विलुपुरम वन प्रभाग में संरक्षण पहल
तमिलनाडु वन विभाग ने पक्कमलाई और गंगावरम पहाड़ियों में ग्रिज़ल्ड जाइंट स्क्विरल की जनसंख्या का अध्ययन शुरू करके संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह क्षेत्र अपनी दुर्लभ जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है और अब राज्य के संरक्षण प्रयासों का प्रमुख केंद्र बन रहा है। इस अध्ययन का उद्देश्य महत्वपूर्ण वैज्ञानिक डेटा एकत्र करना है, जिससे भविष्य में इसे वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया जा सके।
ग्रिज़ल्ड जाइंट स्क्विरल: एक अनोखा प्राणी
ग्रिज़ल्ड जाइंट स्क्विरल (Ratufa macroura) एक कम प्रसिद्ध लेकिन अनोखी प्रजाति है, जिसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची I में शामिल किया गया है। यह विशाल गिलहरियों में सबसे छोटी होती है और मुख्यतः पेड़ों पर रहने वाली होती है। दक्षिण भारत और श्रीलंका के नदी तटीय वनों में इसका वास होता है। इसके शरीर पर सफेद रेखाओं के साथ भूरे-धूसर रंग का फर होता है, जिससे इसका नाम “ग्रिज़ल्ड” पड़ा। यह प्रजाति प्रातःकाल और संध्या के समय अधिक सक्रिय होती है और बीज फैलाने तथा वनों के पुनर्जीवन में अहम भूमिका निभाती है।
संकट के कारण
हालांकि यह प्रजाति पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन यह कई खतरों का सामना कर रही है। वनों की कटाई के कारण इसका निवास स्थान घट रहा है। मानव अतिक्रमण, भोजन की कमी और घोंसले बनाने वाले पेड़ों का अभाव इस पर नकारात्मक असर डालते हैं। IUCN ने इसे निकट संकटग्रस्त (Near Threatened) के रूप में वर्गीकृत किया है, जिसका अर्थ है कि यदि संरक्षण प्रयास विफल होते हैं, तो यह प्रजाति संकट में पड़ सकती है। इसके अलावा शिकार और सड़क निर्माण से भी इसकी आबादी पर असर पड़ता है।
अध्ययन का महत्व
विलुपुरम वन प्रभाग द्वारा किया जा रहा यह सर्वेक्षण केवल गणना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समझने का प्रयास है कि जीवित रहने के लिए गिलहरी को किन कारकों की आवश्यकता है। इसमें जलवायु, मानव गतिविधियाँ और निवास की गुणवत्ता कैसे प्रभावित करती हैं, इसका भी मूल्यांकन किया जाएगा। यह वैज्ञानिक डेटा संरक्षित क्षेत्र घोषित करने के प्रयासों को भी मजबूती देगा।
एक जैव विविधता से भरपूर क्षेत्र
जहाँ यह सर्वेक्षण हो रहा है, वह क्षेत्र केवल ग्रिज़ल्ड गिलहरी का ही नहीं, बल्कि कई अन्य प्रजातियों का भी घर है। यहाँ गोल्डन गेको, सैकड़ों उभयचर, और दक्षिणी पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इस क्षेत्र की सुरक्षा केवल एक प्रजाति के लिए नहीं, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को भविष्य के लिए सुरक्षित रखने का प्रयास है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान झलक (STATIC GK SNAPSHOT)
विषय | विवरण |
प्रजाति का नाम | ग्रिज़ल्ड जाइंट स्क्विरल (Ratufa macroura) |
संरक्षण स्थिति | निकट संकटग्रस्त (IUCN) |
कानूनी संरक्षण | अनुसूची I, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 |
मुख्य निवास स्थान | पक्कमलाई और गंगावरम पहाड़ियाँ, तमिलनाडु |
प्रमुख खतरे | वनों की कटाई, शिकार, निवास की हानि |
अध्ययन कर रही वन इकाई | विलुपुरम वन प्रभाग |
पारिस्थितिक भूमिका | बीज फैलाव, वन पुनर्जीवन |
जैव विविधता हॉटस्पॉट | गोल्डन गेको, उष्णकटिबंधीय पक्षी और सरीसृप |