विधायी इतिहास में अभूतपूर्व कदम
11 अप्रैल 2025 को तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल या राष्ट्रपति की स्वीकृति के बिना 10 अधिनियमों को राज्य राजपत्र में अधिसूचित किया। यह निर्णय भारतीय विधायी इतिहास में पहला ऐसा उदाहरण है और यह सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के आधार पर लिया गया, जिसने राज्यपालों की विवेकाधीन शक्तियों को फिर से परिभाषित किया।
विश्वविद्यालय प्रशासन से जुड़े अधिनियम
इन अधिनियमों में अधिकांश का संबंध राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति से है। पहले यह अधिकार राज्यपाल (कुलाधिपति के रूप में) के पास था। अब यह तमिलनाडु सरकार को हस्तांतरित कर दिया गया है। इन 10 अधिसूचित अधिनियमों में 2020 से 2023 तक के तमिलनाडु मत्स्य विश्वविद्यालय अधिनियम, पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय अधिनियम, डॉ. अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय अधिनियम और डॉ. एम.जी.आर. मेडिकल विश्वविद्यालय अधिनियम शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट का परिवर्तनकारी फैसला
इस ऐतिहासिक विधायी कदम को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से बल मिला, जिसमें कहा गया कि राज्यपाल की निष्क्रियता असंवैधानिक है। अदालत ने यह भी कहा कि राज्यपाल को किसी भी विधेयक पर 1 से 3 महीनों के भीतर कार्यवाही करनी होगी—चाहे वह स्वीकृति देना हो, उसे रोकना हो, या राष्ट्रपति के पास भेजना हो। इससे भी अहम बात यह थी कि कोर्ट ने “मानी गई स्वीकृति (deemed assent)” की अवधारणा को भी वैध ठहराया।
राष्ट्रीय प्रभाव और भविष्य की दिशा
यह फैसला केवल तमिलनाडु ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए बाध्यकारी मिसाल बन गया है। अब राज्यपालों को विधेयकों पर कार्यवाही के लिए कानूनी समयसीमा में बंधना होगा। इससे अन्य राज्यों में रुके हुए विधेयकों पर भी प्रगति संभव हो सकती है। साथ ही, अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के निर्णय अब न्यायिक समीक्षा के दायरे में भी आ सकते हैं।
संवैधानिक पीठ को लेकर विवाद
इस फैसले की व्यापक सराहना के बावजूद, संवैधानिक वैधता पर बहस भी छिड़ी। आलोचकों का कहना है कि इतना महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दा केवल दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा नहीं, बल्कि अनुच्छेद 145(3) के अनुसार पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा सुना जाना चाहिए था। फिर भी, यह फैसला संघीय ढांचे, न्यायिक निगरानी और विधायी स्वतंत्रता के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण बना हुआ है।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
अधिसूचना तिथि | 11 अप्रैल 2025 |
अधिसूचित अधिनियमों की संख्या | 10 |
राज्यपाल की स्वीकृति | नहीं दी गई; सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के तहत अधिसूचित |
मुख्य विषय | राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्ति |
संबंधित संविधान अनुच्छेद | अनुच्छेद 200 – विधेयकों पर स्वीकृति |
सुप्रीम कोर्ट निर्देश | 1–3 माह की समयसीमा, मानी गई स्वीकृति की धारणा |
सम्बंधित राज्य | तमिलनाडु |
प्रभाव | संघीय ढांचे पर प्रभाव, न्यायिक नियंत्रण, विधायी स्वायत्तता |