संकट में एक ऐतिहासिक धरोहर
राजस्थान का चित्तौड़गढ़ किला, जो राजपूत वीरता और गौरव का प्रतीक है, जल्द ही खनन गतिविधियों से संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जा सकता है। राज्य सरकार किले की 10 किमी परिधि के भीतर खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है। यह निर्णय वर्षों से चल रही कानूनी लड़ाइयों और विशेषज्ञ चेतावनियों के बाद सामने आया है, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की संरचनात्मक और पर्यावरणीय सुरक्षा को लेकर जताई गई थीं।
कानूनी विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा
इस मामले की शुरुआत 2012 में राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा लगाए गए खनन प्रतिबंध से हुई थी। परंतु बिरला कॉर्पोरेशन लिमिटेड, जो इस क्षेत्र में एक प्रमुख चूना पत्थर खनन कंपनी है, ने इस निर्णय को चुनौती दी। मामला अब सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट ने 2024 में IIT–ISM धनबाद से वैज्ञानिक प्रभाव अध्ययन करवाने का आदेश दिया ताकि खनन से होने वाले नुकसान का आकलन किया जा सके।
विरोधाभासी रिपोर्टें और आलोचना
IIT–ISM धनबाद की जनवरी 2024 की रिपोर्ट में दावा किया गया कि 5 किमी से बाहर नियंत्रित विस्फोट सुरक्षित हैं। लेकिन संरक्षण विशेषज्ञों और विरासत संगठनकर्ताओं ने इस दावे की आलोचना की। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में मानक विस्फोट प्रभाव विश्लेषण नहीं किया गया और क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना का पर्याप्त अध्ययन भी नहीं हुआ। “नियंत्रित विस्फोट” जैसी शब्दावली की अस्पष्टता और अमल की व्यवहार्यता पर भी सवाल उठे।
संस्थागत विरोध और पर्यावरणीय क्षति
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) दोनों ने किले के पास खनन का विरोध किया है। उन्होंने चेताया कि चित्तौड़गढ़ किला अपनी प्राचीन और नाजुक संरचना के कारण हल्के कंपन से भी नुकसान झेल सकता है। साथ ही पर्यावरणीय रिपोर्टों में बेडाच और गम्भीरी नदियों में खनन के कारण प्रदूषण और पारिस्थितिक असंतुलन की पुष्टि हुई है—जो जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 का उल्लंघन है।
खनन की तीव्र गति से बढ़ती चिंता
चित्तौड़गढ़ जिले में खनन एक बड़ा आर्थिक उद्योग है। यहाँ लगभग 4,360 हेक्टेयर भूमि पर लाइमस्टोन खनन पट्टे फैले हैं, जिससे सालाना 11 मिलियन टन से अधिक उत्पादन होता है। माइनर मिनरल्स से 5.2 मिलियन टन अतिरिक्त उत्पादन होता है। इतनी बड़ी मात्रा में खनन, वह भी सदियों पुराने किले के पास, ने सख्त नियमन और दीर्घकालिक संरक्षण योजनाओं की ज़रूरत को रेखांकित किया है।
स्थैतिक जीके झलक (Static GK Snapshot)
विषय | विवरण |
स्मारक का नाम | चित्तौड़गढ़ किला |
स्थान | चित्तौड़गढ़, राजस्थान |
यूनेस्को स्थिति | 2013 में घोषित – राजस्थान के पहाड़ी किले श्रृंखला |
ऐतिहासिक महत्व | रानी पद्मिनी, राणा कुम्भा, राजपूत प्रतिरोध से जुड़ा |
किला क्षेत्रफल | 700 एकड़ (65 ऐतिहासिक संरचनाएं) |
कानूनी मामला प्रारंभ | राजस्थान हाई कोर्ट, 2012 |
वर्तमान कानूनी मंच | भारत का सुप्रीम कोर्ट |
वैज्ञानिक अध्ययन संस्था | IIT – ISM धनबाद |
प्रमुख विरोधी संस्थान | ASI, CBRI, पर्यावरण समूह |
प्रभावित स्थानीय नदियाँ | बेडाच और गम्भीरी |
प्रमुख खनन कंपनी | बिरला कॉर्पोरेशन लिमिटेड |
कुल खनन उत्पादन | 16.2 मिलियन टन/वर्ष (प्रमुख + गौण खनिज) |