वैश्विक फार्मा क्षेत्र में भारत की स्थिति
भारत, किफायती और आवश्यक दवाओं का एक प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। 2023 में, भारत ने वैश्विक औषधि निर्यात में 11वां स्थान प्राप्त किया और कुल वैश्विक फार्मा निर्यात में 3% का योगदान दिया। ‘विश्व की फार्मेसी’ कहलाया जाने वाला भारत 200 से अधिक देशों—जैसे अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, और यूनाइटेड किंगडम—को दवाएं निर्यात करता है। इस वैश्विक उपस्थिति के कारण गुणवत्ता और नियामकीय निगरानी अत्यंत आवश्यक हो जाती है।
निरीक्षणों के माध्यम से दवा सुरक्षा सुनिश्चित करना
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और राज्य नियामकों ने मिलकर दिसंबर 2022 में जोखिम–आधारित निरीक्षण की शुरुआत की। 905 दवा निर्माण इकाइयों में से 694 पर कार्रवाई की गई—जिसमें उत्पादन रुकवाना, परीक्षण स्थगित करना, और लाइसेंस निलंबित करना शामिल था। इन निरीक्षणों का उद्देश्य गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावशीलता मानकों का पालन सुनिश्चित करना है।
सशक्त नियम और कानूनी संशोधन
सरकार ने औषधि कानूनों को आधुनिक बनाने के लिए कई उपाय लागू किए हैं। 1945 के औषधि नियमों में Schedule M संशोधित कर सख्त GMP (Good Manufacturing Practices) को लागू किया गया है। 29 जून 2024 से, ₹250 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले संस्थानों के लिए यह अनिवार्य है, जबकि अन्य को 31 दिसंबर 2025 तक का समय दिया गया है।
1 अगस्त 2023 से, शीर्ष 300 ब्रांडेड दवाओं पर QR कोड अनिवार्य किया गया है। API (Active Pharmaceutical Ingredients) पर QR कोड 18 जनवरी 2022 से लागू है। 1 मार्च 2021 से, दवा विक्रेताओं को भी उत्पाद गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार माना गया है।
नकली दवाओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई
नकली और मिलावटी दवाओं की समस्या से निपटने के लिए 1940 का औषधि और सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम 2008 में संशोधित किया गया। अब कुछ उल्लंघनों को गंभीर और गैर–जमानती अपराध माना जाता है। तेजी से सुनवाई के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना भी की गई है।
निर्माण और परीक्षण में उच्च मानक
अब जैव समतुल्यता अध्ययन (Bioequivalence Study) को मौखिक दवाओं के निर्माण लाइसेंस से पहले अनिवार्य किया गया है। निर्माताओं को घटक की स्थिरता और सुरक्षा डेटा भी राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण को देना होता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि जेनरिक दवाएं भी ब्रांडेड दवाओं जितनी प्रभावी और सुरक्षित हों।
प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
अप्रैल 2023 से, भारत ने 35,000 से अधिक पेशेवरों को GMP में प्रशिक्षित किया है। इसमें आवासीय और क्षेत्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम, निर्माताओं, नियामकों और दवा निरीक्षकों के लिए आयोजित किए गए। CDSCO और राज्य प्राधिकरणों के बीच समन्वय को भी Drugs Consultative Committee द्वारा मजबूत किया जा रहा है।
STATIC GK SNAPSHOT FOR EXAMS (हिंदी में)
विषय | तथ्य |
भारत की फार्मा निर्यात रैंक (2023) | वैश्विक स्तर पर 11वीं |
वैश्विक फार्मा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी | 3% |
CDSCO का पूर्ण रूप | Central Drugs Standard Control Organisation |
जोखिम–आधारित निरीक्षण शुरू | दिसंबर 2022 |
Schedule M अनुपालन की समयसीमा | 29 जून 2024 (बड़ी कंपनियाँ), 31 दिसंबर 2025 (अन्य) |
शीर्ष 300 दवाओं पर QR कोड | 1 अगस्त 2023 से अनिवार्य |
API पर QR कोड | 18 जनवरी 2022 से |
नकली दवाओं पर दंड | 2008 संशोधन के बाद गैर-जमानती अपराध |
जैव समतुल्यता अध्ययन अनिवार्यता | निर्माण लाइसेंस से पहले मौखिक दवाओं के लिए |
प्रशिक्षित पेशेवर (2023–2025) | 35,000+ (GMP मानकों में) |