जुलाई 18, 2025 10:26 अपराह्न

जर्मनवॉच रिपोर्ट में भारत को अत्यधिक जलवायु जोखिम वाला देश बताया गया

करेंट अफेयर्स: जर्मनवॉच रिपोर्ट 2025, भारत जलवायु जोखिम सूचकांक रैंक, भारत में चरम मौसम की घटनाएं, जलवायु हानि का आर्थिक प्रभाव, भारत में चक्रवात बाढ़ आपदाएं, COP29 जलवायु वित्त, जलवायु भेद्यता वैश्विक दक्षिण, जलवायु अनुकूलन भारत

Germanwatch Report Flags India’s High Climate Vulnerability

अत्यधिक मौसम घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित देशों में भारत

जर्मनवॉच की नवीनतम जलवायु जोखिम सूचकांक (Climate Risk Index) रिपोर्ट के अनुसार, भारत 1993 से 2022 तक की अवधि में वैश्विक स्तर पर छठा सबसे अधिक जलवायु प्रभावित देश रहा है। रिपोर्ट बताती है कि पिछले 30 वर्षों में भारत में 80,000 से अधिक लोगों की जान गई है और 180 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की आर्थिक क्षति हुई है, जिसमें बाढ़, चक्रवात और अत्यधिक गर्मी जैसी घटनाएं प्रमुख रहीं।

जलवायु आपदाओं की तीव्रता और आवृत्ति

भारत ने तीन दशकों में 400 से अधिक प्रमुख मौसम आधारित आपदाओं का सामना किया है। इनमें 1998 का गुजरात चक्रवात, 1999 का ओडिशा सुपर साइक्लोन और 2013 की उत्तराखंड बाढ़ शामिल हैं। हर साल मानसूनी बाढ़ लाखों लोगों को विस्थापित करती है और कृषि, घरों तथा बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाती है। 2020 का चक्रवात अम्फान भी भारत की आपदा तैयारियों की परीक्षा बन गया था।

वैश्विक जलवायु जोखिम पर भारत की स्थिति

भारत की छठी रैंक यह दर्शाती है कि कम प्रति व्यक्ति उत्सर्जन के बावजूद भारत अत्यधिक जलवायु प्रभाव झेलता है। वैश्विक आंकड़ों के अनुसार, 9,400 से अधिक चरम मौसम घटनाएं हुई हैं, जिनसे 7.65 लाख मौतें और 4.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की क्षति हुई है। डोमिनिका, होंडुरास और चीन जैसे देश भी सूची में उच्च स्थान पर हैं, जो यह दर्शाता है कि विकासशील देश जलवायु परिवर्तन के सबसे बड़े शिकार हैं।

आर्थिक खतरे और भविष्य की आशंका

एशियाई विकास बैंक (ADB) के अनुसार यदि जलवायु कार्रवाई अपर्याप्त रही, तो 2070 तक भारत की GDP में लगभग 25% की गिरावट आ सकती है। यह पूर्वानुमान समुद्रस्तर वृद्धि, कृषि उत्पादकता में गिरावट, श्रमिक क्षमता में कमी और ऊर्जा लागत में वृद्धि जैसे कारकों पर आधारित है। रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के जलवायु नुकसान में से 56% तूफानों और 32% बाढ़ों से हुआ है।

रिपोर्ट की सिफारिशें और जोखिम निष्कर्ष

जर्मनवॉच रिपोर्ट में बताया गया कि निम्नमध्यम आय वाले देश, जैसे भारत, सीमित वित्त और प्रौद्योगिकी के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसलिए रिपोर्ट में पूर्व चेतावनी प्रणाली, आपदा प्रबंधन रणनीतियाँ और वित्तीय सहायता की अनुशंसा की गई है, जिससे भारत जैसे देशों को अनुकूलन (Adaptation) में मदद मिल सके।

वैश्विक जलवायु न्याय की मांग

रिपोर्ट के निष्कर्षों ने COP29 जैसे वैश्विक मंचों पर विकसित देशों द्वारा जलवायु वित्त वादों को पूरा करने की मांग को बल दिया है। विश्व आर्थिक मंच (WEF) 2025 ने भी चरम मौसम को दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक खतरा बताया है। जर्मनवॉच ने यह दोहराया कि उच्च उत्सर्जन वाले देशों को हरित प्रौद्योगिकी और वित्तीय मदद के माध्यम से विकासशील देशों की सहायता करनी चाहिए।

स्थैतिक सामान्य ज्ञान सारांश (STATIC GK SNAPSHOT)

विषय विवरण
रिपोर्ट शीर्षक जर्मनवॉच जलवायु जोखिम सूचकांक
भारत की रैंक (1993–2022) वैश्विक स्तर पर 6वीं
भारत में मौतें 80,000+
भारत की कुल जलवायु क्षति 180 अरब अमेरिकी डॉलर
प्रमुख आपदाएँ गुजरात चक्रवात (1998), ओडिशा सुपर साइक्लोन (1999), अम्फान (2020), उत्तराखंड बाढ़ (2013)
तूफान से नुकसान 56%
बाढ़ से नुकसान 32%
GDP में अनुमानित गिरावट (2070) 24.7% (ADB)
वैश्विक असर 9,400 घटनाएँ, 7.65 लाख मौतें, 4.2 ट्रिलियन डॉलर की क्षति
प्रमुख वैश्विक मंच COP29, विश्व आर्थिक मंच (WEF) 2025
Germanwatch Report Flags India’s High Climate Vulnerability
  1. Germanwatch Climate Risk Index 2025 में भारत को 6वाँ स्थान मिला है, जो सबसे अधिक जलवायु प्रभावित देशों में शामिल है।
  2. 1993 से 2022 के बीच भारत में 80,000 से अधिक मौतें जलवायु आपदाओं से हुई हैं।
  3. भारत को जलवायु आपदाओं से आर्थिक नुकसान USD 180 अरब से अधिक हुआ है।
  4. भारत ने 400 से अधिक चरम मौसम घटनाओं का सामना किया, जिनमें बाढ़, चक्रवात, और लू शामिल हैं।
  5. प्रमुख आपदाओं में गुजरात चक्रवात (1998), ओडिशा सुपर साइक्लोन (1999) और अंफान चक्रवात (2020) शामिल हैं।
  6. मानसून बाढ़ हर साल प्रवासन और संपत्ति का नुकसान का कारण बनती हैं।
  7. भारत के जलवायु नुकसान का 56% हिस्सा तूफ़ानों से और 32% बाढ़ों से संबंधित है।
  8. एशियाई विकास बैंक (ADB) के अनुसार, 2070 तक जलवायु निष्क्रियता से भारत की GDP में7% की गिरावट हो सकती है।
  9. वैश्विक स्तर पर 9,400 जलवायु घटनाओं में 65 लाख मौतें और $4.2 ट्रिलियन का नुकसान हुआ।
  10. डोमिनिका, होंडुरास और चीन अन्य उच्च जोखिम वाले देश हैं।
  11. रिपोर्ट के अनुसार, भारत जैसे निम्नमध्यम आय वाले देश जलवायु जोखिम के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं।
  12. विकासशील देशों के पास अनुकूलन तकनीक और जलवायु वित्त की कमी है।
  13. रिपोर्ट ने भारत को पूर्व चेतावनी प्रणाली और आपदा तैयारी को मजबूत करने की सिफारिश की है।
  14. भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन कम है, फिर भी जलवायु जोखिम उच्च बना हुआ है।
  15. भारत COP29 सम्मेलन में मजबूत जलवायु वित्त प्रतिबद्धताओं की मांग करने वाला प्रमुख देश है।
  16. विश्व आर्थिक मंच 2025 ने चरम मौसम को दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक खतरा बताया है।
  17. Germanwatch ने वैश्विक दक्षिण के लिए जलवायु न्याय और तकनीकी हस्तांतरण की माँग की है।
  18. भारत में सुदृढ़ बुनियादी ढाँचे के लिए हानि और क्षति निधि आवश्यक है।
  19. शहरी क्षेत्रों में योजना की कमी और जनसंख्या वृद्धि के कारण संकट और बढ़ा है।
  20. भारत को हरित अवसंरचना और नीतियों के क्रियान्वयन को मजबूत कर जोखिमों को कम करना होगा।

Q1. जर्मनवॉच क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (1993–2022) में भारत का रैंक क्या है?


Q2. ADB के अनुसार, यदि जलवायु कार्रवाई कमजोर रही, तो भारत को 2070 तक GDP का कितना नुकसान हो सकता है?


Q3. भारत में जलवायु संबंधी कुल क्षतियों में से 56% किस आपदा के कारण हुई?


Q4. 2025 में किस वैश्विक मंच ने जलवायु नुकसान और क्षतिपूर्ति को प्राथमिकता दी?


Q5. रिपोर्ट में वैश्विक रूप से कितनी चरम मौसम घटनाएं दर्ज की गईं?


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Daily Current Affairs February 14

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