बोडोलैंड में बाथौ धर्म को मिली आधिकारिक पहचान
असम के बोडोलैंड क्षेत्र (BTR) ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए बाथौ धर्म को सरकारी आवेदन पत्रों में एक आधिकारिक धर्म विकल्प के रूप में मान्यता दी है। यह निर्णय 13वीं त्रैवार्षिक ऑल बाथौ महासभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सार्वजनिक रूप से सराहा गया। इसके अतिरिक्त, असम सरकार ने बाथौ पूजा के दिन को राज्य अवकाश घोषित किया है, जो इस प्रकृति-आधारित धर्म को संवैधानिक मान्यता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
बाथौ धर्म: बोडो समुदाय का परंपरागत विश्वास
बाथौ धर्म, असम की सबसे बड़ी मैदानी जनजाति बोडो समुदाय का मूल धार्मिक विश्वास है। ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर तट पर मुख्य रूप से बसे बोडो लोगों में यह परंपरा आज भी जीवित है। हालाँकि ईसाई धर्म और अन्य सुधार आंदोलनों का प्रभाव भी पड़ा है, लेकिन बाथौ धर्म आज भी बोडो पहचान और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बना हुआ है।
इस धर्म के केंद्र में हैं बाथौबोराई, जो सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान देवता माने जाते हैं। “बाथौ” शब्द ही प्रकृति के पाँच तत्वों का दर्शन प्रस्तुत करता है।
पंचतत्व पर आधारित दर्शन
बाथौ धर्म का दार्शनिक मूल है पाँच तत्वों का सिद्धांत — वायु, सूर्य, पृथ्वी, अग्नि और आकाश। ये तत्व हिंदू दर्शन से मिलते-जुलते हैं, लेकिन बोडो समाज में इनका स्वरूप स्थानीय, पारंपरिक और प्रकृति–केन्द्रित है।
बाथौबोराई को इन पंचतत्वों का समेकित रूप माना जाता है — जीवन और ज्ञान का स्रोत। यह विचारधारा मनुष्य और प्रकृति के बीच संतुलन और सह–अस्तित्व की आवश्यकता को दर्शाती है।
सांस्कृतिक पुनरुद्धार और सामाजिक प्रभाव
बाथौ धर्म की मान्यता को बोडो परंपराओं के पुनरुद्धार में मील का पत्थर माना जा रहा है।
विशेषज्ञ फगुना बर्महालिया के अनुसार, युवाओं में परंपरागत रीति-रिवाजों के प्रति रुचि बढ़ी है।
सरकार द्वारा बाथौ पूजा को सरकारी अवकाश घोषित करना और धर्म को आधिकारिक रूप से मान्यता देना, आधुनिक प्रभावों के बीच बोडो सांस्कृतिक पहचान को सहेजने की दिशा में अहम कदम है।
STATIC GK SNAPSHOT – बाथौ धर्म और बोडोलैंड 2025
विषय | विवरण |
चर्चा में क्यों | बोडोलैंड सरकार ने बाथौ धर्म को आधिकारिक रूप से मान्यता दी |
प्रभावित क्षेत्र | बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR), असम |
पारंपरिक धर्म | बोडो जनजाति का बाथौ धर्म |
प्रमुख देवता | बाथौबोराई (सर्वशक्तिमान देवता) |
दार्शनिक मूल | पंचतत्व – वायु, सूर्य, पृथ्वी, अग्नि, आकाश |
सरकारी कार्रवाई | धर्म को फॉर्म में शामिल किया गया; बाथौ पूजा पर अवकाश घोषित |
सांस्कृतिक महत्व | बोडो पहचान को सुदृढ़ करना; प्रकृति आधारित परंपराओं का पुनरुद्धार |
प्रमुख उल्लेख | अमित शाह – ऑल बाथौ महासभा सम्मेलन 2025 |