भारत की समुद्र-आधारित डिटरेंस का विस्तार
भारत अपनी तीसरी स्वदेशी रूप से विकसित न्यूक्लियर-पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन (SSBN) INS अरिदमन को शामिल करने के लिए तैयार है। सबमरीन टेस्टिंग के अंतिम चरण में पहुँच गई है, और यह कन्फर्म हो गया है कि जल्द ही इसे चालू कर दिया जाएगा। यह भारत की समुद्र-आधारित सेकंड-स्ट्राइक कैपेबिलिटी को एक बड़ा बढ़ावा देता है, जो इसके भरोसेमंद न्यूक्लियर डिटरेंस पोस्चर का एक मुख्य हिस्सा है।
भारत की न्यूक्लियर सबमरीन लाइन का विकास
यह इंडक्शन अगस्त 2025 में INS अरिदमन के स्ट्रेटेजिक फोर्सेज़ कमांड में शामिल होने के बाद हुआ है। अरिदमन के बेड़े में शामिल होने के बाद, भारत पहली बार एक साथ तीन SSBN ऑपरेट करेगा। इससे समुद्र में न्यूक्लियर डिटरेंस की कंटिन्यूटी और सर्वाइवेबिलिटी मजबूत होती है।
स्टैटिक GK फैक्ट: भारत का पहला SSBN INS अरिहंत 2016 में कमीशन हुआ था, जिससे भारत न्यूक्लियर बैलिस्टिक सबमरीन कैपेबिलिटी वाला छठा देश बन गया।
बेहतर स्ट्राइक और सर्वाइवेबिलिटी फीचर्स
INS अरिधमान में INS अरिहंत और INS अरिघाट के मुकाबले अपग्रेडेड डिज़ाइन है। सबमरीन को बड़े हल के साथ बनाया गया है, जिससे इसकी एंड्योरेंस और स्टेल्थ बेहतर होती है। यह ज़्यादा संख्या में लंबी दूरी की न्यूक्लियर-कैपेबल K-4 मिसाइलें भी ले जा सकती है, जिससे स्ट्राइक रेंज काफी बढ़ जाती है। बन रहा चौथा SSBN भारत के डिटरेंट ट्रायड में और स्ट्रेटेजिक डेप्थ जोड़ेगा।
स्टैटिक GK टिप: K-4 मिसाइल की रेंज लगभग 3,500 km है, जिससे डीप-सी लॉन्च कैपेबिलिटी मिलती है।
हिंद महासागर और अफ्रीका में नेवल कोऑपरेशन
नेवी चीफ एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने रीजनल इनिशिएटिव के ज़रिए भारत की बढ़ती नेवल आउटरीच पर रोशनी डाली। इंडियन ओशन शिप सागर प्रोग्राम में नौ रीजनल नेवी की भागीदारी शामिल थी, जिससे कोऑर्डिनेटेड मैरीटाइम रेडीनेस को बढ़ावा मिला। भारत ने नौ अफ्रीकी देशों के साथ दारेस सलाम में अफ्रीका-इंडिया की मैरीटाइम एक्सरसाइज भी की, जिससे इंटरऑपरेबिलिटी और शेयर्ड सिक्योरिटी नॉर्म्स बेहतर हुए। ये एंगेजमेंट्स बड़े हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की मौजूदगी को मज़बूत करते हैं।
बड़े पैमाने पर मॉडर्नाइज़ेशन और ऑपरेशनल तैयारी
इंडियन नेवी एक साथ अपने एविएशन और अंडरवाटर एसेट्स को मॉडर्नाइज़ कर रही है। इसके कैरियर एविएशन अपग्रेड के हिस्से के तौर पर 2029 तक चार राफेल-M फाइटर जेट मिलने की उम्मीद है। प्रोजेक्ट 75 इंडिया, जिसका मकसद छह एडवांस्ड सबमरीन हासिल करना है, फाइनल अप्रूवल के करीब है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, एक कैरियर ग्रुप सहित अहम नेवल डिप्लॉयमेंट ने पाकिस्तान के फ्लीट को उसके कोस्टलाइन तक ही सीमित कर दिया। इसने भारत की मज़बूत समुद्री स्थिति और तेज़ी से जवाब देने की क्षमता को दिखाया।
स्टैटिक GK फैक्ट: इंडियन नेवी तीन बड़े कमांड्स—वेस्टर्न, ईस्टर्न और सदर्न—ऑपरेट करती है, जिसमें ईस्टर्न नेवल कमांड का हेडक्वार्टर विशाखापत्तनम में है।
स्ट्रेटेजिक स्टेबिलिटी में SSBNs की भूमिका
INS अरिदमन के जुड़ने से भारत की स्ट्रेटेजिक न्यूक्लियर ट्रायड—लैंड-बेस्ड मिसाइलें, एयरक्राफ्ट-बेस्ड डिलीवरी और सी-बेस्ड एसेट्स—मज़बूत होती हैं। SSBN को सबसे ज़्यादा चलने वाला न्यूक्लियर प्लेटफॉर्म माना जाता है, जो दुश्मन के पहले हमले की हालत में भी जवाबी कार्रवाई पक्का करता है। स्वदेशी क्षमता बढ़ाने के साथ, भारत ज़रूरी डिफेंस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, जो लंबे समय के स्ट्रेटेजिक लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठा रहा है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| Topic | Detail |
| INS अरिधमन | भारत की तीसरी स्वदेशी परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी |
| मिसाइल क्षमता | लंबी दूरी की K-4 परमाणु-सक्षम मिसाइलों को ले जाने में सक्षम |
| स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड | INS अरिघाट अगस्त 2025 में शामिल हुई |
| चौथी SSBN | वर्तमान में निर्माणाधीन |
| नौसैनिक आउटरीच | इंडियन ओशन शिप सागर और अफ्रीका–इंडिया समुद्री अभ्यास |
| राफेल-M शामिलीकरण | 2029 तक चार विमान शामिल होने की उम्मीद |
| प्रोजेक्ट 75 इंडिया | छह उन्नत पनडुब्बियों की प्रस्तावित अधिग्रहण योजना |
| ऑपरेशन सिंदूर | पाकिस्तान की नौसेना को उसके तटीय क्षेत्र तक सीमित किया |
| परमाणु त्रयी | तीन परिचालन SSBNs के साथ और मजबूत हुई |
| अरिहंत-श्रेणी | 2016 में शुरू किया गया भारत का स्वदेशी SSBN कार्यक्रम |





