कृषि क्षेत्र में MIS की भूमिका को समझना
मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS), पीएम–आशा योजना के तहत एक प्रमुख सुरक्षा उपाय है, जो किसानों को बाजार की अस्थिरता से बचाने के लिए बनाई गई है। जब तेज़ी से खराब होने वाली कृषि उपज के दाम एक न्यूनतम स्तर से नीचे गिर जाते हैं, विशेषकर बंपर फसल के दौरान, तब यह योजना सक्रिय की जाती है। इसे किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की सरकार द्वारा औपचारिक अनुरोध पर लागू किया जाता है।
प्रमुख उद्देश्य और विशेषताएं
MIS का मुख्य उद्देश्य किसानों को कमी दामों के कारण नुकसान से बचाना और डिस्ट्रेस सेल को रोकना है। यह योजना विशेष रूप से टमाटर, प्याज, आलू जैसी फसलों पर केंद्रित है, जिनकी कीमतें तेज़ी से गिरती हैं। नई संशोधित दिशानिर्देशों में खरीद की सीमा को कुल उत्पादन का 25% तक बढ़ाया गया है और जहां संभव न हो वहां प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) की व्यवस्था की गई है।
योजना कब और कैसे सक्रिय होती है
MIS एक सार्वभौमिक नीति नहीं है, बल्कि इसे विशिष्ट परिस्थितियों में ही लागू किया जाता है। यदि किसी फसल की कीमत पिछले वर्ष की तुलना में 10% या उससे अधिक गिरती है, तभी योजना लागू की जाती है। इसके बाद या तो सरकार फसल की खरीद करती है या किसानों को बाजार मूल्य और मार्केट इंटरवेंशन प्राइस (MIP) के बीच का अंतर दिया जाता है।
राज्यों के बीच मूल्य अंतर और परिवहन सहायता
कई बार उत्पादक और उपभोक्ता राज्यों में मूल्य का अंतर होता है। इसे ध्यान में रखते हुए NAFED और NCCF जैसी एजेंसियों को परिवहन और भंडारण लागत को कवर करने की अनुमति दी जाती है। हाल ही में मध्य प्रदेश से दिल्ली तक 1000 मीट्रिक टन खरीफ टमाटर भेजे गए थे ताकि कीमतें संतुलित रहें और बर्बादी न हो।
कार्यान्वयन संरचना
राष्ट्रीय स्तर पर MIS की निगरानी कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा की जाती है और NAFED केंद्रीय खरीद एजेंसी होती है। राज्य सरकारें ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वयन में मदद करती हैं। योजना तब तक जारी रहती है जब तक बाजार मूल्य MIP से ऊपर नहीं चला जाता।
लागत-साझा मॉडल
योजना का व्यय केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 50:50 अनुपात में साझा किया जाता है। हालांकि, पूर्वोत्तर राज्यों के लिए केंद्र सरकार 75% लागत वहन करती है। यह योजना पूर्व अनुदान के बजाय प्रतिपूर्ति मॉडल पर आधारित है ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे।
किन-किन फसलों को कवर किया गया है
टमाटर और प्याज के अलावा योजना में सेब, संतरा, अंगूर, लहसुन और विभिन्न मसालों जैसी तेज़ी से खराब होने वाली फसलें भी शामिल हैं। यह विविधता सुनिश्चित करती है कि देश भर के किसान संकट काल में राहत पा सकें।
राज्य सरकारों की भूमिका
MIS की सफलता काफी हद तक राज्य सरकारों की पहल पर निर्भर करती है। वे बाजार संकट की पहचान, औपचारिक अनुरोध, और स्थानीय स्तर पर खरीद प्रक्रिया का प्रबंधन करती हैं। बिना उनकी भागीदारी के योजना सक्रिय नहीं हो सकती।
किसानों के लिए लाभ
MIS किसानों को न्यूनतम मूल्य की गारंटी देता है जिससे वे बाजार में कीमतों के उतार-चढ़ाव से सुरक्षित रहते हैं। यह वित्तीय अनिश्चितता को कम करता है, कृषक मनोबल को बढ़ाता है, और सतत कृषि प्रथाओं को प्रोत्साहित करता है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान (STATIC GK SNAPSHOT)
विषय | विवरण |
योजना का नाम | मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS) |
संबंधित योजना | पीएम-आशा (PM-AASHA) |
फोकस | तेजी से खराब होने वाली फसलों के लिए मूल्य समर्थन |
प्रमुख एजेंसी | NAFED |
सक्रिय होने की शर्त | पिछले वर्ष की तुलना में कम से कम 10% मूल्य गिरावट |
खरीद सीमा | कुल उत्पादन का 25% तक |
लागत-साझा मॉडल | केंद्र:राज्य = 50:50 (पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 75:25) |
परिवहन सहायता एजेंसियां | NAFED, NCCF |
कवर की गई फसलें | टमाटर, प्याज, आलू, सेब, अंगूर, संतरा, मसाले |
राज्य सरकार की भूमिका | संकट की पहचान, आवेदन, और स्थानीय खरीद कार्यान्वयन |