वैश्विक प्रभाव के साथ एक रणनीतिक निर्णय
अप्रैल 2025 की शुरुआत में, चीन ने सात प्रमुख दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (REEs) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की, जिससे वैश्विक बाजारों में उथल–पुथल मच गई। यह कदम अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ के बाद आया, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव और बढ़ गया। चीन ने इस निर्णय को राष्ट्रीय सुरक्षा उपाय बताया है, परंतु इसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर देखा जा रहा है। ये तत्व न केवल स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे रोज़मर्रा के उपकरणों में, बल्कि सैन्य और ग्रीन टेक्नोलॉजी में भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
दुर्लभ पृथ्वी तत्व इतने आवश्यक क्यों हैं?
दुर्लभ पृथ्वी तत्व 17 धातुओं का समूह हैं जिनमें स्कैंडियम, इट्रियम और 15 लैंथनाइड शामिल हैं। यद्यपि ये तत्व पृथ्वी की सतह पर प्रचुर मात्रा में होते हैं, लेकिन इन्हें आर्थिक रूप से खनन और शुद्ध करना कठिन होता है। चीन की नई प्रतिबंध सूची में समेरियम, गैडोलिनियम, टेरबियम, डिस्प्रोसियम, ल्यूटेशियम, स्कैंडियम और इट्रियम शामिल हैं—ये सभी मिसाइल सिस्टम, इलेक्ट्रिक वाहन मोटर, पवन टरबाइन और एमआरआई स्कैनर में इस्तेमाल होते हैं।
इन तत्वों की चुंबकीय, उत्प्रेरक और प्रकाशीय विशेषताएं इन्हें अनोखा बनाती हैं। उदाहरण के लिए, डिस्प्रोसियम और टेरबियम गर्मी सहन करने वाले चुंबकों के निर्माण में जरूरी हैं, जिनका उपयोग ईवी और एयरोस्पेस उद्योग में होता है।
REE बाजार पर चीन का वर्चस्व
सच्चाई यह है कि चीन वैश्विक REE आपूर्ति का 85–95% नियंत्रित करता है—सिर्फ खनन में नहीं, बल्कि प्रसंस्करण (refining) में भी। बीजिंग की नीति में कोई भी बदलाव दुनियाभर में झटका बन जाता है। चीन के प्रमुख REE उत्पादक क्षेत्र हैं: इनर मंगोलिया, जियांग्शी, सिचुआन और ग्वांगदोंग। चीन ने 1990 के दशक में ही इन तत्वों को “रणनीतिक खनिज” घोषित कर दिया था और पहले भी इन्हें आर्थिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है—2010 में जापान और 2022 में अमेरिका के खिलाफ।
कौन और कैसे प्रभावित होगा?
अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान सबसे अधिक प्रभावित हैं क्योंकि ये देश रक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा निर्माण के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भर हैं। इसके परिणामस्वरूप, उद्योगों को कीमतों में भारी वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है—जैसे डिस्प्रोसियम की कीमत $230 से $300 प्रति किलोग्राम तक बढ़ सकती है। स्थिर REE आपूर्ति के बिना ईवी या ऑफशोर विंड टरबाइन बनाना लगभग असंभव है।
कुछ देशों के पास आपातकालीन भंडार हैं जो अस्थायी राहत दे सकते हैं। लेकिन दीर्घकालीन समाधान के लिए आपूर्ति शृंखला का विविधीकरण, घरेलू खोज में निवेश और रीसायक्लिंग तकनीक में सुधार जरूरी होगा।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
प्रतिबंध लगाने वाला देश | चीन (अप्रैल 2025) |
प्रभावित तत्व | समेरियम, गैडोलिनियम, टेरबियम, डिस्प्रोसियम, ल्यूटेशियम, स्कैंडियम, इट्रियम |
चीन का वैश्विक REE हिस्सा | 85–95% |
प्रभावित क्षेत्र | रक्षा, हरित ऊर्जा (ईवी, पवन टरबाइन), इलेक्ट्रॉनिक्स |
पूर्ववर्ती कार्रवाइयाँ | 2010 में जापान पर प्रतिबंध, 2022 में अमेरिका को धमकी |
प्रमुख चीनी REE क्षेत्र | इनर मंगोलिया, जियांग्शी, सिचुआन, ग्वांगदोंग |
मूल्य प्रभाव | डिस्प्रोसियम की कीमत $300/kg तक बढ़ सकती है |
REE विशेषताएँ | चुंबकीय, उत्प्रेरक, प्रकाशीय |