जुलाई 20, 2025 11:00 अपराह्न

इलायची परिवार में नई खोज: वैज्ञानिक प्रगति और जैव विविधता संरक्षण

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‘मसालों की रानी’ के छिपे हुए संबंधी सामने आए

प्राचीन काल से मसालों की रानी कही जाने वाली हरी इलायची एक बार फिर वैज्ञानिक चर्चा के केंद्र में है। अब तक माना जाता था कि Elettaria cardamomum इस वंश की एकमात्र प्रजाति है। लेकिन भारत, डेनमार्क, श्रीलंका, यूके और अन्य देशों के वैज्ञानिकों की संयुक्त शोध में छह और करीबी प्रजातियों की पहचान हुई है। यह खोज इलायची की वंशावली और आनुवंशिक समझ को नया आयाम देती है।

केरल के जंगलों से मिलीं दो बिलकुल नई प्रजातियां

इन छह में से दो प्रजातियां विज्ञान के लिए पूर्णतः नई हैं और इन्हें केरल के पश्चिमी घाट के घने जंगलों से खोजा गया है। पहली प्रजाति, Elettaria facifera, को पेरियार टाइगर रिज़र्व में पाया गया। इसकी विशेषता है खुला फल आकार, और इसे मन्नान जनजातिवाय नोकी एलम” के नाम से जानती है। दूसरी प्रजाति, Elettaria tulipifera, अगस्थ्यमलाई पहाड़ियों और मुन्नार क्षेत्र की है, जिसे इसकी गुलाबीलाल पुष्प छतरी और ट्यूलिप जैसे फूल पहचान देते हैं।

इलायची वंश की संरचना में बदलाव

इनमें से चार प्रजातियां पहले Alpinia वंश के अंतर्गत मानी जाती थीं, लेकिन अब डीएनए विश्लेषण और रूपात्मक जांच के माध्यम से इन्हें Elettaria वंश में स्थानांतरित किया गया है। इस परिवर्तन से इलायची प्रजनन में बीमारी प्रतिरोधक क्षमता, उत्पादन वृद्धि, और जलवायु अनुकूलन जैसे गुणों को बढ़ावा देने में नई संभावनाएं खुलती हैं।

इलायची का सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व

केरल सदियों से वैश्विक मसाला व्यापार का केंद्र रहा है, और यह खोज उस विरासत को और सुदृढ़ करती है। Elettaria शब्द की उत्पत्ति एल्लेटारी से हुई है, जो 17वीं शताब्दी की वनस्पति पुस्तक होर्टस मलबारिकस में दर्ज है। आज हरी इलायची विश्व स्तर पर तीसरी सबसे मूल्यवान मसाला है—केवल केसर और वनीला के बाद। यह खाद्य, औषधीय और सुगंधित उद्योगों में व्यापक उपयोग में लाई जाती है।

समय के साथ दौड़: संरक्षण की आवश्यकता

जहां एक ओर यह खोज वैज्ञानिक दृष्टि से ऐतिहासिक है, वहीं यह पश्चिमी घाट की नाजुक पारिस्थितिकी को लेकर भी चेतावनी देती है। शहरीकरण, वनों की कटाई, और जलवायु परिवर्तन के कारण इन नई प्रजातियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। वैज्ञानिकों ने इन पौधों को संरक्षित करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया है, क्योंकि ये भविष्य की कृषि और मसाला अनुसंधान के लिए अनमोल जैविक स्रोत हैं।

स्टैटिक GK स्नैपशॉट: हरी इलायची और नई खोज

तथ्य विवरण
हरी इलायची का वैज्ञानिक नाम Elettaria cardamomum
नई खोजी गई प्रजातियां Elettaria facifera, Elettaria tulipifera
खोज के स्थान पेरियार टाइगर रिज़र्व और अगस्थ्यमलाई हिल्स (केरल)
वंश का नाम मूल मलयालम शब्द “एल्लेटारी” (Hortus Malabaricus में उल्लेख)
वैश्विक मूल्य रैंकिंग (मसाले) इलायची तीसरे स्थान पर (केसर और वनीला के बाद)
स्थानीय नाम मान्यता मन्नान जनजाति E. facifera को “वाय नोकी एलम” कहती है
Fresh Insights into the Cardamom Clan: Scientific Breakthroughs and Biodiversity Protection
  1. हरी इलायची (Elettaria cardamomum) कोमसालों की रानी कहा जाता है।
  2. एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज में इलायची की छह नई संबंधित प्रजातियाँ पाई गईं, जिससे Elettaria वंश का विस्तार हुआ।
  3. इन छह में से दो नई इलायची प्रजातियाँ केरल के पश्चिमी घाट में पाई गईं।
  4. Elettaria facifera को केरल के पेरियार टाइगर रिज़र्व में खोजा गया।
  5. मानन जनजाति facifera कोवाई नोकी एलम कहती है, जो इसके खुले फल पर आधारित है।
  6. Elettaria tulipifera को अगस्थ्यमलै हिल्स और मुन्‍नार (केरल) में खोजा गया।
  7. tulipifera की पहचान इसके गहरे लाल पुष्प आवरण और ट्यूलिप जैसे फूलों से होती है।
  8. पहले गलत वर्गीकृत की गई चार Alpinia प्रजातियाँ अब डीएनए विश्लेषण के आधार पर Elettaria में वर्गीकृत की गईं।
  9. यह खोज इलायची की आनुवंशिक रेखा को फिर से परिभाषित करती है और मसालों की खेती में अनुसंधान को बढ़ावा देती है।
  10. इलायची वैश्विक रूप से केसर और वेनिला के बाद तीसरे स्थान पर सबसे मूल्यवान मसाले के रूप में आती है।
  11. Elettaria नाम मलयालम शब्दएलेट्टारी से आया है, जो Hortus Malabaricus में वर्णित है।
  12. इस शोध में भारत, डेनमार्क, श्रीलंका और ब्रिटेन के वनस्पतिशास्त्रियों ने भाग लिया।
  13. पहले Elettaria वंश को केवल एक प्रजाति (monotypic) का माना जाता था।
  14. इस अध्ययन में आकृतिकीय और आणविक तकनीकों का प्रयोग किया गया।
  15. केरल के वन आज भी मसालों की जैव विविधता और स्थानिकता का वैश्विक केंद्र बने हुए हैं।
  16. यह खोज अंतरराष्ट्रीय मसाला व्यापार में केरल की ऐतिहासिक भूमिका को और मजबूत करती है।
  17. शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के चलते इन प्रजातियों के संरक्षण की आवश्यकता और बढ़ गई है।
  18. ये इलायची की नई प्रजातियाँ फसल में रोग प्रतिरोधकता और उत्पादकता बढ़ाने में सहायक होंगी।
  19. पश्चिमी घाट यूनेस्को का जैव विविधता हॉटस्पॉट है, जो बढ़ते पारिस्थितिक दबाव में है।
  20. यह खोज कृषि नवाचार के लिए आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता को दर्शाती है।

Q1. सामान्य रूप से उगाई जाने वाली हरी इलायची का वैज्ञानिक नाम क्या है?


Q2. नई प्रजाति एलेटारिया फैसिफेरा की खोज कहां की गई थी?


Q3. मन्नान जनजाति द्वारा एलेटारिया फैसिफेरा को दिया गया स्थानीय नाम क्या है?


Q4. कुल कितने नई पहचानी गई इलायची की संबंधी प्रजातियां खोजी गई हैं?


Q5. मसालों में वैश्विक मूल्य के अनुसार इलायची का कौन-सा स्थान है?


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