पृष्ठभूमि और महत्व
तमिलनाडु के कोयंबटूर के पास स्थित सिरुमुगई का पूर्वी क्षेत्र अपनी बारीक रेशम और रेशम–कपास मिश्रित हथकरघा साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। हाल ही में, स्थानीय बुनकर संघ और तमिलनाडु राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद ने मिलकर “सिरुमुगई मेनपट्टु पदारवाइकल” के लिए भौगोलिक संकेत (GI) टैग का आवेदन किया है।
यह GI टैग इस उत्पाद को नकल से बचाने, पारंपरिक शिल्प की रक्षा करने और घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसकी प्रतिष्ठा बढ़ाने में मदद करेगा।
शिल्प परंपरा और विशेषताएँ
“मेनपट्टु” शब्द का अर्थ आम तौर पर एक ऐसी महीन रेशमी या रेशम–कपास मिश्रित कपड़े से होता है, जो अपनी मुलायम बनावट और चमकदार रूप के लिए जाना जाता है। सिरुमुगई में यह बुनाई एक पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही पारंपरिक आजीविका है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएँ शामिल हैं। सिरुमुगई और आलंगोंबु के आसपास के निवासी बुनाई, रंगाई और छपाई के कार्यों में संलग्न हैं।
Static GK Fact: भारत में भौगोलिक संकेतों की मान्यता “Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999” के अंतर्गत दी जाती है। तमिलनाडु का GI रजिस्ट्री कार्यालय चेन्नई में स्थित है।
आवेदन की वर्तमान स्थिति
सिरुमुगई मेनपट्टु पदारवाइकल के लिए GI टैग का आवेदन स्थानीय बुनकरों और राज्य परिषद द्वारा संयुक्त रूप से दायर किया गया है। इसका उद्देश्य इसे कंदंगी साड़ी और कोवई कोरा कॉटन साड़ी जैसी अन्य GI-पंजीकृत वस्त्रों की श्रेणी में शामिल करना है।
GI टैग का महत्व
GI टैग किसी उत्पाद की भौगोलिक उत्पत्ति और विशिष्ट गुणवत्ता की पहचान कराता है। इससे केवल वही साड़ियाँ, जो सिरुमुगई क्षेत्र में पारंपरिक तकनीक से बुनी जाती हैं, उसी नाम से बेची जा सकेंगी। यह कदम बुनकरों के आर्थिक सशक्तिकरण और शिल्प विरासत के संरक्षण में सहायक होगा।
Static GK Fact: 2023 तक तमिलनाडु भारत के उन प्रमुख राज्यों में शामिल है, जिनके पास कपड़ा, कृषि और हस्तशिल्प श्रेणी में कई GI-पंजीकृत उत्पाद हैं।
चुनौतियाँ और अवसर
मुख्य चुनौतियाँ:
- उत्पादन प्रक्रिया का मानकीकरण (Standardization)
- पारंपरिक बुनाई की विशिष्टता को बनाए रखना
- नियामकीय स्वीकृति प्राप्त करना
अवसर:
- GI टैग के माध्यम से निर्यात और वैश्विक बाजार विस्तार
- “सिरुमुगई” को एक क्षेत्रीय ब्रांड के रूप में स्थापित करना
- युवा पीढ़ी के बुनकरों को इस शिल्प में जोड़ना
कोवई कोरा कॉटन साड़ियों की GI टैग सफलता यह दर्शाती है कि क्षेत्रीय उत्पाद किस प्रकार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान प्राप्त कर सकते हैं।
आगे की दिशा
GI टैग मिलने के बाद आवश्यक होगा कि हितधारक निगरानी तंत्र, अधिकृत उपयोगकर्ता प्रणाली, और विपणन व निर्यात चैनल स्थापित करें।
बुनकरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा बुनाई तकनीकों का दस्तावेजीकरण इस कला के दीर्घकालिक संरक्षण में मदद करेगा।
Static GK Fact: एक GI टैग 10 वर्षों के लिए वैध होता है और इसे नवीनीकृत किया जा सकता है। बिना अनुमति पंजीकृत GI नाम का उपयोग कानूनी अपराध माना जाता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| उत्पाद | सिरुमुगई मेनपट्टु पदारवाइकल साड़ियाँ |
| स्थान | सिरुमुगई, कोयंबटूर क्षेत्र, तमिलनाडु |
| आवेदन स्थिति | GI टैग के लिए आवेदन दायर किया गया |
| शिल्प विशेषताएँ | बारीक रेशम/रेशम-कपास मिश्रण, हथकरघा बुनाई, विशिष्ट क्षेत्रीय उत्पत्ति |
| GI टैग का उद्देश्य | ब्रांड सुरक्षा, बुनकरों का आर्थिक सशक्तिकरण, शिल्प संरक्षण |
| संबंधित GI उत्पाद उदाहरण | कोवई कोरा कॉटन साड़ियाँ (पहले से GI-पंजीकृत) |
| कानूनी आधार | Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999 |
| नवीकरण अवधि | प्रत्येक GI पंजीकरण के लिए 10 वर्ष |





