जुलाई 18, 2025 10:45 अपराह्न

भारत में ZSI ने खोजे छह नई बीटल प्रजातियाँ

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Six New Beetle Species Discovered by ZSI in India

भारत के कीट अनुसंधान में महत्वपूर्ण खोज

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI) और जर्मनी के म्यूज़ियम . कोएनिग ने मिलकर 2025 में सेरिसिनी उपकुल की छह नई स्कैरैब बीटल प्रजातियों की खोज की है। इन खोजों को प्रतिष्ठित Zootaxa पत्रिका में प्रकाशित किया गया, जिससे भारत की अपर्याप्त रूप से खोजी गई कीट विविधता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। ये खोजें भारत के सुदूर जैविक आवासों के पारिस्थितिकीय महत्व को दोहराती हैं और उन्हें संरक्षित रखने की तात्कालिक आवश्यकता को उजागर करती हैं।

नई बीटल प्रजातियाँ: केरल से मिज़ोरम तक

नवीन बीटल प्रजातियाँ पूर्वोत्तर भारत और पश्चिमी घाट, जो दोनों वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट हैं, से पहचानी गईं। प्रमुख खोजों में शामिल हैं:

  • Maladera champhaiensis – मिज़ोरम
  • Neoserica churachandpurensis – मणिपुर
  • Maladera onam – केरल
  • Maladera barasingha, Maladera lumlaensis, Serica subansiriensis – अरुणाचल प्रदेश

इन प्रजातियों के नाम प्रायः क्षेत्रीय पहचान या विशिष्ट शारीरिक लक्षणों पर आधारित होते हैं, जैसे Maladera barasingha, जिसे भारतीय दलदली हिरण (बारहसिंगा) के नाम पर रखा गया।

जैव विविधता के लिए ये क्षेत्र क्यों महत्वपूर्ण हैं?

इनमें से अधिकांश बीटल हिमालयी जैव विविधता हॉटस्पॉट के अंतर्गत पूर्वोत्तर भारत में पाई गईं। यह क्षेत्र अपने पारिस्थितिकीय संवेदनशीलता और स्थानिकता के लिए प्रसिद्ध है और इसमें कई ऐसे जीव हैं जो दुनिया में और कहीं नहीं पाए जाते। वहीं, पश्चिमी घाट, जो एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, में पाई गई Maladera onam इस क्षेत्र की जैविक विविधता को दर्शाती है। शहरीकरण, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते दबावों से ये आवास खतरे में हैं, जिससे इनकी संरक्षण की अनिवार्यता स्पष्ट होती है।

बीटल, पारिस्थितिकी तंत्र और कृषि

बीटल केवल मिट्टी में रेंगने वाले छोटे जीव नहीं हैं। सेरिसिनी स्कैरैब उपकुल की कुछ प्रजातियाँ गन्ना और मक्का जैसी फसलों को नुकसान पहुँचाने वाले कृषि कीटों के रूप में जानी जाती हैं। दूसरी ओर, कुछ प्रजातियाँ सजैव पदार्थों का विघटन करके मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती हैं। इन बीटल्स की समय रहते पहचान, पर्यावरणअनुकूल कीट नियंत्रण रणनीतियों को अपनाने में सहायक हो सकती है, जिससे हानिकारक रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग कम हो सके और सतत कृषि को बढ़ावा मिले।

आगे की राह: संरक्षण और जन-जागरूकता

यह खोज केवल प्रजातियों की सूची बनाने तक सीमित नहीं है – यह भारत के समृद्ध पारिस्थितिक तानेबाने को समझने और संरक्षित करने की दिशा में एक कदम है। वैज्ञानिकों ने विशेष रूप से कम खोजे गए क्षेत्रों में व्यापक सैंपलिंग और स्थानीय समुदाय की भागीदारी की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। इन बीटल्स की रक्षा का अर्थ है – जंगलों, नदियों और आजीविका की रक्षा करना। जैसे-जैसे जलवायु संकट गहराता जा रहा है, इस प्रकार का ज्ञान लचीली संरक्षण नीतियाँ बनाने के लिए अत्यंत आवश्यक बन गया है।

STATIC GK SNAPSHOT

विषय विवरण
अनुसंधान संस्थाएँ भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI) और म्यूज़ियम ए. कोएनिग (जर्मनी)
प्रकाशन Zootaxa
खोजी गई बीटल प्रजातियाँ 6
उपकुल सेरिसिनी (स्कैरैब बीटल्स)
प्रमुख क्षेत्र मिज़ोरम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, केरल
जैव विविधता हॉटस्पॉट हिमालय और पश्चिमी घाट
महत्व कीट नियंत्रण, मृदा स्वास्थ्य, जैव विविधता ज्ञान

 

Six New Beetle Species Discovered by ZSI in India
  1. भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI) और जर्मनी के म्यूजियम . कोएनिग ने वर्ष 2025 में 6 नई बीटल प्रजातियों की खोज की।
  2. यह अध्ययन प्रतिष्ठित ‘Zootaxa’ जर्नल में प्रकाशित हुआ।
  3. खोजी गई बीटल Scarab बीटल के Sericinae उपवंश से संबंधित हैं।
  4. ये प्रजातियाँ पूर्वोत्तर भारत और पश्चिमी घाट क्षेत्र में पाई गईं।
  5. Maladera champhaiensis को मिजोरम में खोजा गया।
  6. Neoserica churachandpurensis मणिपुर में मिली।
  7. Maladera onam केरल में पाई गई।
  8. Maladera barasingha, जिसे भारतीय दलदली हिरण (बारासिंगा) के नाम पर नामित किया गया, अरुणाचल प्रदेश में खोजी गई।
  9. Maladera lumlaensis और Serica subansiriensis भी अरुणाचल प्रदेश में पाए गए।
  10. ये बीटल प्रजातियाँ हिमालय और पश्चिमी घाट जैसे जैव विविधता हॉटस्पॉट में मिलीं।
  11. पश्चिमी घाट एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
  12. खोज से स्पष्ट होता है कि संवेदनशील क्षेत्रों में आवास संरक्षण आवश्यक है।
  13. इस उपवंश की कुछ बीटलें कृषि कीट के रूप में फसलों को नुकसान पहुंचाती हैं।
  14. जबकि अन्य बीटलें जैविक पदार्थ को विघटित कर मिट्टी की सेहत सुधारती हैं।
  15. बीटल की जल्दी पहचान से इकोफ्रेंडली कीट नियंत्रण संभव होता है।
  16. यह अध्ययन कीटनाशकों के कम उपयोग के साथ सतत कृषि को बढ़ावा देता है।
  17. यह खोज भारत की अल्पखोजी गई कीट विविधता को उजागर करती है।
  18. इन क्षेत्रों में कई स्थानिक (endemic) प्रजातियाँ पाई जाती हैं जो दुनिया में और कहीं नहीं मिलतीं।
  19. शोधकर्ताओं ने नमूनाकरण को बढ़ाने और सामुदायिक संरक्षण की मांग की है।
  20. यह खोज भारत की पारिस्थितिक और जैव विविधता समझ को और सुदृढ़ बनाती है।

 

Q1. 2025 में ZSI द्वारा कितनी नई बीटल प्रजातियों की खोज की गई?


Q2. बीटल की खोज से संबंधित लेख किस जर्नल में प्रकाशित हुआ था?


Q3. बीटल की खोज में भारत के कौन से जैव विविधता हॉटस्पॉट शामिल थे?


Q4. निम्न में से कौन सी बीटल प्रजाति केरल में खोजी गई थी?


Q5. सेरिसीनी जैसी स्कारैब बीटल का अध्ययन करने का एक प्रमुख लाभ क्या है?


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