भारत में सुरक्षित रेल यात्रा की दिशा में बड़ा कदम
भारत अब कवच, एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (ATP) को पूरे रेलवे नेटवर्क पर लागू करने की योजना बना रहा है। अगले छह वर्षों में देश के सभी प्रमुख मार्गों पर यह सुरक्षा कवच लगाया जाएगा। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस योजना की पुष्टि करते हुए कहा कि यह सिर्फ तकनीकी उन्नयन नहीं, बल्कि मानव जीवन की रक्षा और रेल यात्रियों का विश्वास बहाल करने की दिशा में बड़ा कदम है।
कवच को क्या बनाता है विशेष?
कवच का मतलब ही होता है “ढाल”— यह प्रणाली अपने आप ब्रेक लगाती है, जब ट्रेन गति सीमा पार कर जाती है या लाल सिग्नल को पार करने का खतरा होता है। इसे मिला है SIL-4 (सेफ्टी इंटेग्रिटी लेवल-4) प्रमाणन, जो दुनिया का सबसे उच्चतम सुरक्षा स्तर है— वही जो न्यूक्लियर प्लांट और एयरक्राफ्ट सिस्टम्स में होता है। यानी मानव त्रुटियों को लगभग शून्य कर देने वाली तकनीक।
राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन और योजना
पूरे देश में कवच का कार्यान्वयन पब्लिक–प्राइवेट भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत होगा। इसमें निजी कंपनियों की नवाचार क्षमता और सरकार की निगरानी दोनों शामिल होंगे। छह साल की रूपरेखा में हजारों किलोमीटर का कवरेज होगा, विशेष ध्यान हाई–डेंसिटी कॉरिडोर पर रहेगा, जहां सुरक्षा सुधारों का त्वरित प्रभाव दिखता है।
सुरक्षा पर मजबूत वित्तीय निवेश
2025–26 के केंद्रीय बजट में रेलवे को ₹2.65 लाख करोड़ का पूंजीगत व्यय आवंटित किया गया है। इसका बड़ा हिस्सा सुरक्षा बुनियादी ढांचे जैसे कवच, विद्युतीकरण, एआई एकीकरण, और यात्री सुविधाओं पर खर्च किया जाएगा। यह दिखाता है कि अब सुरक्षा प्राथमिकता बन चुकी है, न कि बाद में विचार का विषय।
भारतीय भू-भाग और जलवायु के अनुसार तैयार
भारत की रेलवे लाइनें रेगिस्तान, जंगल, समुद्रतट और पर्वतों से होकर गुजरती हैं। कवच 4.0, जो जुलाई 2024 में स्वीकृत हुआ, इन चुनौतियों के अनुसार विकसित किया गया है। इसमें सटीक GPS, कोहरे और बारिश में भी कार्यक्षमता, और सिग्नल के साथ बेहतर संवाद शामिल हैं— जिससे समय की बचत, ईंधन दक्षता, और असाधारण परिस्थितियों में भी सुरक्षित नेविगेशन संभव है।
कौन बनाता है कवच?
कवच का निर्माण भारतीय OEMs जैसे मेदा सर्वो ड्राइव्स, HBL पावर सिस्टम्स, और कर्नेक्स माइक्रोसिस्टम्स द्वारा किया जा रहा है। रेलटेल और क्वाड्रंट फ्यूचरटेक जैसे भागीदारों के साथ यह प्रणाली तैयार की गई है। इसकी तकनीकी जांच और मान्यता RDSO (अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन) द्वारा की गई है, जो भारतीय रेलवे की टेक्निकल इकाई है।
यात्रियों और रेलवे स्टाफ के लिए वास्तविक लाभ
कवच का सबसे बड़ा लाभ है—दुर्घटनाओं की रोकथाम। यदि ड्राइवर गलती से सिग्नल मिस कर दे, तो भी कवच ट्रेन को रोक देता है। यह ईंधन की भी बचत करता है क्योंकि ट्रेनें पूर्व-निर्धारित तरीके से चलती हैं। यात्रियों को मिलती है मानसिक शांति और विश्वास, कि उनकी यात्रा अब और सुरक्षित है।
स्टैटिक GK स्नैपशॉट: कवच और भारतीय रेलवे
तथ्य | विवरण |
कवच का अर्थ | हिंदी में “ढाल” |
सुरक्षा प्रमाणन स्तर | SIL-4 (Safety Integrity Level-4) |
राष्ट्रीय रोलआउट की घोषणा | 2025 (6 वर्षों में पूर्ण कार्यान्वयन) |
रेल बजट (2025–26) | ₹2.65 लाख करोड़ |
नवीनतम संस्करण | कवच 4.0 (जुलाई 2024 में स्वीकृत) |
प्रमुख निर्माता | मेदा सर्वो, HBL पावर, कर्नेक्स माइक्रोसिस्टम्स |
प्रमाणन संस्था | RDSO (अनुसंधान डिजाइन व मानक संगठन) |