ज़ीरो-स्टेज फेफड़ों के कैंसर को समझना
ज़ीरो स्टेज फेफड़ों का कैंसर, जिसे कार्सिनोमा इन साइटू भी कहा जाता है, फेफड़ों के कैंसर का सबसे प्रारंभिक चरण होता है। इसमें असामान्य कोशिकाएं केवल फेफड़ों की भीतरी परत में होती हैं, और वे अभी तक पास के ऊतकों या अन्य अंगों तक नहीं फैली होतीं।
2023 में अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने इस स्थिति से जूझने की जानकारी सार्वजनिक की, जिससे प्रारंभिक जांच और जागरूकता पर राष्ट्रीय ध्यान केंद्रित हुआ।
क्योंकि इस स्टेज पर कैंसर फैला नहीं होता, इसलिए समय पर पहचान होने पर इलाज पूरी तरह संभव है।
नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) का वर्गीकरण
अधिकांश ज़ीरो स्टेज के मामले NSCLC (Non-Small Cell Lung Cancer) की श्रेणी में आते हैं, जिसके तीन प्रमुख प्रकार हैं:
- एडेनोकार्सिनोमा: फेफड़ों के बाहरी भागों में विकसित होता है,
- स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा: वायुमार्ग की अंदरूनी परत की चपटी कोशिकाओं में शुरू होता है,
- लार्ज सेल कार्सिनोमा: दुर्लभ और तेजी से फैलने वाला प्रकार।
अगर स्टेज 0 पर पहचाना जाए, तो इन सभी प्रकारों में इलाज की सफलता की संभावना अधिक होती है।
लक्षण, स्टेजिंग और पहचान
हालांकि ज़ीरो स्टेज में अधिकतर रोगियों को कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, कुछ सावधानी के संकेत हो सकते हैं जैसे:
- लगातार खांसी,
- थूक में खून,
- आवाज़ में भारीपन,
- या हल्का सीने में दर्द।
TNM स्टेजिंग सिस्टम द्वारा कैंसर का मूल्यांकन किया जाता है:
- T (Tumour) – ट्यूमर का आकार,
- N (Node) – लिम्फ नोड्स में फैला या नहीं,
- M (Metastasis) – शरीर के अन्य भागों में फैला या नहीं।
स्टेज 0 में यह सब नहीं होता, जिससे यह बेहतर पूर्वानुमान वाला चरण होता है।
रोकथाम और जीवनशैली से जुड़ी सावधानियाँ
हालांकि सभी फेफड़ों के कैंसर रोके नहीं जा सकते, लेकिन कुछ उपाय जोखिम को काफी हद तक घटा सकते हैं:
- धूम्रपान से बचाव (85% मामलों से जुड़ा कारण),
- रेडॉन, एस्बेस्टस, और प्रदूषण से दूरी,
- एंटीऑक्सीडेंट युक्त आहार,
- नियमित व्यायाम,
- और परिवार में इतिहास होने पर समय–समय पर स्क्रीनिंग।
प्रदूषण से जुड़ा एक और पहलू PM10 स्तर है, जो 60 µg/m³ से अधिक होने पर श्वसन जोखिम बढ़ाता है।
ज़ीरो स्टेज में उपचार की दिशा
इस चरण में सबसे आम उपचार शल्य चिकित्सा (सर्जिकल रिसेक्शन) है, जिसमें प्रभावित ऊतक को हटा दिया जाता है।
- वेज़ रिसेक्शन एक तकनीक है जिसमें फेफड़े का एक छोटा हिस्सा हटाया जाता है।
- जब सर्जरी संभव न हो, तो फोटोडायनामिक थेरेपी (प्रकाश-संवेदनशील दवाओं द्वारा कैंसर कोशिकाओं का नाश) का उपयोग किया जाता है।
- कीमोथैरेपी या रेडिएशन केवल तब प्रयोग में लाए जाते हैं जब कैंसर दोबारा हो या आगे बढ़े।
- कुछ मामलों में, डॉक्टर धीमी गति से बढ़ने वाले कैंसर के लिए एक्टिव सर्विलांस की सलाह भी दे सकते हैं।
सार्वजनिक जागरूकता का महत्व
शर्मिला टैगोर जैसी हस्तियों द्वारा अपने अनुभव साझा करने से जनता में प्रारंभिक चरण के कैंसर के बारे में जागरूकता फैलती है।
भारत जैसे देश में, जहाँ अधिकतर फेफड़ों के कैंसर विकसित अवस्था में ही पहचान में आते हैं, ऐसी कहानियाँ समय पर जांच और जीवन बचाने में मददगार हो सकती हैं।
स्क्रीनिंग कार्यक्रमों, जीवनशैली में बदलाव, और जनता को शिक्षित करने वाले अभियानों की भूमिका अब और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान झलक (STATIC GK SNAPSHOT)
विषय | विवरण |
कैंसर का नाम | ज़ीरो स्टेज लंग कैंसर (कार्सिनोमा इन साइटू) |
प्रमुख केस | शर्मिला टैगोर (2023) |
कैंसर श्रेणी | नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) |
NSCLC प्रकार | एडेनोकार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल, लार्ज सेल |
स्टेजिंग प्रणाली | TNM (Tumour, Node, Metastasis) |
PM10 सुरक्षित सीमा | 60 µg/m³ (CPCB अनुसार) |
मुख्य जोखिम कारण | धूम्रपान |
पहचान विधि | लो-डोज़ CT स्कैन, हाई-रिस्क ग्रुप स्क्रीनिंग |
प्राथमिक उपचार | सर्जिकल रिसेक्शन, फोटोडायनामिक थेरेपी |
रोकथाम के उपाय | धूम्रपान रोकना, प्रदूषण नियंत्रण, समयपूर्व स्क्रीनिंग |