरोगेसी में कानूनी बाधाएं: एकल महिला की याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला

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Legal Barriers in Surrogacy: Bombay High Court's Ruling on Single Woman’s Petition

बॉम्बे हाई कोर्ट का एकल महिला सरोगेसी पर रुख

बॉम्बे हाई कोर्ट ने अप्रैल 2025 में एक 38 वर्षीय तलाकशुदा महिला की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने सरोगेसी के माध्यम से मां बनने की अनुमति मांगी थी।
कोर्ट ने सरोगेसी (नियमन) अधिनियम, 2021 की धारा 4 का हवाला देते हुए कहा कि जिन व्यक्तियों के पास जीवित संतान है, वे सरोगेसी का विकल्प नहीं चुन सकते।
कोर्ट ने चेताया कि यदि इस तरह के अपवादों की अनुमति दी जाए, तो यह व्यावसायिक सरोगेसी का रास्ता खोल सकता है, जिससे कानून की भावना कमजोर हो सकती है।
याचिकाकर्ता को अब संविधानिक व्याख्या के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्देश दिया गया है।

सरोगेसी क्या है और इसके कानूनी प्रकार

सरोगेसी एक प्रजनन व्यवस्था है जिसमें एक महिला (सरोगेट मां) किसी अन्य दंपति या महिला के लिए गर्भधारण करती है।
सरोगेसी कानून दो प्रकार की सरोगेसी को परिभाषित करता है:

  • परोपकारी सरोगेसी (Altruistic): केवल चिकित्सा और बीमा लागत की प्रतिपूर्ति अनुमत।
  • व्यावसायिक सरोगेसी (Commercial): आर्थिक लाभ हेतु की जाने वाली सरोगेसी, पूरी तरह से निषिद्ध

सरोगेसी (नियमन) अधिनियम, 2021 को शोषण रोकने और नैतिकता बनाए रखने के लिए लाया गया था।

भारत में कौन सरोगेसी का विकल्प चुन सकता है?

इस कानून के अनुसार:

  • इच्छुक दंपति (Intending Couple): कानूनी रूप से विवाहित पुरुष और महिला, जिन्हें चिकित्सकीय रूप से बांझपन प्रमाणित हो।
  • महिला की आयु: 25 से 50 वर्ष और पुरुष की आयु: 26 से 55 वर्ष होनी चाहिए।
  • उनके पास कोई जीवित संतान (जैविक/गोद ली/सरोगेसी से) नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा, अधिनियम की धारा 2(s) के अनुसार,

  • इच्छुक महिला (Intending Woman) एक तलाकशुदा या विधवा भारतीय महिला हो सकती है, जिसकी आयु 35–45 वर्ष हो, और जिसके पास कोई संतान हो

लेकिन धारा 4 के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि जीवित संतान वाले व्यक्ति सरोगेसी नहीं करवा सकते, जिससे याचिकाकर्ता अयोग्य ठहराई गई।

व्यावसायिक शोषण की चिंता

कोर्ट ने कहा कि यदि तलाकशुदा या एकल महिलाओं को, जिनके पास जीवित संतान है, सरोगेसी की अनुमति दी जाए, तो यह कानून के तहत सरोगेसी को बाजार आधारित सेवा में बदल सकता है।
इससे पालनपोषण, उत्तराधिकार और कानूनी संरक्षकता में भी जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।

व्यापक असर और भविष्य की कानूनी दिशा

यह मामला प्रजनन अधिकार बनाम नियामक नियंत्रण की बहस को गहरा करता है।
अब यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में जाएगी, जिससे यह संभावित है कि कोर्ट इस कानून की संविधानिक व्याख्या कर सकता है।
यदि सुप्रीम कोर्ट ने व्यापक दृष्टिकोण अपनाया, तो 2021 कानून में संशोधन और एकल महिलाओं के अधिकारों का पुनः निर्धारण हो सकता है।

स्थैतिक सामान्य ज्ञान झलक (STATIC GK SNAPSHOT)

विषय विवरण
लागू अधिनियम सरोगेसी (नियमन) अधिनियम, 2021
उद्देश्य व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध; नैतिक सरोगेसी को अनुमति
सरोगेसी के प्रकार परोपकारी (अनुमति), व्यावसायिक (प्रतिबंधित)
इच्छुक महिला की परिभाषा तलाकशुदा/विधवा भारतीय महिला (35–45 वर्ष)
धारा 4 की मुख्य शर्त जीवित संतान वाले सरोगेसी नहीं कर सकते
कोर्ट का निर्णय आवेदन अवैध घोषित, सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह
सरोगेसी विधेयक का इतिहास पहली बार 2008 में प्रस्तावित; 2021 में पारित
वैध आयु सीमा (जोड़े हेतु) महिला: 25–50 वर्ष, पुरुष: 26–55 वर्ष
ऐतिहासिक मामला धारा 4 के तहत तलाकशुदा महिला का पहला मामला
Legal Barriers in Surrogacy: Bombay High Court's Ruling on Single Woman’s Petition
  1. बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक तलाकशुदा महिला की सरोगेसी के लिए दायर याचिका खारिज कर दी।
  2. मामला सरोगेसी अधिनियम, 2021 की धारा 4 पर आधारित था, जो संतान वाले व्यक्ति को सरोगेसी से रोकता है
  3. 38 वर्षीय महिला को अधिनियम के प्रतिबंधों के अनुसार अयोग्य माना गया
  4. कोर्ट ने महिला को संविधानिक व्याख्या के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्देश दिया।
  5. सरोगेसी की कानूनी परिभाषा: जब एक महिला किसी अन्य व्यक्ति या दंपती के लिए शिशु को गर्भ में धारण करती है
  6. अधिनियम के अनुसार केवल निःस्वार्थ सरोगेसी की अनुमति है, व्यावसायिक सरोगेसी पूरी तरह प्रतिबंधित है।
  7. निःस्वार्थ सरोगेसी में केवल चिकित्सा और बीमा खर्चों की प्रतिपूर्ति की जाती है।
  8. धारा 2(s) के अनुसार, इच्छुक महिला को तलाकशुदा या विधवा, उम्र 35–45 और संतानहीन होना चाहिए।
  9. सरोगेसी के लिए युगलों की आयु सीमा: महिला (25–50 वर्ष), पुरुष (26–55 वर्ष)।
  10. यह कानून शोषण रोकने और नैतिक सरोगेसी प्रक्रिया बनाए रखने हेतु बनाया गया था।
  11. अदालत ने कहा, यदि अपवादों की अनुमति दी जाए तो व्यावसायीकरण और अभिरक्षा विवाद बढ़ सकते हैं।
  12. यह अधिनियम 2008 में प्रस्तावित हुआ और 2021 में संसद द्वारा पारित किया गया।
  13. यह पहला मामला है जिसमें धारा 4 के तहत एक तलाकशुदा महिला को, जीवित संतान के बावजूद, सरोगेसी की अनुमति नहीं दी गई
  14. इस निर्णय ने कठोर पात्रता मानदंडों और प्रजनन स्वतंत्रता पर सीमाओं को दोहराया।
  15. आलोचकों का कहना है कि अधिनियम को नैतिकता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है।
  16. याचिकाकर्ता का सुप्रीम कोर्ट जाना, संवैधानिक अधिकारों पर बहस की शुरुआत कर सकता है
  17. अधिवक्ता एकल महिलाओं के अधिकारों को मान्यता देने वाला समावेशी सरोगेसी कानून चाहते हैं।
  18. यह मामला व्यक्तिगत अधिकारों और वैधानिक सीमाओं के बीच टकराव को उजागर करता है।
  19. वर्तमान कानून के तहत कोई भी तलाकशुदा महिला, यदि उसकी कोई संतान जीवित है, सरोगेसी की पात्र नहीं है
  20. कानूनी सुधारकों का कहना है कि प्रजनन अधिकारों की अधिक मानवीय व्याख्या की आवश्यकता है।

Q1. सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 की धारा 4 के तहत किसे सरोगेसी का लाभ लेने से रोका गया है?


Q2. भारत के 2021 के कानून के तहत किस प्रकार की सरोगेसी को वैध माना गया है?


Q3. अधिनियम के अनुसार ‘इच्छुक महिला’ के लिए पात्र आयु सीमा क्या है?


Q4. बॉम्बे हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को क्या निर्देश दिया?


Q5. धारा 4 में अपवाद की अनुमति न देने को लेकर अदालत ने क्या प्रमुख चिंता व्यक्त की?


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