बीजों और एकता का उत्सव
अली आइ लिगांग असम की सबसे बड़ी जनजातीय समुदाय मिसिंग जनजाति द्वारा मनाया जाने वाला एक रंगीन उत्सव है। यह हर वर्ष फागुन महीने के पहले बुधवार को मनाया जाता है, जो बुवाई के मौसम की शुरुआत को दर्शाता है। इसका नाम ही “बीजों और जड़ों की बुवाई” का प्रतीक है, जो भूमि से इस समुदाय के गहरे संबंध को दर्शाता है। यह त्यौहार आशा, प्रार्थना और एकजुटता का प्रतीक है।
देवताओं और परंपराओं को सम्मान
इस उत्सव की शुरुआत लाइटोम टॉमचार नामक ध्वज आरोहण से होती है, जो त्यौहार की विधिवत शुरुआत का संकेत देता है। इसके बाद डोनी और पोलो (सूर्य और चंद्रमा देवताओं) को चढ़ावा चढ़ाया जाता है। अपोंग (चावल की बियर), सूखी मछली, और मांस जैसे पारंपरिक भोग चढ़ाकर अच्छी फसल की कामना की जाती है। यह सब कृषि की आध्यात्मिक भूमिका को दर्शाता है।
नृत्य और संस्कृति की लय
उत्सव की सांस्कृतिक आत्मा प्रसिद्ध गुमराग नृत्य में झलकती है, जिसे पुरुष और महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में करते हैं। यह नृत्य समृद्धि, सामंजस्य और सामुदायिक भावना का प्रतीक होता है। साथ ही भोज, खेल और संगीत का आयोजन होता है, जिससे ग्रामीण इलाकों और अब शहरी केंद्रों में भी यह उत्सव जनजातीय विरासत का जीवंत प्रदर्शन बन गया है।
पीढ़ी दर पीढ़ी परंपरा को संजोना
हालांकि यह उत्सव ग्रामीण क्षेत्रों से शुरू हुआ था, परंतु जोरहाट जैसे शहरों में यह पिछले 40 वर्षों से अधिक समय से मनाया जा रहा है। आधुनिक प्रभावों के बावजूद, इसके मूल रीति–रिवाज़, आस्था और समुदाय की भागीदारी आज भी उतनी ही सशक्त है।
कौन हैं मिसिंग लोग?
मिसिंग जनजाति, तानी जातीय समूह का हिस्सा है और मुख्यतः असम और अरुणाचल प्रदेश में निवास करती है। 2011 की जनगणना के अनुसार, असम में लगभग 6.8 लाख मिसिंग लोग हैं। ये लोग पहले झूम खेती करते थे, लेकिन अब इन्होंने स्थायी धान की खेती अपना ली है, जो उनके पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली और संस्कृति के साथ सामंजस्य में है।
सूर्य और चंद्रमा में आस्था
मिसिंग समुदाय की आध्यात्मिक जीवनशैली का केंद्र है डोनी पोलो विश्वास, जिसमें डोनी (सूर्य) और पोलो (चंद्रमा) को जीवन, समय और प्रकाश के प्रतीक रूप में पूजा जाता है। यह पूजा खेती और ऋतु चक्रों के साथ गहराई से जुड़ी होती है, जो पीढ़ियों से पारंपरिक ज्ञान का हिस्सा है।
STATIC GK SNAPSHOT: अली आइ लिगांग त्यौहार
विषय | विवरण |
उत्सव का नाम | अली आइ लिगांग |
कौन मनाते हैं | मिसिंग जनजाति (असम और अरुणाचल प्रदेश) |
अवसर | फागुन के पहले बुधवार को – बुवाई का आरंभ |
प्रमुख अनुष्ठान | लाइटोम टॉमचार ध्वज, डोनी पोलो को चढ़ावा |
सांस्कृतिक तत्व | गुमराग नृत्य, पारंपरिक पोशाक, अपोंग (चावल की बियर) |
जनजातीय वर्गीकरण | तानी जातीय समूह |
2011 जनगणना (असम) | लगभग 6.8 लाख मिसिंग लोग |
कृषि अभ्यास | झूम खेती से स्थायी धान खेती की ओर बदलाव |
धार्मिक विश्वास | सूर्य और चंद्रमा की पूजा (डोनी पोलो) |
सांस्कृतिक विस्तार | जोरहाट जैसे शहरों में 40+ वर्षों से उत्सव की निरंतरता |