क्लोरपाइरीफॉस: स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी के लिए खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा “मध्यम रूप से खतरनाक“ घोषित क्लोरपाइरीफॉस भारत में अब भी उपयोग में है, जबकि यह 40 से अधिक देशों में प्रतिबंधित है।
यह कीटनाशक गर्भस्थ शिशुओं के मस्तिष्क को क्षति, प्रजनन तंत्र पर प्रभाव, और जल एवं वायु के माध्यम से व्यापक प्रदूषण फैलाने के लिए जाना जाता है।
इसके हानिकारक प्रभावों को देखते हुए वैज्ञानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे वैश्विक स्तर पर पूर्ण प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे हैं।
वैश्विक दबाव और नियमन की मांग
BRS कन्वेंशन के 2025 सम्मेलन (COPs) से पहले, क्लोरपाइरीफॉस पर वैश्विक प्रतिबंध को लेकर दबाव बढ़ रहा है।
PAN इंडिया जैसे संगठन इसे रॉटरडैम कन्वेंशन के अनुच्छेद III में शामिल करवाने की मांग कर रहे हैं, जिससे इसके अंतरराष्ट्रीय व्यापार से पहले पूर्व–सूचित सहमति (PIC) अनिवार्य होगी।
साथ ही इसे स्टॉकहोम कन्वेंशन के अनुच्छेद A में शामिल कर, इसका पूर्ण वैश्विक प्रतिबंध सुनिश्चित करने की मांग भी हो रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इसके स्थायी और सुरक्षित विकल्प पहले से उपलब्ध हैं, अतः क्लोरपाइरीफॉस का उपयोग अब अनावश्यक और खतरनाक है।
भारत में घरेलू उपयोग और नीतिगत खामियाँ
भारत में क्लोरपाइरीफॉस 18 फसलों पर कानूनी रूप से स्वीकृत है।
लेकिन अवैध और अनियमित उपयोग भी सामने आया है, जिससे यह साबित होता है कि नियामक प्रणाली कमजोर और अनुपालन की दर कम है।
पैराक़्वाट जैसे अन्य खतरनाक कीटनाशकों का भी इसी तरह उपयोग हो रहा है।
PAN इंडिया और अन्य संगठनों ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि वह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अपनी नीति बनाएं और सुरक्षित कृषि मॉडल को अपनाएं।
BRS कन्वेंशन की भूमिका
BRS कन्वेंशन वैश्विक रासायनिक सुरक्षा की आधारशिला हैं:
- बेसल कन्वेंशन (1992): खतरनाक कचरे के सीमापार निर्यात को नियंत्रित करता है।
- रॉटरडैम कन्वेंशन (2004): खतरनाक रसायनों के व्यापार हेतु पूर्व–सूचित सहमति (PIC) प्रक्रिया लागू करता है।
- स्टॉकहोम कन्वेंशन: Persistent Organic Pollutants (POPs) को नियंत्रित करता है, जो पर्यावरण में लंबे समय तक रहते हैं और जैविक तंत्र में एकत्रित हो जाते हैं।
ये तीनों मिलकर वैश्विक रासायनिक प्रबंधन और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं।
भारत के लिए एक निर्णायक मोड़
BRS COP 2025 (जेनेवा) के निकट आते हुए, भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह ग्लोबली प्रतिबंधित रसायनों के उपयोग को समाप्त करे।
विश्व स्तर पर 568 कीटनाशक तत्व पहले ही प्रतिबंधित हो चुके हैं।
इसलिए भारत को चाहिए कि वह क्लोरपाइरीफॉस का चरणबद्ध निष्कासन, वैकल्पिक तकनीकों का उपयोग, और अंतरराष्ट्रीय संधियों के अनुरूप कृषि नीति को अपनाए।
यह क्षण भारत की रासायनिक सुरक्षा और सतत कृषि नीति को पुनः परिभाषित करने का अवसर बन सकता है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान झलक (STATIC GK SNAPSHOT)
विषय | विवरण |
रसायन केंद्र में | क्लोरपाइरीफॉस |
WHO वर्गीकरण | मध्यम रूप से खतरनाक |
भारत में उपयोग | 18 फसलों पर अनुमत |
स्वास्थ्य प्रभाव | तंत्रिका क्षति, भ्रूण मस्तिष्क विकास में बाधा, प्रजनन संकट |
प्रमुख संगठन | PAN इंडिया |
प्रतिबंध हेतु प्रमुख संधियाँ | स्टॉकहोम कन्वेंशन (अनुच्छेद A), रॉटरडैम कन्वेंशन (अनुच्छेद III) |
बेसल कन्वेंशन | खतरनाक कचरे की सीमा पार आवाजाही नियंत्रित करता है (1992 से) |
रॉटरडैम कन्वेंशन | PIC प्रक्रिया लागू करता है (2004 से) |
स्टॉकहोम कन्वेंशन | Persistent Organic Pollutants (POPs) नियंत्रित करता है |
COP 2025 स्थान | जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड |