जुलाई 20, 2025 12:20 पूर्वाह्न

भारत की सबसे लंबी रेलवे सुरंग में ऐतिहासिक सफलता: ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेल परियोजना में मील का पत्थर

करेंट अफेयर्स: भारत ने उत्तराखंड में सबसे लंबी रेल सुरंग बनाई: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का मील का पत्थर, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल सुरंग 2025, सुरंग संख्या 8 जनसू, अश्विनी वैष्णव रेलवे घोषणा, टीबीएम शक्ति जर्मन मशीन, चार धाम रेलवे लाइन, एनएटीएम टनलिंग इंडिया,

India Breaks Through Longest Rail Tunnel in Uttarakhand: Rishikesh–Karnaprayag Rail Project Milestone

जनासू में ऐतिहासिक सुरंग ब्रेकथ्रू

16 अप्रैल 2025 को, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उत्तराखंड के जनासू में भारत की सबसे लंबी रेलवे सुरंग के सफल ब्रेकथ्रू की घोषणा की। यह सफलता ऋषिकेशकर्णप्रयाग ब्रॉड गेज रेल लिंक परियोजना का हिस्सा है, जो 125 किमी लंबा ट्रैक है और गढ़वाल हिमालय के तीर्थ क्षेत्रों को जोड़ता है। यह घटना भारत की पहली यात्री रेल सेवा की 172वीं वर्षगांठ पर हुई, जो इस उपलब्धि को और भी ऐतिहासिक बनाती है।

इंजीनियरिंग और पर्यावरणीय नवाचार

यह सफलता टनल नंबर 8, एक 14.57 किमी लंबी जुड़वां सुरंग, में प्राप्त हुई। पहली बार भारत के पहाड़ी रेल निर्माण में जर्मनी निर्मित टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) ‘शक्ति का उपयोग किया गया, जिससे पर्यावरणीय क्षति कम हुई। इसके साथ न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) भी अपनाया गया ताकि भूकंपीय क्षेत्र IV में स्थित इस परियोजना में सुरक्षित और नियंत्रित खुदाई सुनिश्चित की जा सके।

रेल लाइन का सामरिक और धार्मिक महत्व

यह रेल मार्ग ऋषिकेश को कर्णप्रयाग से सीधे जोड़ता है और केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे चारधाम तीर्थों के लिए रेल आधार तैयार करता है। जहाँ पहले यह यात्रा 6–7 घंटे लगती थी, अब यह केवल 2 घंटे में पूरी हो सकेगी। यह न केवल तीर्थ यात्रियों को सुविधा देगा, बल्कि भूस्खलन और बाढ़ के समय सड़क यात्रा का सुरक्षित विकल्प भी प्रदान करेगा।

भूगोलिक और लॉजिस्टिक चुनौतियों को पार करना

परियोजना को साकार करने के लिए 165 मीट्रिक टन की मशीनरी को मुंद्रा पोर्ट से हिमालयी स्थलों तक पहुँचाया गया, जो संकीर्ण और भूस्खलनप्रवण सड़कों से होकर गया। इंजीनियरों को चट्टान की बदलती प्रकृति, मौसम की बाधाएं और पारिस्थितिक संवेदनशीलता से निरंतर जूझना पड़ा। इसके बावजूद, 2025 की शुरुआत तक 70% कार्य पूर्ण हो चुका है। पूरी रेल लाइन दिसंबर 2026 तक चालू होने की उम्मीद है, जबकि सभी सुरंग और संरचनात्मक कार्य 2025 के अंत तक पूरे हो जाएंगे।

उत्तराखंड के लिए परिवर्तनकारी संभावना

यह परियोजना केवल यातायात सुविधा नहीं, बल्कि स्थानीय रोजगार, ईकोटूरिज्म और निवेश को बढ़ावा देगी।

  • 12 नए रेलवे स्टेशन,
  • 16 मुख्य सुरंगें,
  • 19 बड़े पुल,
    इस क्षेत्र को आध्यात्मिक और साहसिक पर्यटन का केंद्र बनाएँगे। बेहतर परिवहन से स्थानीय हस्तशिल्प, मौसमी व्यापार, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

स्थैतिक सामान्य ज्ञान झलक (STATIC GK SNAPSHOT)

विषय विवरण
परियोजना का नाम ऋषिकेश–कर्णप्रयाग ब्रॉड गेज रेल लिंक
सबसे लंबी सुरंग टनल नंबर 8, जनासू (14.57 किमी)
राज्य उत्तराखंड
प्रयुक्त तकनीक टीबीएम ‘शक्ति’ (जर्मन निर्मित), NATM
संबंधित मंत्री अश्विनी वैष्णव
जुड़े धार्मिक स्थल केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री
भूकंपीय क्षेत्र ज़ोन IV
पहला सुरंग ब्रेकथ्रू 16 अप्रैल 2025
पूर्ण लाइन चालू होगी दिसंबर 2026
कुल लंबाई 125 किमी (83% सुरंग में)

 

India Breaks Through Longest Rail Tunnel in Uttarakhand: Rishikesh–Karnaprayag Rail Project Milestone
  1. भारत की सबसे लंबी रेलवे सुरंग (14.57 किमी) 16 अप्रैल 2025 को उत्तराखंड के जनासू में पूरी हुई
  2. यह सुरंग ऋषिकेश–कर्णप्रयाग ब्रॉड गेज रेल परियोजना (125 किमी) का हिस्सा है।
  3. परियोजना का उद्देश्य गढ़वाल हिमालय में ऋषिकेश को सीधे कर्णप्रयाग से जोड़ना है।
  4. टनल नंबर 8, जो कि ट्विन-ट्यूब सुरंग है, में ब्रेकथ्रू TBM तकनीक से हुआ।
  5. खुदाई के लिए शक्ति’ नामक जर्मन टनल बोरिंग मशीन (TBM) का प्रयोग किया गया।
  6. परियोजना में न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) का उपयोग सुरक्षित ब्लास्टिंग के लिए किया गया।
  7. यह रेल मार्ग भूकंपीय क्षेत्र IV से होकर गुजरता है, इसलिए विशेष सुरक्षा उपाय अपनाए गए।
  8. इस उपलब्धि की घोषणा रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत की 172वीं रेलवे वर्षगांठ पर की।
  9. इस रेल लाइन से यात्रा का समय 7 घंटे से घटकर 2 घंटे हो जाएगा।
  10. यह लिंक केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री जाने वाले चारधाम तीर्थयात्रियों को मदद करेगा।
  11. 2025 की शुरुआत तक परियोजना का 70% कार्य पूरा हो चुका है।
  12. पूरी रेललाइन दिसंबर 2026 तक पूर्ण होने का लक्ष्य है।
  13. 165 मीट्रिक टन की मशीनरी को मुंद्रा पोर्ट से हिमालय तक लाने में कठिनाइयाँ पार की गईं।
  14. परियोजना में 12 नए स्टेशन, 16 प्रमुख सुरंगें और 19 पुल शामिल हैं।
  15. यह रेल मार्ग भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन क्षमता को बढ़ाएगा।
  16. इससे पर्यावरण पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और 5 जिलों में रोजगार के अवसर बनेंगे।
  17. यह विकास स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं, विशेष रूप से हस्तशिल्प और पर्यटन को सहयोग देगा।
  18. परियोजना में पर्यावरण के अनुकूल टनलिंग का उपयोग किया गया, जिससे भारी विस्फोट से बचा गया
  19. चारधाम रेलवे, उत्तराखंड के लिए रणनीतिक और आध्यात्मिक जीवन रेखा है।
  20. यह सुरंग भारतीय पर्वतीय रेलवे इंजीनियरिंग और आधारभूत ढाँचा नियोजन में एक मील का पत्थर है।

 

Q1. 2025 तक भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग 'सुरंग संख्या 8' की लंबाई कितनी है?


Q2. ऋषिकेश–कर्णप्रयाग परियोजना में सुरंग खोदने के लिए किस जर्मन निर्मित मशीन का उपयोग किया गया था?


Q3. यह रेलवे लाइन किन चार तीर्थस्थलों को अधिक सुलभ बनाएगी?


Q4. भूकंपीय क्षेत्रों में सुरक्षा हेतु टीबीएम के अलावा कौन-सी सुरंग निर्माण विधि अपनाई गई?


Q5. ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेल लाइन के पूरी तरह चालू होने की अपेक्षित तिथि क्या है?


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