सस्ती चिकित्सा की दिशा में बड़ा कदम
बजट 2025 में केंद्र सरकार ने 36 जीवनरक्षक दवाओं पर आयात शुल्क पूरी तरह समाप्त कर दिया है, जिनमें कैंसर और दुर्लभ बीमारियों की दवाएं प्रमुख हैं। साथ ही 6 अन्य दवाओं पर आयात शुल्क घटाकर 5% कर दिया गया है। ये दवाएं आमतौर पर पेटेंटेड और महंगी होती हैं, इसलिए यह राहत मरीजों की वित्तीय बोझ को कम करेगी।
आयात शुल्क सुधार: मुख्य बिंदु
बजट 2025 के तहत:
- 36 आवश्यक दवाएं अब पूरी तरह शुल्क मुक्त हो गई हैं।
- 6 दवाओं का शुल्क 7.5% से घटाकर 5% किया गया है।
- 37 अतिरिक्त दवाएं, जो पेशेंट असिस्टेंस प्रोग्राम में शामिल हैं, अब पूर्णतः शुल्क मुक्त हैं।
हालांकि सामान्य दवाओं पर मूल सीमा शुल्क 5% है, यह निर्णय स्वास्थ्य सेवा को राजस्व से ऊपर मानने का प्रतीक है।
GST और दवाओं की मूल्य नीति
भारत में अधिकतर तैयार दवाओं पर 12% GST लागू है, लेकिन गंभीर बीमारियों की कुछ दवाओं पर केवल 5% GST है। यह नीति स्वास्थ्य को किफायती बनाने और राजकोषीय संतुलन बनाए रखने का प्रयास करती है।
किसे सबसे अधिक लाभ?
भारत में बिकने वाली दवाओं में केवल 3% पेटेंटेड और आयातित होती हैं, जबकि 97% से अधिक दवाएं देश में बनी और ऑफ–पेटेंट होती हैं। इस निर्णय का असर भले ही बाजार के एक छोटे हिस्से पर हो, लेकिन इसका लक्ष्य है गंभीर और दुर्लभ रोगों से पीड़ित मरीजों को राहत देना।
भारत की फार्मा ताकत
भारत को “विश्व की फार्मेसी” कहा जाता है। यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा निर्माता है और अधिकांश ऑफ-पेटेंट दवाएं 50% तक सस्ती दरों पर बनाता है। आयातित दवाएं जहां सीमित हैं, भारत की फार्मा इंडस्ट्री सस्ती, नवाचारी और वैश्विक स्तर पर विश्वसनीय है।
यह शुल्क माफी घरेलू उद्योग को नुकसान नहीं, बल्कि उसे पूरक करती है।
मूल्य नियंत्रण और निगरानी
भारत में सभी दवाएं, चाहे देशी हों या आयातित, Drugs Price Control Order (DPCO) के तहत मूल्य नियंत्रित हैं। National Pharmaceutical Pricing Authority (NPPA) यह सुनिश्चित करती है कि राष्ट्रीय आवश्यक दवाओं की सूची (NLEM) में शामिल दवाओं की कीमतें नियंत्रित और पारदर्शी रहें।
बजट 2025 में DPCO की प्रक्रिया को और सरल बनाने की बात कही गई है।
सरकार की दवा सुलभता के प्रति प्रतिबद्धता
यह कर राहत नीति आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना जैसे कार्यक्रमों के साथ जुड़ी है, जो सस्ती या मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की दिशा में कार्यरत हैं।
इसके अलावा, पेशेंट असिस्टेंस प्रोग्राम्स के तहत NGO और दवा कंपनियां भी महंगी दवाएं अनुदान या छूट पर देती हैं।
स्टैटिक GK स्नैपशॉट: बजट 2025 – दवा सुधार
विषय | विवरण |
बजट वर्ष | 2025 |
36 जीवनरक्षक दवाओं पर शुल्क | 0% (पूर्ण माफी) |
6 दवाओं पर घटा शुल्क | 5% (पूर्व में 7.5%) |
दवाओं पर सामान्य GST | 12% (5% गंभीर रोगों के लिए) |
भारत में पेटेंटेड दवाओं का हिस्सा | लगभग 3% |
मूल्य नियंत्रक संस्था | NPPA (National Pharmaceutical Pricing Authority) |
की प्रमुख योजना | DPCO (Drugs Price Control Order) |
सरकारी स्वास्थ्य योजनाएं | आयुष्मान भारत, पीएम जनऔषधि योजना |
भारत की फार्मा रैंकिंग | विश्व में तीसरा सबसे बड़ा निर्माता |