‘मसालों की रानी’ के छिपे हुए संबंधी सामने आए
प्राचीन काल से “मसालों की रानी“ कही जाने वाली हरी इलायची एक बार फिर वैज्ञानिक चर्चा के केंद्र में है। अब तक माना जाता था कि Elettaria cardamomum इस वंश की एकमात्र प्रजाति है। लेकिन भारत, डेनमार्क, श्रीलंका, यूके और अन्य देशों के वैज्ञानिकों की संयुक्त शोध में छह और करीबी प्रजातियों की पहचान हुई है। यह खोज इलायची की वंशावली और आनुवंशिक समझ को नया आयाम देती है।
केरल के जंगलों से मिलीं दो बिलकुल नई प्रजातियां
इन छह में से दो प्रजातियां विज्ञान के लिए पूर्णतः नई हैं और इन्हें केरल के पश्चिमी घाट के घने जंगलों से खोजा गया है। पहली प्रजाति, Elettaria facifera, को पेरियार टाइगर रिज़र्व में पाया गया। इसकी विशेषता है खुला फल आकार, और इसे मन्नान जनजाति “वाय नोकी एलम” के नाम से जानती है। दूसरी प्रजाति, Elettaria tulipifera, अगस्थ्यमलाई पहाड़ियों और मुन्नार क्षेत्र की है, जिसे इसकी गुलाबी–लाल पुष्प छतरी और ट्यूलिप जैसे फूल पहचान देते हैं।
इलायची वंश की संरचना में बदलाव
इनमें से चार प्रजातियां पहले Alpinia वंश के अंतर्गत मानी जाती थीं, लेकिन अब डीएनए विश्लेषण और रूपात्मक जांच के माध्यम से इन्हें Elettaria वंश में स्थानांतरित किया गया है। इस परिवर्तन से इलायची प्रजनन में बीमारी प्रतिरोधक क्षमता, उत्पादन वृद्धि, और जलवायु अनुकूलन जैसे गुणों को बढ़ावा देने में नई संभावनाएं खुलती हैं।
इलायची का सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व
केरल सदियों से वैश्विक मसाला व्यापार का केंद्र रहा है, और यह खोज उस विरासत को और सुदृढ़ करती है। Elettaria शब्द की उत्पत्ति “एल्लेटारी” से हुई है, जो 17वीं शताब्दी की वनस्पति पुस्तक ‘होर्टस मलबारिकस’ में दर्ज है। आज हरी इलायची विश्व स्तर पर तीसरी सबसे मूल्यवान मसाला है—केवल केसर और वनीला के बाद। यह खाद्य, औषधीय और सुगंधित उद्योगों में व्यापक उपयोग में लाई जाती है।
समय के साथ दौड़: संरक्षण की आवश्यकता
जहां एक ओर यह खोज वैज्ञानिक दृष्टि से ऐतिहासिक है, वहीं यह पश्चिमी घाट की नाजुक पारिस्थितिकी को लेकर भी चेतावनी देती है। शहरीकरण, वनों की कटाई, और जलवायु परिवर्तन के कारण इन नई प्रजातियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। वैज्ञानिकों ने इन पौधों को संरक्षित करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया है, क्योंकि ये भविष्य की कृषि और मसाला अनुसंधान के लिए अनमोल जैविक स्रोत हैं।
स्टैटिक GK स्नैपशॉट: हरी इलायची और नई खोज
तथ्य | विवरण |
हरी इलायची का वैज्ञानिक नाम | Elettaria cardamomum |
नई खोजी गई प्रजातियां | Elettaria facifera, Elettaria tulipifera |
खोज के स्थान | पेरियार टाइगर रिज़र्व और अगस्थ्यमलाई हिल्स (केरल) |
वंश का नाम मूल | मलयालम शब्द “एल्लेटारी” (Hortus Malabaricus में उल्लेख) |
वैश्विक मूल्य रैंकिंग (मसाले) | इलायची तीसरे स्थान पर (केसर और वनीला के बाद) |
स्थानीय नाम मान्यता | मन्नान जनजाति E. facifera को “वाय नोकी एलम” कहती है |