समानीकरण उपकर क्या है?
1 जून 2016 को भारत ने समानीकरण उपकर (Equalisation Levy) लागू किया था, जिसके तहत भारतीय उपभोक्ताओं को लक्षित करने वाली ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं के लिए विदेशी कंपनियों को 6% कर देना होता था। इसका उद्देश्य था कि गूगल, मेटा जैसी बड़ी डिजिटल कंपनियाँ, जिनकी भारत में कोई भौतिक उपस्थिति नहीं है लेकिन वे यहाँ से भारी राजस्व अर्जित करती हैं, न्यायसंगत कर योगदान दें।
अब सरकार इसे क्यों समाप्त कर रही है?
वित्त विधेयक 2025 में प्रस्तावित 59 संशोधनों में एक प्रमुख प्रस्ताव है 6% समानीकरण उपकर को समाप्त करना। इससे पहले 2024 में 2% ई–कॉमर्स लेवी भी समाप्त की गई थी। यह निर्णय अमेरिका के साथ व्यापार तनाव को कम करने और विदेशी निवेश वातावरण को बेहतर बनाने की दिशा में एक रणनीतिक कूटनीतिक कदम माना जा रहा है। अमेरिका ने इस कर को भेदभावपूर्ण डिजिटल कर कहकर आलोचना की थी और प्रतिशोधात्मक टैरिफ की चेतावनी दी थी। भारत का यह कदम वैश्विक कर ढांचे के अनुरूप है।
इससे करदाताओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
विदेशी डिजिटल सेवा प्रदाताओं और उन्हें भुगतान करने वाले भारतीय व्यवसायों के लिए यह कदम कानूनी स्पष्टता लाएगा। समानीकरण कर ने कई मामलों में दोहरे कराधान और अनिश्चितता पैदा की थी। इसके हटने से सीधे विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी कंपनियों के लिए अधिक पारदर्शी व्यापार वातावरण बनेगा।
वित्त विधेयक 2025 में अन्य प्रमुख संशोधन
इस कर की समाप्ति के साथ, “कुल अपरीक्षित आय (Total Undisclosed Income)” नामक एक नई परिभाषा भी जोड़ी गई है। यह संशोधन सर्च और सीज़र (जांच और जब्ती) की कार्यवाहियों के दौरान केवल अघोषित आय को दंडनीय बनाता है। इसका उद्देश्य विवादों को कम करना और कर प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाना है।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
शुरूआत की तिथि | 1 जून 2016 |
प्रारंभिक दर | 6% – विदेशी कंपनियों द्वारा प्रदान की गई विज्ञापन सेवाओं पर |
ई-कॉमर्स विस्तार | 1 अप्रैल 2020 को 2% (2024 में समाप्त किया गया) |
वर्तमान स्थिति | 6% समानीकरण कर हटाने का प्रस्ताव (24 मार्च 2025) |
प्रभावित कंपनियाँ | गूगल, मेटा, अमेज़न |
हटाने का कारण | अमेरिका के साथ व्यापार तनाव; निवेश माहौल में सुधार |
संबंधित विधेयक | वित्त विधेयक 2025 |
नई परिभाषा शामिल | “कुल अपरीक्षित आय” |
प्रशासनिक मंत्रालय | भारत सरकार का वित्त मंत्रालय |