परिचय
सर्वे ऑफ़ इंडिया (Survey of India – SoI), राष्ट्रीय भू–स्थानिक नीति 2022 (National Geospatial Policy 2022) के तहत एक नया राष्ट्रीय भू–स्थानिक प्लेटफ़ॉर्म (National Geo-Spatial Platform – NGP) विकसित कर रहा है।
इस प्लेटफ़ॉर्म का उद्देश्य देशभर में मानकीकृत, साझा और प्रबंधनीय भू–स्थानिक डेटा प्रदान करना है। यह एक मजबूत और स्केलेबल प्रणाली होगी जो विभिन्न क्षेत्रों के बीच समन्वय सुनिश्चित करेगी।
स्थैतिक तथ्य (Static GK fact): सर्वे ऑफ़ इंडिया की स्थापना 1767 में हुई थी, और यह भारत की सबसे पुरानी वैज्ञानिक मानचित्रण संस्था है।
सर्वे ऑफ़ इंडिया की भूमिका
SoI देश में भू-स्थानिक डेटा के लिए मुख्य नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
यह राष्ट्रीय टोपोग्राफिक डेटाबेस, ग्राउंड कंट्रोल पॉइंट्स और कंटिन्युअस ऑपरेटिंग रेफरेंस स्टेशन नेटवर्क्स (CORS) के रखरखाव के लिए ज़िम्मेदार है।
राष्ट्रीय भू-स्थानिक प्लेटफ़ॉर्म की विशेषताएँ
NGP के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को सटीक और प्राधिकृत स्थानिक डेटा (spatial data) तक निर्बाध पहुँच मिलेगी।
यह डेटा वेब सेवाओं, API, और मोबाइल अनुप्रयोगों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा।
इसमें भूमि उपयोग, भू–आकृति (terrain), और ऊँचाई (elevation) जैसी मूलभूत भू–स्थानिक परतें शामिल होंगी।
इसका लक्ष्य एक मानकीकृत राष्ट्रीय डेटा पारिस्थितिकी तंत्र (data ecosystem) तैयार करना है।
क्षेत्रवार उपयोग और विकास के क्षेत्र
कृषि
सटीक भू-स्थानिक डेटा प्रिसिजन फ़ार्मिंग, मिट्टी स्वास्थ्य मानचित्रण, और सिंचाई प्रबंधन को बेहतर बनाकर उत्पादकता और स्थिरता में वृद्धि करेगा।
लॉजिस्टिक्स और परिवहन
यह प्लेटफ़ॉर्म प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान जैसी पहलों का समर्थन करेगा, ताकि सड़क, रेल, बंदरगाह और मल्टीमॉडल हब के लिए समेकित अवसंरचना योजना बनाई जा सके।
शहरी नियोजन और अवसंरचना
NGP शहरों के लिए 5–10 सेमी सटीकता वाले उच्च–रिज़ॉल्यूशन टोपोग्राफिक सर्वेक्षण को सक्षम करेगा।
यह नेशनल डिजिटल ट्विन (National Digital Twin) तैयार करने में मदद करेगा, जिससे AMRUT शहरों के लिए GIS-आधारित मास्टर प्लान बनाना आसान होगा।
पर्यावरण संरक्षण और आपदा प्रबंधन
यह प्लेटफ़ॉर्म वन, आर्द्रभूमि, तटीय क्षेत्र जैसे पर्यावरणीय संसाधनों की निगरानी और बाढ़, भूकंप, भूस्खलन जैसी आपदाओं के लिए प्रभावी प्रतिक्रिया प्रणाली विकसित करने में मदद करेगा।
नीति ढांचा और संस्थागत तंत्र
राष्ट्रीय भू–स्थानिक नीति 2022 भारत में भू-स्थानिक तकनीक और अवसंरचना के विकास के लिए एक रणनीतिक रोडमैप प्रदान करती है।
यह नीति भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी को राष्ट्रीय विकास का प्रमुख साधन बनाने का लक्ष्य रखती है।
नीति के तहत भू–स्थानिक डेटा संवर्धन एवं विकास समिति (Geospatial Data Promotion and Development Committee – GDPDC) का गठन किया गया है, जो मानक, दिशानिर्देश और शासन व्यवस्था की निगरानी करेगी।
प्रमुख लक्ष्य और मील के पत्थर
- 2030 तक पूरे देश के उच्च–रिज़ॉल्यूशन टोपोग्राफिक मानचित्रों का निर्माण
- भू-स्थानिक डेटा के उदारीकरण और लोकतंत्रीकरण (liberalisation and democratisation) को प्रोत्साहन
- स्टार्टअप्स, शिक्षण संस्थानों और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना
चुनौतियाँ और विचारणीय बिंदु
- डेटा मानकीकरण और सटीकता सुनिश्चित करना
- विभागों के बीच समन्वय (inter-agency coordination)
- डेटा गोपनीयता और सुरक्षा से जुड़ी चिंताएँ
- संस्थागत क्षमता निर्माण और तकनीकी विशेषज्ञता को मजबूत करना
निष्कर्ष
राष्ट्रीय भू–स्थानिक प्लेटफ़ॉर्म (NGP) भारत की डेटा अवसंरचना में एक आधारभूत परिवर्तन (foundational shift) का प्रतीक है।
सर्वे ऑफ़ इंडिया के नेतृत्व में और राष्ट्रीय भू–स्थानिक नीति 2022 के मार्गदर्शन में यह पहल शासन को सशक्त करेगी, योजना प्रक्रियाओं में दक्षता लाएगी, और कृषि, लॉजिस्टिक्स, शहरी विकास, और आपदा प्रबंधन जैसे अनेक क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित करेगी।
स्थैतिक तथ्य (Static GK fact): भारत की भू–स्थानिक अर्थव्यवस्था (Geospatial Economy) का आकार 2025 तक ₹63,000 करोड़ पार करने का अनुमान है, जो 12.8% वार्षिक दर से बढ़ रही है।
स्थैतिक “Usthadian” चालू घटनाएँ तालिका
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| कार्यक्रम | सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा राष्ट्रीय भू-स्थानिक प्लेटफ़ॉर्म (NGP) |
| नीति | राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति 2022 |
| नोडल एजेंसी | सर्वे ऑफ़ इंडिया (SoI) |
| संस्थागत निकाय | भू-स्थानिक डेटा संवर्धन एवं विकास समिति (GDPDC) |
| प्रमुख लक्ष्य | 2030 तक उच्च-रिज़ॉल्यूशन टोपोग्राफिक मानचित्र; प्रमुख शहरों के लिए डिजिटल ट्विन |
| क्षेत्रवार उपयोग | कृषि, लॉजिस्टिक्स, शहरी नियोजन, पर्यावरण, आपदा प्रबंधन |
| डेटा एक्सेस | वेब सेवाएँ, API, मोबाइल ऐप; मानकीकृत डेटासेट |
| विकास अनुमान | 2025 तक भू-स्थानिक अर्थव्यवस्था ₹63,000 करोड़ से अधिक |





