अध्ययन में सामने आए चौंकाने वाले पारा स्तर
तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (TNPCB) द्वारा किए गए एक अध्ययन में एनएलसी इंडिया लिमिटेड (NLCIL) की खदानों और थर्मल पॉवर प्लांट्स के पास सतही और भूजल स्रोतों में खतरनाक स्तर का पारा प्रदूषण पाया गया है। यह अध्ययन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT), दक्षिणी क्षेत्र के निर्देशों पर किया गया था, जो औद्योगिक प्रदूषण और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर उसके प्रभाव को लेकर बढ़ती चिंता के बीच हुआ।
एनएलसीआईएल इकाइयों के पास अत्यधिक विषाक्तता
पारा का उच्चतम स्तर माइन्स-I, 1A, II और थर्मल पॉवर स्टेशन-II के पास दर्ज किया गया। अध्ययन के अनुसार, 17 सतही जल नमूनों में से 15 में 0.001 mg/L की सुरक्षित सीमा से अधिक पारा पाया गया। सबसे चौंकाने वाली रिपोर्ट बकिंघम नहर से आई, जहाँ 0.115 mg/L पारा पाया गया—जो अनुमेय सीमा से 115 गुना अधिक है।
भूजल भी गंभीर रूप से प्रभावित
सिर्फ सतही जल ही नहीं, बल्कि इस क्षेत्र से एकत्र किए गए भूजल नमूनों में भी 0.0025 mg/L से लेकर 0.0626 mg/L तक पारा दर्ज किया गया, जो 2.5 से 62 गुना अधिक है। यह स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है क्योंकि स्थानीय आबादी घरेलू उपयोग और कृषि कार्यों के लिए भूजल पर निर्भर करती है। लंबे समय तक पारे के संपर्क में रहना मस्तिष्क, किडनी और विकास संबंधी विकारों का कारण बन सकता है।
पारा मानक: भारत बनाम वैश्विक स्तर
पारा को विश्व स्तर पर सबसे खतरनाक भारी धातुओं में गिना जाता है और यह जल गुणवत्ता मानकों के अंतर्गत सख्ती से नियंत्रित है। अमेरिका की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (USEPA) ने इसकी अधिकतम सीमा 0.002 mg/L, जबकि भारत ने इसे और सख्त करते हुए 0.001 mg/L निर्धारित किया है। इस अध्ययन में पाए गए स्तर इन दोनों मानकों से कई गुना अधिक हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह औद्योगिक अपशिष्ट या फ्लाई ऐश के खराब प्रबंधन का परिणाम है।
आगे की राह
पर्यावरण कार्यकर्ता और जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ इस स्थिति को लेकर तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनके अनुसार:
- प्रदूषित स्थलों की सफाई,
- औद्योगिक अपशिष्ट का सुरक्षित निपटान,
- और जल गुणवत्ता की नियमित निगरानी जरूरी है।
NGT से अपेक्षा की जा रही है कि वह दोषियों को जवाबदेह ठहराने और स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु ठोस कदम उठाएगा।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान झलक (STATIC GK SNAPSHOT)
मानक | USEPA सीमा (mg/L) | भारतीय मानक (mg/L) | अवलोकित स्तर (mg/L) |
पारा (Hg) | 0.002 | 0.001 | सतही जल: 0.0012 – 0.115 |
भूजल: 0.0025 – 0.0626 | |||
प्रदूषण का स्रोत | एनएलसी इंडिया लिमिटेड (माइन्स-I, 1A, II, टीपीएस-II) | – | – |
सबसे अधिक प्रभावित स्थान | बकिंघम नहर | – | अनुमेय सीमा से 115 गुना अधिक |
स्वास्थ्य प्रभाव | तंत्रिका, गुर्दा, विकासात्मक विकार | – | – |
नियामक निकाय | TNPCB (NGT की निगरानी में) | – | – |