जुलाई 27, 2025 8:26 अपराह्न

तमिलनाडु में जल स्रोतों में पारा प्रदूषण से बढ़ी चिंता

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अध्ययन में सामने आए चौंकाने वाले पारा स्तर

तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (TNPCB) द्वारा किए गए एक अध्ययन में एनएलसी इंडिया लिमिटेड (NLCIL) की खदानों और थर्मल पॉवर प्लांट्स के पास सतही और भूजल स्रोतों में खतरनाक स्तर का पारा प्रदूषण पाया गया है। यह अध्ययन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT), दक्षिणी क्षेत्र के निर्देशों पर किया गया था, जो औद्योगिक प्रदूषण और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर उसके प्रभाव को लेकर बढ़ती चिंता के बीच हुआ।

एनएलसीआईएल इकाइयों के पास अत्यधिक विषाक्तता

पारा का उच्चतम स्तर माइन्स-I, 1A, II और थर्मल पॉवर स्टेशन-II के पास दर्ज किया गया। अध्ययन के अनुसार, 17 सतही जल नमूनों में से 15 में 0.001 mg/L की सुरक्षित सीमा से अधिक पारा पाया गया। सबसे चौंकाने वाली रिपोर्ट बकिंघम नहर से आई, जहाँ 0.115 mg/L पारा पाया गया—जो अनुमेय सीमा से 115 गुना अधिक है।

भूजल भी गंभीर रूप से प्रभावित

सिर्फ सतही जल ही नहीं, बल्कि इस क्षेत्र से एकत्र किए गए भूजल नमूनों में भी 0.0025 mg/L से लेकर 0.0626 mg/L तक पारा दर्ज किया गया, जो 2.5 से 62 गुना अधिक है। यह स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है क्योंकि स्थानीय आबादी घरेलू उपयोग और कृषि कार्यों के लिए भूजल पर निर्भर करती है। लंबे समय तक पारे के संपर्क में रहना मस्तिष्क, किडनी और विकास संबंधी विकारों का कारण बन सकता है।

पारा मानक: भारत बनाम वैश्विक स्तर

पारा को विश्व स्तर पर सबसे खतरनाक भारी धातुओं में गिना जाता है और यह जल गुणवत्ता मानकों के अंतर्गत सख्ती से नियंत्रित है। अमेरिका की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (USEPA) ने इसकी अधिकतम सीमा 0.002 mg/L, जबकि भारत ने इसे और सख्त करते हुए 0.001 mg/L निर्धारित किया है। इस अध्ययन में पाए गए स्तर इन दोनों मानकों से कई गुना अधिक हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह औद्योगिक अपशिष्ट या फ्लाई ऐश के खराब प्रबंधन का परिणाम है।

आगे की राह

पर्यावरण कार्यकर्ता और जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ इस स्थिति को लेकर तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनके अनुसार:

  • प्रदूषित स्थलों की सफाई,
  • औद्योगिक अपशिष्ट का सुरक्षित निपटान,
  • और जल गुणवत्ता की नियमित निगरानी जरूरी है।

NGT से अपेक्षा की जा रही है कि वह दोषियों को जवाबदेह ठहराने और स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु ठोस कदम उठाएगा।

स्थैतिक सामान्य ज्ञान झलक (STATIC GK SNAPSHOT)

मानक USEPA सीमा (mg/L) भारतीय मानक (mg/L) अवलोकित स्तर (mg/L)
पारा (Hg) 0.002 0.001 सतही जल: 0.0012 – 0.115
भूजल: 0.0025 – 0.0626
प्रदूषण का स्रोत एनएलसी इंडिया लिमिटेड (माइन्स-I, 1A, II, टीपीएस-II)
सबसे अधिक प्रभावित स्थान बकिंघम नहर अनुमेय सीमा से 115 गुना अधिक
स्वास्थ्य प्रभाव तंत्रिका, गुर्दा, विकासात्मक विकार
नियामक निकाय TNPCB (NGT की निगरानी में)

 

Mercury Contamination in Tamil Nadu Water Bodies Raises Alarms
  1. तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (TNPCB) ने एनएलसी इंडिया लिमिटेड (NLCIL) के पास जल स्रोतों में खतरनाक स्तर का पारा पाया है।
  2. यह सर्वेक्षण राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), दक्षिण क्षेत्र के आदेश के तहत किया गया था।
  3. 17 सतही जल नमूनों में से 15 में पारा का स्तर001 mg/L की भारतीय सीमा से अधिक पाया गया।
  4. बकिंघम नहर से लिए गए एक नमूने में115 mg/L पारा पाया गया, जो सीमा से 115 गुना अधिक है।
  5. भूजल नमूनों में पारे का स्तर0025 से 0.0626 mg/L तक दर्ज किया गया।
  6. ये आंकड़े भारतीय सुरक्षा मानक से5 से 62 गुना अधिक हैं।
  7. NLCIL की खदानेंमाइंस I, 1A, II और थर्मल पावर स्टेशन II, प्रमुख प्रदूषण क्षेत्र के रूप में चिन्हित किए गए।
  8. स्थानीय आबादी पीने के पानी और कृषि के लिए बड़े पैमाने पर भूजल पर निर्भर है।
  9. पारा विषाक्तता से तंत्रिका तंत्र, गुर्दे और विकास संबंधी गम्भीर बीमारियाँ हो सकती हैं।
  10. भारत में पीने के पानी में पारे का मानक001 mg/L है, जो USEPA के 0.002 mg/L मानक से अधिक सख्त है।
  11. अध्ययन से यह संकेत मिलता है कि उद्योगों से निकासी या फ्लाई ऐश प्रबंधन की लापरवाही प्रदूषण के स्रोत हो सकते हैं।
  12. पर्यावरणविदों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
  13. मांगों में प्रदूषित स्थल की सफाई, औद्योगिक कचरा प्रबंधन, और नियमित निगरानी शामिल हैं।
  14. NGT द्वारा NLCIL और अन्य जिम्मेदार पक्षों पर आगे की कार्रवाई की उम्मीद है।
  15. यह प्रदूषण, तमिलनाडु में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट पैदा कर रहा है।
  16. यह मामला जल सुरक्षा नियमन की सख्त आवश्यकता को उजागर करता है।
  17. पारा को पर्यावरण विज्ञान में सबसे विषैले भारी धातुओं में से एक माना जाता है।
  18. सतही और भूजल दोनों में असुरक्षित पारा स्तर की पुष्टि हुई है।
  19. रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण कानूनों के कड़ाई से पालन की मांग को और बल देती है।
  20. इन निष्कर्षों के आधार पर TNPCB और NGT जैसे नियामक निकायों द्वारा जवाबदेही की कार्रवाई संभव है।

 

Q1. भारत में पेयजल में पारे की अनुमेय सीमा क्या है?


Q2. किस नहर में अनुमेय सीमा से 115 गुना अधिक पारा स्तर दर्ज किया गया?


Q3. एनएलसीआईएल (NLCIL) के पास सतही जल में पारे की अधिकतम सांद्रता कितनी पाई गई?


Q4. एनजीटी के निर्देश पर पारे के प्रदूषण का अध्ययन किसने किया?


Q5. पारे के संपर्क में आने से कौन-से स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं?


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