रेलवे पटरियों पर उज्जवल और हरित भविष्य
भारतीय रेलवे सौर ऊर्जा अपनाने की दिशा में तेजी से प्रगति कर रही है। फरवरी 2025 तक, रेलवे ने 2,249 स्टेशनों और सेवा भवनों में कुल 209 मेगावाट सौर क्षमता स्थापित की है — जो कि पिछले पाँच वर्षों की तुलना में दो गुना अधिक है। इस प्रयास में राजस्थान सबसे आगे है, जहाँ 275 सौर प्रतिष्ठापन हुए हैं, इसके बाद महाराष्ट्र (270) और पश्चिम बंगाल (237) हैं।
रेलवे स्टेशनों पर सौर ऊर्जा क्यों आवश्यक है
रेलवे स्टेशनों में सौर ऊर्जा अपनाने का उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन में कटौती करना और दीर्घकालिक विद्युत खर्च को कम करना है। इसके लिए “राउंड द क्लॉक (RTC)” हाइब्रिड पावर मॉडल का उपयोग किया जा रहा है, जो सौर और पवन ऊर्जा को जोड़ता है। पावर परचेज एग्रीमेंट्स (PPAs) के माध्यम से यह मॉडल सस्ती और निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
सौर ऊर्जा विस्तार में आ रही चुनौतियाँ
हालांकि प्रगति उल्लेखनीय है, परंतु तमिलनाडु, केरल और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य ट्रांसमिशन बाधाओं, देरी से मंजूरी और ग्रिड कनेक्टिविटी समस्याओं के कारण पीछे रह गए हैं। इसके विपरीत, राजस्थान और महाराष्ट्र ने नीतिगत समन्वय और त्वरित कार्यान्वयन के कारण तेज़ी से विस्तार किया है।
राजस्थान की सौर उपलब्धि बनी आदर्श
राजस्थान ने 2020 से अब तक 200 से अधिक नए सौर संयंत्र स्थापित किए हैं, जिसका श्रेय अनुकूल जलवायु और राज्य की सक्रिय ऊर्जा नीति को जाता है। वहीं पश्चिम बंगाल ने भी 2020 से पहले सिर्फ 12 प्रतिष्ठापनों से बढ़कर 2025 तक 237 प्रतिष्ठापन तक छलांग लगाई — यह दर्शाता है कि सुधार और योजनाएं बदलाव ला सकती हैं।
भविष्य की दिशा: कार्बन मुक्त रेलवे
भारतीय रेलवे की दीर्घकालिक योजना कार्बन–न्यूट्रल परिवहन प्रणाली बनाना है। इसके तहत RTC हाइब्रिड मॉडल का विस्तार, हिमाचल प्रदेश और केंद्रशासित प्रदेशों जैसे अल्प–विकसित क्षेत्रों में सौर ऊर्जा को पहुँचाना, तथा निजी ऊर्जा कंपनियों के साथ सहयोग शामिल हैं।
STATIC GK SNAPSHOT TABLE
विषय | विवरण |
कुल रेलवे प्रतिष्ठापन | 2,249 स्टेशन व सेवा भवन |
सर्वाधिक योगदान देने वाला राज्य | राजस्थान – 275 प्रतिष्ठापन |
वृद्धि दर | 5 वर्षों में 2.3 गुना वृद्धि |
प्रयुक्त ऊर्जा मॉडल | RTC (सौर + पवन) – PPA के तहत |
सौर प्रतिष्ठापन (2014–2020) | 628 इकाइयाँ |
सौर प्रतिष्ठापन (2020–2025) | 1,489 इकाइयाँ |
अन्य शीर्ष राज्य | महाराष्ट्र – 270, पश्चिम बंगाल – 237 |
चुनौतीग्रस्त राज्य | तमिलनाडु, केरल, छत्तीसगढ़ |
दीर्घकालिक लक्ष्य | कार्बन-न्यूट्रल रेलवे अवसंरचना |