गुजरात में इस कानून का महत्व
गुजरात जैसे राज्य में, जहां अतीत में सांप्रदायिक तनावों ने सामाजिक ढांचे को प्रभावित किया है, डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट उन क्षेत्रों में संपत्ति खरीद-फरोख्त को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस कानून का उद्देश्य सांप्रदायिक संतुलन बनाए रखना है ताकि किसी इलाके में जनसांख्यिकीय बदलाव से तनाव या ध्रुवीकरण ना हो। 2020 में हुए संशोधनों के बाद, इस कानून की पहुंच और प्रशासनिक शक्तियां और भी सख्त हो गई हैं।
कानून का मूल उद्देश्य क्या है?
यह अधिनियम उन इलाकों में अचल संपत्ति जैसे मकान या जमीन के लेन-देन को नियंत्रित करता है, जिन्हें सांप्रदायिक दंगों या धार्मिक तनावों से प्रभावित माना गया है। ऐसे क्षेत्र को “डिस्टर्ब्ड” घोषित करने का अधिकार जिला कलेक्टर को होता है। ऐसे क्षेत्र में कोई भी संपत्ति बेचना या स्थानांतरित करना कलेक्टर की पूर्व अनुमति के बिना अवैध माना जाता है।
विक्रेताओं और खरीदारों को क्या करना होता है?
यदि कोई व्यक्ति डिस्टर्ब्ड एरिया में अपनी संपत्ति बेचना चाहता है, तो उसे कलेक्टर को आवेदन देना होता है, जिसमें यह शपथपत्र भी देना होता है कि सौदा स्वैच्छिक है और मूल्य बाजार दर के अनुरूप है। कलेक्टर इस पर जांच करते हैं, दोनों पक्षों को सुनते हैं और इलाके के सामाजिक संतुलन पर प्रभाव का आकलन करते हैं। केवल स्वीकृति मिलने पर बिक्री वैध मानी जाती है।
उल्लंघन पर दंड
कलेक्टर की अनुमति के बिना संपत्ति बेचना दंडनीय अपराध है। दोषियों को 6 महीने से 5 साल तक की सजा हो सकती है। इसका उद्देश्य सांप्रदायिक तनाव या राजनीतिक-सामाजिक ध्रुवीकरण को रोकना है।
2020 के संशोधन: और सख्त प्रावधान
2020 में हुए संशोधनों के तहत कलेक्टर को यह अधिकार दिया गया कि वह न केवल सौदे की जांच करें, बल्कि यह भी देखें कि इससे क्या “क्लस्टरिंग” हो रही है—यानी एक समुदाय धीरे-धीरे दूसरे को विस्थापित कर रहा है। अब राज्य सरकार भी कलेक्टर के निर्णय की स्वतः समीक्षा कर सकती है, भले ही कोई अपील न की गई हो।
न्यायिक विवाद और अदालती हस्तक्षेप
गुजरात उच्च न्यायालय में इस कानून को लेकर कई मुकदमे हुए हैं, विशेष रूप से वडोदरा में, जहां पड़ोसियों ने सौदों का विरोध किया, यह कहते हुए कि इससे साम्प्रदायिक असंतुलन होगा। कुछ मामलों में अदालत ने कलेक्टर की शक्ति को उचित ठहराया, तो कुछ में निजी संपत्ति अधिकारों की स्वतंत्रता पर चिंता जताई गई। यह बहस अब भी जारी है।
किन क्षेत्रों में यह कानून लागू है?
वर्तमान में यह अधिनियम अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और आनंद जिले में लागू है। इसके विस्तार से स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार संपत्ति सौदों को साम्प्रदायिक औजार बनने से रोकना चाहती है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान झलक (STATIC GK SNAPSHOT)
विषय | विवरण |
अधिनियम का नाम | गुजरात डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट |
प्रारंभ वर्ष | 1991 (संशोधन: 2020) |
उद्देश्य | सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में संपत्ति सौदों का नियमन |
अनुमति देने वाला अधिकारी | जिला कलेक्टर |
दंड | 6 महीने से 5 साल तक की सजा |
संशोधन वर्ष | 2020 – कलेक्टर की शक्ति बढ़ाई गई |
लागू प्रमुख शहर | अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, आनंद |
कानूनी विवाद | गुजरात उच्च न्यायालय – वडोदरा में संपत्ति बिक्री पर आपत्ति |
शासन उद्देश्य | सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना और जनसांख्यिकीय असंतुलन रोकना |