भारत–अमेरिका अंतरिक्ष साझेदारी का नया अध्याय
नासा–इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) उपग्रह 7 नवंबर से आधिकारिक रूप से परिचालन में प्रवेश कर रहा है—यह भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग में एक ऐतिहासिक क्षण है। इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन के अनुसार मिशन ने कैलिब्रेशन और वैलिडेशन प्रक्रियाएँ पूर्ण कर ली हैं और अब पूर्ण वैज्ञानिक संचालन के लिए तैयार है।
स्थैतिक तथ्य: NISAR मिशन 2014 में हस्ताक्षरित नासा–इसरो का संयुक्त प्रकल्प है—जो विश्व की सबसे मज़बूत द्विपक्षीय वैज्ञानिक साझेदारियों में गिना जाता है।
जलवायु और पृथ्वी अध्ययन के लिए शक्तिशाली प्रौद्योगिकी
NISAR विश्व का पहला उपग्रह है जिसमें द्वि–बैंड रडार लगे हैं—L-बैंड रडार (नासा) और S-बैंड रडार (इसरो)। ये रडार बादलों के आवरण या रात्रि में भी पृथ्वी-पृष्ठ का व्यापक विश्लेषण संभव बनाते हैं।
L-बैंड वन घनत्व, मृदा आर्द्रता और हिम चादरों में परिवर्तन का पता लगाएगा, जबकि S-बैंड कृषि पैटर्न और सूक्ष्म वनस्पति गतियों की निगरानी पर केंद्रित रहेगा। दोनों मिलकर हर 12 दिन में लगभग दो बार वैश्विक स्थलीय एवं हिम क्षेत्रों का आवरण प्रदान करेंगे।
स्थैतिक जीके टिप: Synthetic Aperture Radar (SAR) ऐसी रडार तकनीक है जो लक्ष्य क्षेत्र के ऊपर एंटेना की गति का उपयोग कर उच्च–विवरणी (high-resolution) चित्र बनाती है।
वैश्विक पर्यावरण निगरानी में प्रगति
NISAR जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और पारिस्थितिकी तंत्र के बदलावों पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि देगा। यह सूक्ष्म भूमि विस्थापन, हिमनदों के पीछे हटने और बाढ़–प्रवण क्षेत्रों की निगरानी कर सकेगा—भूकंप, भूस्खलन और बाढ़ जैसे जोखिमों के पूर्वानुमान व शमन में सहायक होगा।
इसके डेटा से कार्बन भंडारण पर वैश्विक अनुसंधान को भी बल मिलेगा, जिससे वैज्ञानिक यह समझ सकेंगे कि वन और आर्द्रभूमियाँ ग्रीनहाउस गैसों को कैसे अवशोषित करती हैं।
स्थैतिक तथ्य: भारत का प्रमुख प्रक्षेपण केंद्र सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC–श्रीहरिकोटा) है—यहीं से NISAR जैसे बड़े मिशन लॉन्च होते हैं।
आने वाले भारतीय अंतरिक्ष मिशन
NISAR के साथ, इसरो जनवरी 2026 में पहला मानवरहित गगनयान मिशन प्रक्षेपित करने की तैयारी में है—यह भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का बड़ा कदम होगा। अब तक 8,000 से अधिक परीक्षण चालक सुरक्षा के लिए किए जा चुके हैं।
आगे चलकर इसरो भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भी कार्य कर रहा है—पहला मॉड्यूल 2028 तक कक्षा में लाने का लक्ष्य है। 2035 तक पाँच मॉड्यूल और छह अंतरिक्षयात्रियों तक की क्षमता का अनुमान है।
स्थैतिक तथ्य: भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट 1975 में सोवियत सहायता से लॉन्च हुआ था—यही से भारत की अंतरिक्ष यात्रा शुरू हुई।
स्थैतिक Usthadian वर्तमान मामलों की तालिका
| विषय | विवरण |
| NISAR का पूर्ण रूप | NASA–ISRO Synthetic Aperture Radar |
| प्रक्षेपण यान | GSLV (सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से) |
| उपग्रह का भार | लगभग 2,400 किलोग्राम |
| परिचालन प्रारम्भ तिथि | 7 नवंबर 2025 |
| द्वि–रडार प्रणाली | L-बैंड (नासा) और S-बैंड (इसरो) |
| पृथ्वी कवरेज चक्र | हर 12 दिन में दो बार |
| मुख्य उद्देश्य | जलवायु निगरानी, प्राकृतिक आपदा मानचित्रण, स्थल-पृष्ठ विश्लेषण |
| आगामी इसरो मिशन | गगनयान (2026) और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (2028–2035) |
| पहला भारत–अमेरिका संयुक्त पृथ्वी–अवलोकन प्रकल्प | NISAR |
| इसरो मुख्यालय | बेंगलुरु, कर्नाटक |





