विषाक्त गेहूं की आपूर्ति ने स्वास्थ्य अलर्ट बढ़ाया
पंजाब और हरियाणा से प्राप्त गेहूं, जिसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और राशन दुकानों के माध्यम से वितरित किया जा रहा है, में खतरनाक मात्रा में सेलेनियम पाया गया है। हाल के प्रयोगशाला परीक्षणों में अधधोया गेहूं में 14.52 मि.ग्रा./किग्रा और धोया गेहूं में 13.61 मि.ग्रा./किग्रा सेलेनियम स्तर पाया गया, जो मानव उपभोग के लिए स्वीकृत 1.9 मि.ग्रा./किग्रा की सीमा से कई गुना अधिक है। यह स्थिति खासकर रियायती अनाज पर निर्भर गरीब परिवारों के लिए गंभीर खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट उत्पन्न कर रही है।
सेलेनियम क्या है और इसकी अधिकता क्यों खतरनाक है?
सेलेनियम एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो थायरॉइड कार्य और ऑक्सीडेटिव तनाव से कोशिकाओं की रक्षा के लिए जरूरी होता है। लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन सेलेनोसिस नामक विषाक्तता को जन्म देता है, जिसके लक्षणों में बाल झड़ना, नाखूनों का टूटना, त्वचा पर चकत्ते और तंत्रिका संबंधी गड़बड़ियाँ शामिल हैं। भारत में गेहूं प्रमुख आहार का हिस्सा है, विशेषकर गरीब वर्ग के लिए, ऐसे में यह संदूषण लंबी अवधि की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
खाद्य श्रृंखला में सेलेनियम कैसे पहुँचा?
इस संदूषण का स्रोत प्राकृतिक है, जो पंजाब के कुछ हिस्सों से गुजरने वाली शिवालिक पर्वतमाला की भूगर्भीय परतों में मौजूद सेलेनियम युक्त चट्टानों से संबंधित है। मानसून के दौरान वर्षा जल इन चट्टानों को घोल देता है और सेलेनियम युक्त तलछट को खेतों में जमा कर देता है। यही जमा हुआ खनिज गेहूं की मिट्टी में घुलकर फसल तक पहुँच जाता है, जिससे अंततः फसल में सेलेनियम का स्तर बढ़ जाता है।
त्वरित सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता
PDS गेहूं देश के करोड़ों परिवारों को आपूर्ति किया जाता है, इसलिए नियामक संस्थाओं के लिए तत्काल निगरानी, जांच और नियंत्रण आवश्यक है। भारतीय खाद्य निगम (FCI) और संबंधित राज्य सरकारों को प्रत्येक बैच की जांच, स्रोतों का पुनर्मूल्यांकन, और वैकल्पिक सुरक्षित आपूर्ति पर जोर देना होगा। मिट्टी प्रबंधन, फसल चक्र परिवर्तन, नियंत्रित खरीद क्षेत्र और पूर्व–प्रसंस्करण तकनीक जैसी रणनीतियाँ भविष्य में ऐसे संकट को रोकने में सहायक हो सकती हैं।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
प्रभावित क्षेत्र | पंजाब और हरियाणा |
पाए गए सेलेनियम स्तर | 14.52 मि.ग्रा./किग्रा (अधधोया), 13.61 मि.ग्रा./किग्रा (धोया) |
स्वीकृत सीमा | 1.9 मि.ग्रा./किग्रा |
स्वास्थ्य जोखिम | सेलेनोसिस – बाल झड़ना, त्वचा क्षति, तंत्रिका विकार |
भूगर्भीय कारण | शिवालिक पर्वतमाला की सेलेनियम युक्त मिट्टी |
संदूषण का मार्ग | वर्षा जल द्वारा खनिज का खेतों तक पहुँचना |
प्रभावित वितरण प्रणाली | सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) / राशन दुकानों के माध्यम से |