पशु स्वास्थ्य सेवा के माध्यम से किसानों को सहारा
पशु औषधि पहल, जिसे पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा शुरू किया गया है, भारत की कृषि नीति में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (PMBJK) मॉडल पर आधारित है और इसका उद्देश्य देश के पशुधन मालिकों को कम लागत में जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाइयाँ उपलब्ध कराना है। इसका मुख्य लक्ष्य है सस्ती पशु स्वास्थ्य सेवाओं के ज़रिए उत्पादकता और ग्रामीण आय में वृद्धि करना।
बजट आवंटन और एलएचडीसीपी से जुड़ाव
पशु औषधि कोई स्वतंत्र योजना नहीं है, बल्कि यह संशोधित पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (LHDCP) के अंतर्गत आती है। केंद्र सरकार ने 2024–25 और 2025–26 के लिए ₹3,880 करोड़ LHDCP के तहत आवंटित किए हैं, जिसमें से ₹75 करोड़ विशेष रूप से पशु औषधि पहल के लिए निर्धारित किए गए हैं। इस वित्तीय सहयोग के तहत इसे प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (PMKSK) और सहकारी समितियों के माध्यम से लागू किया जा रहा है, जिससे FMD और ब्रुसेलोसिस जैसी बीमारियों के इलाज की लागत किसानों के लिए कम हो सके।
पशुधन जनगणना और योजना की व्यापकता
20वीं पशुधन जनगणना (2019) के अनुसार, भारत में कुल पशुधन जनसंख्या 535.78 मिलियन है, जिसमें 302.79 मिलियन बोवाइन पशु शामिल हैं। इतनी बड़ी आबादी को देखते हुए, रोग नियंत्रण की पहुँच एक राष्ट्रीय प्राथमिकता बन गई है। ये रोग दूध उत्पादन, कार्य क्षमता और प्रजनन को प्रभावित करते हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है। पशु औषधि योजना का उद्देश्य इन आवश्यक दवाओं को स्थानीय स्तर पर और किफायती दामों में उपलब्ध कराकर इस अंतर को पाटना है।
एकीकृत दुकान: पारंपरिक और आधुनिक दवाओं का समावेश
इस योजना की एक खास विशेषता यह है कि इसमें एथ्नोवेटरनरी (पारंपरिक पशु औषधि) दवाइयों को भी शामिल किया गया है। ये दवाएँ स्थानीय पशु चिकित्सा ज्ञान पर आधारित हैं और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। इनके साथ-साथ सामान्य संक्रमण, बुखार, घाव और परजीवी संक्रमण के लिए आधुनिक जेनेरिक दवाएँ भी उपलब्ध कराई जाएँगी। इस तरह यह योजना आधुनिक विज्ञान और पारंपरिक ज्ञान को मिलाकर किसानों में स्वीकृति और उपयोग दोनों को बढ़ावा देती है।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
योजना का नाम | पशु औषधि पहल |
मंत्रालय | मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय |
बजट आवंटन (2024–26) | ₹75 करोड़ (₹3,880 करोड़ के LHDCP के अंतर्गत) |
मॉडल प्रेरणा | प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (PMBJK) |
कार्यान्वयन एजेंसियाँ | पीएमकेएसके, सहकारी समितियाँ, NDDB |
पशुधन जनसंख्या (2019) | 535.78 मिलियन (302.79 मिलियन बोवाइन) |
लक्षित प्रमुख रोग | फुट एंड माउथ डिज़ीज़ (FMD), ब्रुसेलोसिस |
पारंपरिक दवा समावेश | NDDB द्वारा एथ्नोवेटरनरी फॉर्मुलेशन |
लॉन्च वर्ष | 2025 (पूर्ण कार्यान्वयन अपेक्षित) |
योजना का उद्देश्य | सस्ती पशु चिकित्सा सेवा के माध्यम से उत्पादकता में सुधार |