आत्महत्या दर में राष्ट्रीय स्तर पर तेज गिरावट
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) 2021 के आंकड़ों पर आधारित The Lancet में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 1990 से 2021 के बीच आत्महत्या दर में 30% की गिरावट दर्ज की गई है। आत्महत्या दर 18.9 प्रति लाख से घटकर 13 प्रति लाख हो गई है। यह मानसिक स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार और जन-जागरूकता की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। महिलाओं में यह गिरावट विशेष रूप से अधिक रही है, जो यह दर्शाता है कि लैंगिक आधारित मानसिक स्वास्थ्य पहलों ने प्रभाव डाला है।
लिंग आधारित अंतर और जोखिम पैटर्न
महिलाओं के बीच आत्महत्या दर 1990 में 16.8 से घटकर 2021 में 10.3 प्रति लाख हो गई, जबकि पुरुषों में 20.9 से 15.7 प्रति लाख की गिरावट देखी गई।
हालांकि, 2020 में शिक्षित महिलाएं उच्च जोखिम समूह के रूप में उभरीं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मानसिक स्वास्थ्य नीतियों को और अधिक लक्षित बनाए जाने की आवश्यकता है। आत्महत्याओं के सबसे सामान्य कारणों में घरेलू तनाव और पारिवारिक दबाव शामिल हैं।
मानसिक स्वास्थ्य कानून और रणनीतिक उपाय
मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 भारत में आत्महत्या रोकथाम का एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ, जिसने आत्महत्या प्रयासों को अपराध की श्रेणी से हटाकर पुनर्वास और देखभाल की दिशा में केंद्रित किया। इसके बाद राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति 2022 अपनाई गई, जिसमें 2030 तक आत्महत्या दर में 10% कमी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह योजना WHO की 2013–2030 मानसिक स्वास्थ्य कार्य योजना के अनुरूप है।
मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन सेवाओं का विस्तार
सरकार ने कई सहायता सेवाएं शुरू की हैं जो जनता तक मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में सहायक हैं:
- मनोदर्पण: शिक्षा मंत्रालय द्वारा छात्रों के लिए परामर्श सेवा।
- किरण हेल्पलाइन: 24×7 सेवा जो नागरिकों को प्रशिक्षित परामर्शदाताओं द्वारा मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करती है।
ये सेवाएं प्रारंभिक हस्तक्षेप को बढ़ावा देती हैं और मानसिक बीमारी तथा आत्महत्या के प्रति सामाजिक कलंक को कम करती हैं।
एक सहानुभूतिपूर्ण राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दृष्टिकोण की ओर
तीन दशकों में आत्महत्या दर में स्थिर गिरावट लोक स्वास्थ्य सुधारों, कानूनी प्रगति और सामुदायिक जागरूकता का परिणाम है।
भारत अब दंडात्मक दृष्टिकोण से हटकर सहायक और देखभाल आधारित मानसिक स्वास्थ्य ढांचे की ओर बढ़ रहा है। यह बदलाव खासकर कमजोर वर्गों और ग्रामीण क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुलभ बना रहा है।
STATIC GK SNAPSHOT – भारत में आत्महत्या प्रवृत्ति और मानसिक स्वास्थ्य नीति
विषय | विवरण |
अध्ययन स्रोत | ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) 2021 – The Lancet |
कुल गिरावट | 1990 से 2021 के बीच 30% गिरावट |
1990 की दर | 18.9 प्रति लाख |
2021 की दर | 13 प्रति लाख |
महिला दर में गिरावट | 16.8 → 10.3 प्रति लाख |
पुरुष दर में गिरावट | 20.9 → 15.7 प्रति लाख |
उच्च जोखिम समूह | शिक्षित महिलाएं (2020) |
प्रमुख कारण | पारिवारिक और घरेलू तनाव |
प्रमुख कानून | मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017, भारतीय दंड संहिता धारा 309 हटाना |
सरकारी योजना | आत्महत्या रोकथाम रणनीति 2022 – 2030 तक 10% कमी का लक्ष्य |
हेल्पलाइन सेवाएं | मनोदर्पण (छात्रों हेतु), किरण (सभी नागरिकों हेतु) |