बॉम्बे हाई कोर्ट का एकल महिला सरोगेसी पर रुख
बॉम्बे हाई कोर्ट ने अप्रैल 2025 में एक 38 वर्षीय तलाकशुदा महिला की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने सरोगेसी के माध्यम से मां बनने की अनुमति मांगी थी।
कोर्ट ने सरोगेसी (नियमन) अधिनियम, 2021 की धारा 4 का हवाला देते हुए कहा कि जिन व्यक्तियों के पास जीवित संतान है, वे सरोगेसी का विकल्प नहीं चुन सकते।
कोर्ट ने चेताया कि यदि इस तरह के अपवादों की अनुमति दी जाए, तो यह व्यावसायिक सरोगेसी का रास्ता खोल सकता है, जिससे कानून की भावना कमजोर हो सकती है।
याचिकाकर्ता को अब संविधानिक व्याख्या के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्देश दिया गया है।
सरोगेसी क्या है और इसके कानूनी प्रकार
सरोगेसी एक प्रजनन व्यवस्था है जिसमें एक महिला (सरोगेट मां) किसी अन्य दंपति या महिला के लिए गर्भधारण करती है।
सरोगेसी कानून दो प्रकार की सरोगेसी को परिभाषित करता है:
- परोपकारी सरोगेसी (Altruistic): केवल चिकित्सा और बीमा लागत की प्रतिपूर्ति अनुमत।
- व्यावसायिक सरोगेसी (Commercial): आर्थिक लाभ हेतु की जाने वाली सरोगेसी, पूरी तरह से निषिद्ध।
सरोगेसी (नियमन) अधिनियम, 2021 को शोषण रोकने और नैतिकता बनाए रखने के लिए लाया गया था।
भारत में कौन सरोगेसी का विकल्प चुन सकता है?
इस कानून के अनुसार:
- इच्छुक दंपति (Intending Couple): कानूनी रूप से विवाहित पुरुष और महिला, जिन्हें चिकित्सकीय रूप से बांझपन प्रमाणित हो।
- महिला की आयु: 25 से 50 वर्ष और पुरुष की आयु: 26 से 55 वर्ष होनी चाहिए।
- उनके पास कोई जीवित संतान (जैविक/गोद ली/सरोगेसी से) नहीं होनी चाहिए।
इसके अलावा, अधिनियम की धारा 2(s) के अनुसार,
- इच्छुक महिला (Intending Woman) एक तलाकशुदा या विधवा भारतीय महिला हो सकती है, जिसकी आयु 35–45 वर्ष हो, और जिसके पास कोई संतान न हो।
लेकिन धारा 4 के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि जीवित संतान वाले व्यक्ति सरोगेसी नहीं करवा सकते, जिससे याचिकाकर्ता अयोग्य ठहराई गई।
व्यावसायिक शोषण की चिंता
कोर्ट ने कहा कि यदि तलाकशुदा या एकल महिलाओं को, जिनके पास जीवित संतान है, सरोगेसी की अनुमति दी जाए, तो यह कानून के तहत सरोगेसी को “बाजार आधारित सेवा“ में बदल सकता है।
इससे पालन–पोषण, उत्तराधिकार और कानूनी संरक्षकता में भी जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।
व्यापक असर और भविष्य की कानूनी दिशा
यह मामला प्रजनन अधिकार बनाम नियामक नियंत्रण की बहस को गहरा करता है।
अब यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में जाएगी, जिससे यह संभावित है कि कोर्ट इस कानून की संविधानिक व्याख्या कर सकता है।
यदि सुप्रीम कोर्ट ने व्यापक दृष्टिकोण अपनाया, तो 2021 कानून में संशोधन और एकल महिलाओं के अधिकारों का पुनः निर्धारण हो सकता है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान झलक (STATIC GK SNAPSHOT)
विषय | विवरण |
लागू अधिनियम | सरोगेसी (नियमन) अधिनियम, 2021 |
उद्देश्य | व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध; नैतिक सरोगेसी को अनुमति |
सरोगेसी के प्रकार | परोपकारी (अनुमति), व्यावसायिक (प्रतिबंधित) |
इच्छुक महिला की परिभाषा | तलाकशुदा/विधवा भारतीय महिला (35–45 वर्ष) |
धारा 4 की मुख्य शर्त | जीवित संतान वाले सरोगेसी नहीं कर सकते |
कोर्ट का निर्णय | आवेदन अवैध घोषित, सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह |
सरोगेसी विधेयक का इतिहास | पहली बार 2008 में प्रस्तावित; 2021 में पारित |
वैध आयु सीमा (जोड़े हेतु) | महिला: 25–50 वर्ष, पुरुष: 26–55 वर्ष |
ऐतिहासिक मामला | धारा 4 के तहत तलाकशुदा महिला का पहला मामला |