विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
दिसंबर 2024 में, महाराष्ट्र खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने एक विवादास्पद निर्देश जारी किया, जिसमें फार्माकोलॉजी प्रमाणपत्र प्राप्त होम्योपैथिक डॉक्टरों को एलोपैथिक दवाएं लिखने की अनुमति दी गई। इस निर्णय की भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने कड़ी आलोचना की, यह कहते हुए कि इससे मरीजों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है और आधुनिक चिकित्सा के पेशेवर मानकों में गिरावट आ सकती है।
भारत में क्रॉसपैथी क्या है?
क्रॉसपैथी का अर्थ है जब एक चिकित्सा प्रणाली का प्रशिक्षित डॉक्टर दूसरी चिकित्सा प्रणाली की दवाएं या उपचार करता है, जबकि वह उसमें पूर्ण रूप से योग्य नहीं होता। भारत में यह आमतौर पर तब होता है जब AYUSH चिकित्सक—आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी और प्राकृतिक चिकित्सा में प्रशिक्षित—एलोपैथिक दवाएं देने लगते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे गलत निदान, अनुचित दवा और चिकित्सकीय लापरवाही का जोखिम बढ़ जाता है।
कानूनी संदर्भ और नैतिक सीमाएं
भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) के 2002 के आचार संहिता के अनुसार, अयोग्य व्यक्तियों को आधुनिक चिकित्सा उपचार करने या प्रमाणपत्र जारी करने की अनुमति नहीं है। 1996 में सुप्रीम कोर्ट के मामले (Poonam Verma vs. Ashwin Patel) में कोर्ट ने होम्योपैथ डॉक्टर को एलोपैथिक दवा देने के लिए चिकित्सीय लापरवाही का दोषी ठहराया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जब तक राज्य सरकार विशेष अनुमति न दे, तब तक क्रॉस–सिस्टम अभ्यास अवैध है।
सरकार क्रॉसपैथी को क्यों बढ़ावा दे रही है?
इसका मुख्य कारण ग्रामीण भारत में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है। Health Dynamics Report 2022-23 के अनुसार, भारत के 80% सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) में आवश्यक विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं। जबकि देश में 13 लाख एलोपैथिक डॉक्टर और 5.5 लाख AYUSH डॉक्टर हैं, अधिकांश शहरी क्षेत्रों में केंद्रित हैं। इस शहरी-ग्रामीण अंतर को पाटने के लिए राज्य सरकारें AYUSH डॉक्टरों का उपयोग कर रही हैं, जैसा कि महाराष्ट्र में हुआ।
IMA का विरोध और मरीजों की सुरक्षा
IMA ने महाराष्ट्र सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया है और कहा कि यह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 (NMC Act) का उल्लंघन है, जो AYUSH डॉक्टरों को एलोपैथी दवाएं लिखने की अनुमति नहीं देता। साथ ही, केंद्रीय होम्योपैथी परिषद की नीतियों के अनुसार भी यह अभ्यास अवैध है। IMA का तर्क है कि इससे चिकित्सा की गुणवत्ता में गिरावट, इलाज में भ्रम और मरीजों की जान को खतरा हो सकता है।
स्वास्थ्य मानकों के लिए चुनौती
इस निर्देश से ऐसा लगता है कि AYUSH डॉक्टर उन भूमिकाओं में प्रवेश कर सकते हैं जो MBBS डॉक्टरों के लिए निर्धारित हैं, जिससे एलोपैथिक डॉक्टरों की नौकरी के अवसर कम हो सकते हैं। IMA का कहना है कि एलोपैथी अभ्यास में गहन क्लीनिकल प्रशिक्षण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, जो पारंपरिक चिकित्सा पाठ्यक्रम में नहीं होता।
समाधान: प्रतिस्थापन नहीं, नियमन की ज़रूरत
विशेषज्ञों का सुझाव है कि क्रॉसपैथी को अनुमति देने की बजाय भारत में जनरल प्रैक्टिशनर प्रणाली को सशक्त किया जाए, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में। MBBS डॉक्टरों को गांवों की ओर आकर्षित करने के लिए बेहतर वेतन, आवास, और प्रशिक्षण की सुविधा दी जानी चाहिए। इसके साथ ही एक नियंत्रित व्यवस्था बनाई जा सकती है, जिसमें AYUSH डॉक्टर विशेष प्रशिक्षण के बाद एलोपैथिक डॉक्टरों की निगरानी में कार्य करें।
eSanjeevani जैसे टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म को भी एक व्यावहारिक समाधान माना जा रहा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को विशेषज्ञों की सलाह सुरक्षित रूप से मिल सके।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
चर्चा का कारण | महाराष्ट्र FDA ने फार्माकोलॉजी प्रमाणपत्र वाले होम्योपैथ्स को एलोपैथी लिखने की अनुमति दी |
क्रॉसपैथी क्या है | वैकल्पिक चिकित्सा डॉक्टरों द्वारा एलोपैथिक दवाओं का उपयोग करना |
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय | Poonam Verma vs. Ashwin Patel (1996) – क्रॉसपैथी को चिकित्सीय लापरवाही बताया गया |
MCI आचार संहिता | अयोग्य डॉक्टरों को एलोपैथी उपचार से रोका गया |
NMC अधिनियम 2019 | AYUSH डॉक्टरों को एलोपैथी प्रिस्क्राइब करने की अनुमति नहीं |
AYUSH डॉक्टरों की संख्या | 5.5 लाख से अधिक (2022 तक) |
एलोपैथिक डॉक्टरों की संख्या | 13 लाख से अधिक |
ग्रामीण डॉक्टरों की कमी | 80% CHCs में विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं |
वैकल्पिक समाधान | GP प्रणाली सशक्त करें, नियमन करें, टेलीमेडिसिन को बढ़ावा दें |
IMA की स्थापना | 1928; मुख्यालय – नई दिल्ली |