जनम भूमि पर विकास कार्यों को बहाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
तमिलनाडु सरकार ने नीलगिरी जिले के गुडालूर क्षेत्र में स्थित जनम भूमि पर विकास कार्य फिर से शुरू करने की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। ये भूमि तमिलनाडु गुडालूर जनम एस्टेट (उन्मूलन और रैयतवारी में रूपांतरण) अधिनियम, 1969 से जुड़े कानूनी विवादों के चलते वर्षों से लंबित है। इस भूमि पर वर्षों से बसे समुदायों को अब तक सड़क, पानी, स्वच्छता जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिली हैं।
राज्य सरकार की याचिका में विकास कार्यों पर रोक लगाने वाले स्थगन आदेश को हटाने की मांग की गई है, ताकि 34,986 एकड़ की जनम भूमि पर सरकार का पुनः नियंत्रण स्थापित कर आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें।
मुख्यमंत्री स्टालिन की प्रतिबद्धता: वर्षों से बसे लोगों को अधिकार मिले
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने चेन्नई सचिवालय में आयोजित उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे जनम भूमि को पुनः प्राप्त करने और सेक्शन 17 भूमि पर रहने वाले परिवारों के जीवन स्तर को सुधारने की प्रक्रिया तेज करें। सेक्शन 17 श्रेणी उन भूमि को दर्शाता है जो 1979 के संशोधित रैयतवारी अधिनियम के अंतर्गत आती हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन परिवारों ने पीढ़ियों से इन भूमि पर जीवन व्यतीत किया है, उन्हें बिजली, स्कूल, सड़क, और स्वच्छ जल जैसी आवश्यक सुविधाएं शीघ्र मिलनी चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि कानूनी प्रक्रिया में देरी उन लोगों की जीवन गुणवत्ता को बाधित नहीं करनी चाहिए।
त्वरित समाधान हेतु कानूनी रणनीति
सरकार केवल स्थगन हटाने की मांग ही नहीं कर रही है, बल्कि यह भी अनुरोध करेगी कि 1969 जनम भूमि अधिनियम से संबंधित मामलों को अन्य भूमि विवादों से अलग सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। इससे फैसले की प्रक्रिया तेज होगी और लाभार्थियों तक योजनाओं को शीघ्र लागू किया जा सकेगा।
इसके लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में एक इंटरलोक्यूटरी आवेदन (IA) दायर करेगी, जिससे कानूनी अनुपालन के साथ मानवीय प्राथमिकता भी सुनिश्चित की जा सके।
प्रशासनिक बैठक और नीतिगत मंथन
बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमूडी, मुख्य सचिव एन. मुरुगनंदम, तथा विधिक और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे। चर्चा का केंद्र रहा कि कैसे जनम भूमि पर दोबारा स्वामित्व बहाल किया जाए, अवैध अतिक्रमण से बचा जाए, और कानूनी स्वीकृति मिलते ही आधारभूत विकास कार्य प्रारंभ किए जाएं।
यह नीति परिवर्तन सरकार की उस दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो ऐतिहासिक भूमि अन्यायों को सुधारने और गुडालूर जैसे आदिवासी क्षेत्रों में सामाजिक न्याय और विकास लाने की दिशा में केंद्रित है।
स्टैटिक GK स्नैपशॉट: तमिलनाडु में जनम भूमि विवाद
तथ्य | विवरण |
जनम भूमि का स्थान | गुडालूर, नीलगिरी जिला, तमिलनाडु |
प्रमुख कानून | तमिलनाडु गुडालूर जनम एस्टेट अधिनियम, 1969 |
सरकारी पुनः दावा क्षेत्रफल | 34,986 एकड़ |
सेक्शन 17 भूमि | 1979 संशोधन के अंतर्गत अधिसूचित; बसी हुई पर सेवा से वंचित |
मुख्यमंत्री की भूमिका | एम.के. स्टालिन ने पुनः कब्जा और विकास के निर्देश दिए |
कानूनी कदम | सुप्रीम कोर्ट में IA दाखिल कर स्थगन हटाने और अलग सुनवाई की मांग |