घरेलू रेयर अर्थ उत्पादन क्षमता को सुदृढ़ करना
भारत सरकार ने अपने रेयर अर्थ मैग्नेट निर्माण प्रोत्साहन कार्यक्रम (Rare Earth Magnet Manufacturing Incentive Scheme) का विस्तार करते हुए इसकी कुल राशि को ₹7,000 करोड़ (लगभग $788 मिलियन) तक बढ़ाने की घोषणा की है —
जो पहले आवंटन की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है।
यह कदम चीन पर निर्भरता कम करने की रणनीतिक पहल है, क्योंकि चीन वर्तमान में वैश्विक रेयर अर्थ प्रसंस्करण (processing) में 90% से अधिक हिस्सेदारी रखता है।
नई योजना का उद्देश्य भारत को स्वच्छ ऊर्जा (clean energy) और रक्षा सामग्रियों (defence materials) की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना है।
स्थैतिक तथ्य (Static GK fact): रेयर अर्थ तत्व (Rare Earth Elements – REEs) में 17 धातुएँ शामिल हैं, जैसे नियोडिमियम (Neodymium), डिसप्रोसियम (Dysprosium) और टर्बियम (Terbium) —
जो इलेक्ट्रिक वाहनों और पवन टर्बाइनों में उपयोग होने वाले हाई-परफॉर्मेंस मैग्नेट्स के लिए आवश्यक हैं।
वैश्विक आपूर्ति शृंखला जोखिमों की प्रतिक्रिया
यह विस्तार चीन द्वारा अप्रैल 2025 में लगाए गए निर्यात नियंत्रणों (export controls) के बाद किया गया है,
जिससे वैश्विक मैग्नेट आपूर्ति बाधित हुई थी।
भारत का यह निर्णय संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और यूरोपीय संघ की पहलों के अनुरूप है,
जो रणनीतिक खनिजों (critical minerals) की सुरक्षा और विविध आपूर्ति शृंखला (diversified supply chains) पर केंद्रित हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि महत्वपूर्ण खनिजों को कभी “हथियार” (weaponised) नहीं बनाना चाहिए,
और इन संसाधनों में स्थिर एवं पारदर्शी वैश्विक व्यापार की आवश्यकता है।
स्थैतिक जीके टिप (Static GK Tip): भारत के पास ओडिशा, केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में उल्लेखनीय रेयर अर्थ भंडार हैं,
जिनका संचालन मुख्य रूप से इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) द्वारा किया जाता है।
प्रोत्साहन योजना की संरचना और लाभ
संशोधित योजना कैबिनेट अनुमोदन की प्रतीक्षा में है और इसके तहत लगभग पाँच घरेलू कंपनियों को सहायता मिलेगी।
योजना में उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) और पूंजी सब्सिडी (capital subsidies) का मिश्रण शामिल है।
इससे घरेलू मैग्नेट निर्माण को गति मिलेगी और वैश्विक खनन कंपनियों के साथ साझेदारी (joint ventures) को प्रोत्साहन मिलेगा।
इस पहल का व्यापक उद्देश्य विदेशी मैग्नेट निर्माताओं को भारत में संयंत्र स्थापित करने और
स्वच्छ ऊर्जा एवं रक्षा क्षेत्र के लिए सतत औद्योगिक आधार (sustainable industrial base) तैयार करना है।
स्थैतिक तथ्य (Static GK fact): पीएलआई योजना (PLI Scheme) की शुरुआत 2020 में हुई थी,
जो वर्तमान में 14 क्षेत्रों — जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो घटक, और एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल्स — को कवर करती है।
तकनीकी और पर्यावरणीय चुनौतियाँ
भारत को इस क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना है —
- तकनीकी विशेषज्ञता की कमी (limited expertise),
- लंबी परियोजना अवधि (long lead times), और
- खनन और अपशिष्ट निपटान से जुड़े पर्यावरणीय जोखिम (environmental risks)।
रेयर अर्थ तत्वों को अलग करने और परिष्कृत करने की प्रक्रिया अत्यंत जटिल और तकनीकी रूप से उन्नत है,
जो अभी भी चीन और जापान में केंद्रित है।
इसी कारण, सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी और प्रोत्साहन प्रारंभिक घरेलू उत्पादन को व्यावहारिक और प्रतिस्पर्धी (viable & competitive) बनाने के लिए अनिवार्य हैं।
अनुसंधान और भविष्य की दिशा
भारत सिंक्रोनस रिलक्टेंस मोटर्स (Synchronous Reluctance Motors) जैसी वैकल्पिक मोटर तकनीकों पर अनुसंधान कर रहा है,
ताकि रेयर अर्थ तत्वों पर निर्भरता कम हो सके।
देश की वार्षिक रेयर अर्थ ऑक्साइड मांग लगभग 2,000 टन है,
और विदेशी आपूर्तिकर्ता भारत के तेजी से बढ़ते ई-मोबिलिटी बाजार (electric mobility market) में गहरी रुचि दिखा रहे हैं।
हालाँकि, यदि चीन भारत के लिए निर्यात नियंत्रणों को शिथिल करता है,
तो सस्ते आयात इस उभरते घरेलू उद्योग में निवेश की गति धीमी कर सकते हैं।
स्थैतिक जीके टिप (Static GK Tip): परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC)
भारत में रेयर अर्थ तत्वों के निष्कर्षण (extraction) और प्रौद्योगिकी विकास (technology development) के प्रमुख संस्थान हैं।
स्थैतिक “Usthadian” चालू घटनाएँ तालिका
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| कुल प्रोत्साहन राशि | ₹7,000 करोड़ ($788 मिलियन) |
| उद्देश्य | चीन पर रेयर अर्थ आयात निर्भरता कम करना |
| प्रमुख समर्थित क्षेत्र | इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा, रक्षा |
| कार्यान्वयन तंत्र | उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन और पूंजी सब्सिडी |
| लाभार्थी कंपनियों की संख्या | लगभग पाँच |
| प्रमुख घरेलू संस्था | इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) |
| वैश्विक संदर्भ | अमेरिका, जापान और यूरोपीय संघ की नीतियों के अनुरूप |
| प्रमुख चुनौती | सीमित तकनीकी विशेषज्ञता और पर्यावरणीय जोखिम |
| वार्षिक RE ऑक्साइड मांग | 2,000 टन |
| अनुसंधान केंद्रित क्षेत्र | सिंक्रोनस रिलक्टेंस मोटर्स और उन्नत मैग्नेट तकनीक |





