पूरे भारत में वित्तीय समावेशन का विस्तार
प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) भारत में वित्तीय समावेशन का आधार बनी हुई है। मार्च 2025 तक, इस योजना के तहत 55.14 करोड़ लाभार्थियों को शामिल किया गया, जिनके खातों में कुल ₹2.5 लाख करोड़ की राशि जमा है। 15 अगस्त 2014 को शुरू हुई यह योजना, विशेषकर ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार तक बैंकिंग सुविधा पहुंचाने के उद्देश्य से बनाई गई थी।
ग्रामीण और महिला भागीदारी पर विशेष ध्यान
इस योजना की सबसे बड़ी उपलब्धि ग्रामीण और महिला खाताधारकों की अधिक संख्या है। 67% खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों से हैं। साथ ही, 30.71 करोड़ महिलाएं जन धन खाताधारक हैं, जो कुल लाभार्थियों का 56% हिस्सा हैं। इससे यह स्पष्ट है कि महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता और बैंकिंग भागीदारी में तेजी से वृद्धि हो रही है।
बैंकिंग और बचत की संस्कृति को बढ़ावा
अब प्रत्येक जन धन खाते का औसत शेष ₹4,726 हो गया है, जो यह दर्शाता है कि निम्न-आय समूहों में बचत की आदतें मजबूत हो रही हैं। योजना के माध्यम से सरकारी सब्सिडियों और कल्याणकारी योजनाओं का डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) अधिक पारदर्शी हो गया है। साथ ही, वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों से नागरिकों को बेहतर वित्तीय आदतें अपनाने में मदद मिल रही है।
रूपे कार्ड से डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा
PMJDY के तहत 2025 तक 37.77 करोड़ रूपे डेबिट कार्ड वितरित किए गए हैं, जिससे दूरदराज के क्षेत्रों में भी डिजिटल बैंकिंग सुलभ हुई है। ये कार्ड कैशलेस लेन-देन को बढ़ावा देते हैं और डिजिटल इंडिया मिशन के लक्ष्यों में सहायक हैं।
चुनौतियां और आगे की राह
हालांकि इस योजना ने बड़े स्तर पर सफलता पाई है, 2025 तक 11.3 करोड़ खाते निष्क्रिय हैं। सरकार का उद्देश्य है कि नवोन्मेषी ऋण उत्पाद शुरू किए जाएं और औपचारिक क्रेडिट स्कोर प्रणाली विकसित की जाए ताकि खाताधारकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित हो सके। निजी क्षेत्र के बैंकों की भागीदारी भी बढ़ाने की आवश्यकता है क्योंकि वर्तमान में इनकी भागीदारी सार्वजनिक बैंकों की तुलना में कम है।
Static GK जानकारी सारांश
विशेषता | विवरण |
योजना का नाम | प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) |
आरंभ तिथि | 15 अगस्त 2014 |
लाभार्थी (मार्च 2025 तक) | 55.14 करोड़ |
कुल जमा राशि | ₹2.5 लाख करोड़ |
महिला खाताधारक | 30.71 करोड़ (56%) |
ग्रामीण + अर्ध-शहरी खाताधारक | 67% |
रूपे कार्ड जारी | 37.77 करोड़ |
औसत खाता शेष | ₹4,726 |
वित्तीय समावेशन सूचकांक (2017-24) | 43.4 (2017) से बढ़कर 64.2 (2024) |
निष्क्रिय खाते | 11.3 करोड़ |
संबंधित मंत्रालय | वित्त मंत्रालय, वित्तीय सेवा विभाग |
प्रभाव क्षेत्र | DBT, वित्तीय साक्षरता, डिजिटल बैंकिंग, महिला सशक्तिकरण |