जुलाई 20, 2025 12:52 अपराह्न

खालिस्तान आंदोलन और ब्रिटेन में इसका प्रवासी प्रभाव

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The Khalistan Movement and Its Diaspora Influence in the UK

ऐतिहासिक जड़ें और ब्रिटेन में सिख प्रवासी प्रभाव

खालिस्तान आंदोलन, जो एक अलग सिख राष्ट्र की माँग करता है, को भारत से बाहर सबसे अधिक समर्थन यूनाइटेड किंगडम में मिला है, जहाँ 2021 में 5.25 लाख से अधिक सिख रहते हैं। ब्रिटेन में सिख प्रवास 19वीं सदी के मध्य में शुरू हुआ था, लेकिन 1947 के विभाजन और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इसमें तेजी आई। अधिकांश सिख प्रवासी वेस्ट मिडलैंड्स और ग्रेटर लंदन क्षेत्रों में बसे और उन्होंने मजबूत सामुदायिक नेटवर्क बनाए, जिनमें गुरुद्वारे प्रमुख राजनीतिक केंद्र बन गए। जगजीत सिंह चौहान, जो खालिस्तान विचारधारा को विदेशों में प्रचारित करने वाले मुख्य व्यक्ति थे, ने ब्रिटेन में प्रचार अभियान, घोषणाएँ, और पाकिस्तानसमर्थित समर्थन के साथ इसे आगे बढ़ाया।

खालिस्तान की माँग और राजनीतिक टकराव

खालिस्तान की माँग को 1960 के दशक में बल मिला और यह 1980 के दशक के पंजाब उग्रवाद के दौरान चरम पर पहुँची। आंदोलन ने हिंसात्मक रूप तब लिया जब जरनैल सिंह भिंडरांवाले, एक कट्टर उपदेशक, ने ग्रामीण और गरीब सिख युवाओं को आकर्षित करना शुरू किया। उनका 1982 में स्वर्ण मंदिर पर कब्जा सरकार के खिलाफ खुले विद्रोह का प्रतीक बना। इसके जवाब में सरकार ने जून 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू किया, जिसमें भिंडरांवाले मारे गए, लेकिन इस सैन्य कार्रवाई ने दुनियाभर के सिखों की धार्मिक भावनाओं को गहरा ठेस पहुँचाई। इसके बाद एक दशक तक भारत में उग्रवाद जारी रहा, और 1990 के दशक के मध्य तक सिख उग्रवादी समूह भारत सरकार को निशाना बनाते रहे। हालाँकि भारत में इसे सैन्य रूप से दबा दिया गया, लेकिन प्रवासी सिखों में यह विचारधारा अब भी जीवित है।

ब्रिटेन में पुनरुत्थान और प्रवासी सक्रियता

हाल के वर्षों में ब्रिटेन में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है, जो प्रायः गुरुद्वारों के इर्द-गिर्द केंद्रित रहती हैं। सिख्स फॉर जस्टिस और खालिस्तान काउंसिल जैसे संगठन खालिस्तान जनमत संग्रह और रैलियों का आयोजन कर रहे हैं। 2025 में विदेश मंत्री एस. जयशंकर की लंदन यात्रा के दौरान ऐसे विरोध प्रदर्शनों से सुरक्षा में सेंध लगी। ब्रिटिश खुफिया रिपोर्टों और भारतीय विदेश मंत्रालय के बयानों में यह चिंता जताई गई है कि कुछ धार्मिक संस्थानों में कट्टरपंथ और बम बनाने की कथित ट्रेनिंग दी जा रही है, जो धार्मिक स्वतंत्रता की आड़ में उग्रवाद को बढ़ावा दे सकती है।

विवादास्पद जनमत संग्रह और कूटनीतिक तनाव

सिख्स फॉर जस्टिस द्वारा संचालित खालिस्तान जनमत संग्रह अभियान ने राजनीतिक विवाद उत्पन्न कर दिए हैं। यद्यपि इन जनमत संग्रहों को कानूनी मान्यता नहीं मिली है, लेकिन वे मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ दबाव बनाते हैं। इनकी वोटिंग प्रक्रिया, सहभागिता और वैधता को लेकर कई सवाल उठाए गए हैं। फिर भी यह प्रवासी समुदाय के उन वर्गों की सशक्तता को दर्शाते हैं जो खुद को भारतीय राज्य द्वारा उपेक्षित मानते हैं। भारत सरकार इस विषय में स्पष्ट है कि पंजाब भारत का अभिन्न हिस्सा है और ऐसे आंदोलन राष्ट्रीय एकता और अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा हैं।

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विषय विवरण
आंदोलन का नाम खालिस्तान आंदोलन
मूल माँग भारत (पंजाब) और पाकिस्तान के क्षेत्रों में अलग सिख राष्ट्र
प्रमुख नेता जगजीत सिंह चौहान, जरनैल सिंह भिंडरांवाले
प्रमुख सैन्य घटनाएँ ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984), ऑपरेशन ब्लैक थंडर
ब्रिटेन में सिख जनसंख्या (2021) 5.25 लाख+
प्रमुख संगठन सिख्स फॉर जस्टिस
प्रवासी गतिविधि केंद्र यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका
भारत की कार्रवाई उग्रवादी संगठनों पर प्रतिबंध, राजनयिक विरोध
स्वर्ण मंदिर कार्रवाई की तिथि जून 1984
प्रवासी कट्टरपंथ पर चिंता यूके खुफिया रिपोर्टें, भारतीय विदेश मंत्रालय की चेतावनियाँ

 

The Khalistan Movement and Its Diaspora Influence in the UK
  1. खालिस्तान आंदोलन पंजाब से अलग एक स्वतंत्र सिख राष्ट्र की मांग करता है।
  2. इस आंदोलन की जड़ें ब्रिटेन के सिख प्रवासी समुदाय में गहरी हैं, जहां 525,000 से अधिक सिख रहते हैं।
  3. जगजीत सिंह चौहान एक प्रमुख नेता थे, जिन्होंने ब्रिटेन से खालिस्तानी विचारधारा को बढ़ावा दिया।
  4. 1947 के विभाजन और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन में सिख प्रवास में वृद्धि हुई।
  5. जरनैल सिंह भिंडरांवाले 1980 के दशक में आंदोलन का उग्रवादी चेहरा बन गए।
  6. 1982 में स्वर्ण मंदिर पर कब्जा और उसके बाद जून 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार हुआ।
  7. 1984 की सैन्य कार्रवाई ने वैश्विक सिख समुदाय की भावनाओं को आहत किया और प्रवासी कट्टरपंथ को जन्म दिया।
  8. 1980 से 1990 के दशक के प्रारंभ तक पंजाब में उग्रवाद फैला रहा, जिसमें हिंसक घटनाएं हुईं।
  9. भारत में भले ही आंदोलन दबा दिया गया हो, पर प्रवासी सिख समुदायों में इसकी विचारधारा जीवित है।
  10. ब्रिटेन स्थित ‘Sikhs for Justice’ जैसे संगठन जनमत संग्रह और विरोध प्रदर्शन आयोजित करते हैं।
  11. 2025 में विदेश मंत्री एस. जयशंकर की ब्रिटेन यात्रा प्रोखालिस्तान प्रदर्शनों से बाधित हुई।
  12. ब्रिटेन की खुफिया रिपोर्ट्स में सिख धार्मिक संस्थानों में कट्टरपंथ की गतिविधियों की जानकारी दी गई है।
  13. इन रिपोर्टों में विस्फोटक प्रशिक्षण और धार्मिक आवरण में उग्रवाद के आरोप शामिल हैं।
  14. खालिस्तान जनमत संग्रह की कोई कानूनी मान्यता नहीं है, पर राजनयिक तनाव पैदा करता है।
  15. भारत सरकार का रुख स्पष्ट है कि पंजाब भारत का अभिन्न हिस्सा है।
  16. ऑपरेशन ब्लैक थंडर, ब्लू स्टार के बाद का एक और सैन्य अभियान था।
  17. ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका अब खालिस्तानी गतिविधियों के प्रमुख केंद्र हैं।
  18. स्वर्ण मंदिर पर सेना की कार्रवाई आज भी वैश्विक सिख संगठनों की प्रतीकात्मक शिकायत बनी हुई है।
  19. भारत सरकार ने कई खालिस्तानी संगठनों को प्रतिबंधित किया और राजनयिक विरोध दर्ज कराया।
  20. यह आंदोलन अब भारत की संप्रभुता और वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा माना जाता है।

 

Q1. ब्रिटेन से खालिस्तान आंदोलन को बढ़ावा देने वाले नेता कौन थे?


Q2. जून 1984 में स्वर्ण मंदिर में कौन-सा प्रमुख सैन्य अभियान चलाया गया था?


Q3. खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह आयोजित करने वाला प्रवासी समूह कौन-सा है?


Q4. 2021 के अनुसार यूनाइटेड किंगडम में सिखों की अनुमानित जनसंख्या कितनी है?


Q5. भारत में कौन-सा मंत्रालय ब्रिटेन में हो रहे उग्रवाद पर सार्वजनिक रूप से चिंता जता चुका है?


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