तमिलनाडु में रूफटॉप सोलर की वर्तमान स्थिति
भारत के प्रमुख नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक राज्यों में से एक तमिलनाडु अभी भी घरेलू रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन के क्षेत्र में पीछे है। राज्य में औद्योगिक और पवन ऊर्जा की मजबूत क्षमता होने के बावजूद, घरों में सौर पैनल अपनाने की दर तुलनात्मक रूप से कम बनी हुई है।
तमिलनाडु में रूफटॉप सोलर की पैठ केवल 1.55% है, जबकि केरल में 8.07% और गुजरात में 6.43% है। यह अंतर दर्शाता है कि तमिलनाडु के शहरी और अर्ध-शहरी घरों में सौर ऊर्जा की विशाल अप्रयुक्त क्षमता मौजूद है।
स्थिर जीके तथ्य: तमिलनाडु भारत का दूसरा सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक राज्य है, जो देश की कुल नवीकरणीय बिजली उत्पादन में 15% से अधिक योगदान देता है।
स्थापित क्षमता और राज्य तुलना
तमिलनाडु में रूफटॉप सोलर की स्थापित क्षमता 1.13 GW है, जबकि केरल में 1.44 GW और गुजरात में 5.84 GW है।
यह दर्शाता है कि छोटे राज्य जैसे केरल भी लक्षित जागरूकता और सरलीकृत कार्यान्वयन मॉडल के माध्यम से उच्च अपनाने की दर प्राप्त कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि अनुमोदन प्रक्रियाओं को सरल बनाना, बेहतर वित्तीय प्रोत्साहन देना और राज्य-स्तरीय निगरानी को मजबूत करना तमिलनाडु की प्रगति को तेज कर सकता है।
स्थिर जीके टिप: एक गीगावॉट (GW) = 1,000 मेगावॉट (MW) होता है, जो लगभग 7.5 लाख भारतीय घरों को बिजली देने के लिए पर्याप्त है।
रूफटॉप सोलर को समर्थन देने वाली सरकारी योजनाएँ
घरेलू सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने पीएम सूर्य घर: मुफ़्त बिजली योजना (PM Surya Ghar) और किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (KUSUM-C) जैसी योजनाएँ शुरू की हैं।
इन योजनाओं के तहत 60% तक की सब्सिडी और रियायती ऋण उपलब्ध कराए जाते हैं, जिससे घर और किसान दोनों के लिए सौर ऊर्जा सुलभ बन सके।
तमिलनाडु के निवासी इन योजनाओं का लाभ लेकर रूफटॉप सोलर पैनल लगाकर ग्रिड बिजली पर निर्भरता कम कर सकते हैं और बिजली बिलों में दीर्घकालिक बचत कर सकते हैं।
स्थिर जीके तथ्य: पीएम सूर्य घर योजना वर्ष 2024 में शुरू की गई थी जिसका लक्ष्य 2026 तक 1 करोड़ (10 मिलियन) घरों में सौर संयंत्र स्थापित करना है।
ऊर्जा उत्पादन और लाभ
हर 1 kW रूफटॉप सोलर सिस्टम से एक घर लगभग 5 यूनिट बिजली प्रतिदिन उत्पन्न कर सकता है — यानी महीने में लगभग 150 यूनिट।
एक वर्ष में यह 1,800 यूनिट बिजली उत्पन्न कर सकता है, जिससे न केवल खर्चों में बचत होगी बल्कि यह सतत ऊर्जा उत्पादन को भी बढ़ावा देगा।
इसके अलावा, सौर ऊर्जा से कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है और यह भारत के 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करता है।
स्थिर जीके टिप: प्रत्येक सौर यूनिट लगभग 0.8 किलोग्राम CO₂ उत्सर्जन बचाती है, जिससे जलवायु परिवर्तन नियंत्रण में योगदान मिलता है।
तमिलनाडु के लिए आगे की राह
रूफटॉप सोलर अपनाने को तेज करने के लिए तमिलनाडु को जन-जागरूकता अभियान, सरलीकृत सब्सिडी आवेदन प्रक्रिया, और वितरण कंपनियों (DISCOMs) के साथ समन्वय पर ध्यान देना होगा।
अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स, ग्रामीण घरों और छोटे व्यवसायों को सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना राज्य की क्षमता और ऊर्जा आत्मनिर्भरता दोनों को बढ़ा सकता है।
यदि योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाए, तो तमिलनाडु विकेन्द्रीकृत सौर उत्पादन में गुजरात और केरल की तरह एक मॉडल राज्य बन सकता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय | विवरण |
| तमिलनाडु में रूफटॉप सोलर पैठ | वार्षिक बिजली मांग का 1.55% |
| तमिलनाडु की सौर क्षमता | 1.13 GW |
| केरल की सौर क्षमता | 1.44 GW |
| गुजरात की सौर क्षमता | 5.84 GW |
| पीएम सूर्य घर और कुसुम-सी के तहत सब्सिडी | 60% तक |
| 1 kW सौर प्रणाली से बिजली उत्पादन | प्रतिदिन 5 यूनिट |
| 1 kW प्रणाली से वार्षिक उत्पादन | लगभग 1,800 यूनिट |
| प्रति यूनिट सौर बिजली से CO₂ कमी | 0.8 किलोग्राम |
| राष्ट्रीय रूफटॉप सौर लक्ष्य | 2026 तक 10 मिलियन घर |
| भारत का 2030 नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य | 500 GW कुल क्षमता |





