जब तकनीक और प्रकृति का हुआ मिलन
तमिलनाडु की कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित निगरानी प्रणाली, जो फरवरी 2024 में शुरू की गई, ने अब तक एक भी हाथी की ट्रेन से मौत नहीं होने दी। यह प्रणाली उच्च जोखिम वाले पलक्कड़–कोयंबटूर रेलवे खंड पर स्थापित की गई है और थर्मल कैमरा तथा मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करती है, जिससे वास्तविक समय में हाथियों का पता चल जाता है। अब तक 2,500 से अधिक सुरक्षित पार, और हजारों जानें—मानव और पशु—बचाई जा चुकी हैं।
हाथियों को क्यों था खतरा?
पश्चिमी घाट, जो एक जैव विविधता हॉटस्पॉट है, वहीं यह हाथियों का मौसमी प्रवास मार्ग भी है, जो नीलगिरी, सत्यमंगलम और केरल के वन क्षेत्रों के बीच आता-जाता है। इन्फ्रास्ट्रक्चर और भूमि विकास के कारण पारंपरिक हाथी गलियारों में बाधा आ रही थी। कोयंबटूर वन प्रभाग ने इस रेलवे खंड को हाथियों के लिए मृत्यु–जाल के रूप में चिह्नित किया था, जहाँ अक्सर दुर्घटनाएं होती थीं।
एआई निगरानी प्रणाली के भीतर की प्रक्रिया
₹7.24 करोड़ की लागत से स्थापित इस प्रणाली में, लगभग एक दर्जन थर्मल कैमरे रणनीतिक स्थानों पर लगाए गए हैं। ये कैमरे 24 घंटे चालू रहते हैं और संकेत स्थानीय प्रशिक्षित युवाओं द्वारा संचालित कमांड सेंटर को भेजते हैं। जैसे ही कोई हाथी पटरी से 100 फीट के भीतर आता है, ट्रेन चालकों को तत्काल चेतावनी भेजी जाती है ताकि वे ट्रेन को धीमा कर सकें या रोक सकें। अब तक इस प्रणाली ने 5,000 से अधिक संभावित टकरावों को टाल दिया है।
आज की सफलता, कल की बड़ी योजना
इस प्रणाली की शुरुआत के बाद से अब तक कोई भी हाथी की मृत्यु नहीं हुई, जो उन क्षेत्रों के लिए अभूतपूर्व उपलब्धि है जहाँ पहले लगातार हादसे होते थे। इस सफलता को देखते हुए, तमिलनाडु सरकार अब इसे होसूर, धर्मपुरी और अन्य दो क्षेत्रों में भी विस्तार देने की योजना बना रही है, जहाँ हाथियों की आवाजाही होती है। यह कदम मानव–पशु संघर्ष को कम करने के प्रयासों को और मज़बूती देगा।
वन्यजीव संरक्षण का नया युग
यह पहल सिर्फ हाथियों को बचाने तक सीमित नहीं है—बल्कि यह भारत में वन्यजीव संरक्षण की नई परिभाषा पेश करती है। इसने साबित कर दिया कि आधुनिक तकनीक, वन अधिकारी, स्थानीय समुदाय और रेलवे सेवा एक साथ मिलकर लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा कर सकते हैं। तमिलनाडु ने यह दिखा दिया है कि डेटा–संचालित निगरानी और त्वरित मानवीय प्रतिक्रिया के संयोजन से, प्रगति को रोके बिना पर्यावरण की रक्षा संभव है।
STATIC GK SNAPSHOT FOR EXAMS (हिंदी में)
विषय | विवरण |
एआई हाथी सुरक्षा परियोजना की शुरुआत | फरवरी 2024 |
प्रभावित राज्य और क्षेत्र | तमिलनाडु (पलक्कड़–कोयंबटूर खंड) |
कुल लागत | ₹7.24 करोड़ |
प्रमुख तकनीक | थर्मल कैमरे, एआई-सक्षम चेतावनियाँ |
अब तक जारी चेतावनियाँ | 5,000+ |
सफल हाथी पार | लगभग 2,500 |
योजना का विस्तार | होसूर, धर्मपुरी और अन्य 2 क्षेत्र |
संबंधित वन प्रभाग | कोयंबटूर वन प्रभाग |