जुलाई 18, 2025 3:23 अपराह्न

ग्रेट निकोबार विकास बनाम आदिवासी अधिकार: शॉम्पेन जनजाति की दुविधा

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Great Nicobar Development vs Indigenous Rights: The Shompen Dilemma

शॉम्पेन कौन हैं?

शॉम्पेन भारत की विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) में से एक हैं, जो ग्रेट निकोबार द्वीप के घने जंगलों में रहते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार इनकी आबादी सिर्फ 229 थी। ये जनजाति बाहरी दुनिया से बेहद कटी हुई है और पांडनस फल, समुद्री भोजन, और जंगली मांस पर निर्भर रहती है। इनका मातृसत्तात्मक समाज, भूमि और पर्यावरण से जुड़ी पहचान पर आधारित है।

ग्रेट निकोबार परियोजना और उसका प्रभाव

भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित ग्रेट निकोबार परियोजना इस द्वीप को अंतरराष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर हब में बदलने की योजना है। इसमें ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह, ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा, और सौर गैस बिजली संयंत्र शामिल हैं। यह विकास लगभग 166.10 वर्ग किमी क्षेत्र में फैलेगा, जिसमें से 130.75 वर्ग किमी जंगल हैं—जो शॉम्पेन जीवनशैली की आधारशिला है।

आदिवासी अनुसंधान संस्थान (A&N) के प्रो. विश्वजीत पांड्या ने चेताया है कि यह परियोजना शॉम्पेन के पारंपरिक अधिकारों और जीवनशैली को गंभीर नुकसान पहुँचा सकती है। इनका बाहरी दुनिया से सीमित संपर्क है, जिससे संक्रमण और सामाजिक विघटन की आशंका और बढ़ जाती है।

सांस्कृतिक और पारिस्थितिक विस्थापन

शॉम्पेन समाज की भूमि उपयोग प्रणाली सामुदायिक ढांचे, विवाह परंपराओं और मौसमी भोजन प्रणाली पर आधारित है। जमीन खोने का मतलब केवल भौगोलिक नुकसान नहीं, बल्कि संस्कृतिक रूप से लुप्त हो जाने का खतरा भी है।

1990 के दशक में एक महामारी के कारण जनसंख्या में भारी गिरावट देखी गई थी, जो उनकी कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली को दर्शाती है। शॉम्पेन का अलग-थलग रहना सिर्फ परंपरा नहीं, एक सुरक्षात्मक तंत्र भी है।

विकास बनाम संरक्षण: संतुलन की आवश्यकता

ग्रेट निकोबार की पारिस्थितिकी संरक्षण केवल जैव विविधता के लिए ही नहीं, बल्कि स्थानीय आदिवासी अस्तित्व के लिए भी आवश्यक है। विशेषज्ञ कहते हैं कि सरकार को बाहरी नजरिए से नहीं, बल्कि समुदाय के अपने दृष्टिकोण (emic approach) से नीतियाँ बनानी चाहिए।

कम लेकिन आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं, स्थानीय ज्ञान पर आधारित शिक्षा, और सामुदायिक कृषि जैसे उपाय अपनाए जा सकते हैं, जो जीवनशैली को नुकसान पहुँचाए बिना मदद करें।

आगे का रास्ता

शॉम्पेन की शक्ति उनकी पर्यावरणीय समझ और लचीलापन में है। उन्होंने सीमित कृषि को अपनाया है, लेकिन उनका ज्ञान और अस्तित्व जंगलों से गहराई से जुड़ा है।

भविष्य में संगठनात्मक संरक्षण प्रयासों को समुदायनेतृत्व में बदलने की जरूरत है, ताकि भाषा, भूमि और जीवनशैली की रक्षा हो सके। विकास तभी सार्थक होगा जब यह भारत की सबसे प्राचीन संस्कृतियों को मिटाए बिना हो।

Static GK Snapshot (प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु)

श्रेणी विवरण
जनजाति शॉम्पेन (PVTG)
स्थान ग्रेट निकोबार द्वीप, अंडमान और निकोबार
जनसंख्या (2011) 229
परियोजना ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट – बंदरगाह, हवाई अड्डा
प्रभावित वन क्षेत्र 130.75 वर्ग किमी (कुल 166.10 में से)
प्रमुख विशेषताएं मातृसत्तात्मक संस्कृति, जंगल पर निर्भरता, पांडनस फल आधारित आहार
प्रमुख विशेषज्ञ प्रो. विश्वजीत पांड्या (A&N Tribal Research Institute)
Great Nicobar Development vs Indigenous Rights: The Shompen Dilemma
  1. Shompens एक Particularly Vulnerable Tribal Group (PVTG) हैं जो ग्रेट निकोबार द्वीप में रहते हैं।
  2. 2011 की जनगणना के अनुसार इनकी आबादी केवल 229 थी, जो इन्हें अत्यधिक संकटग्रस्त बनाती है।
  3. Shompens स्वैच्छिक अलगाव में रहते हैं और सदाबहार जंगलों पर भोजन और जीवन के लिए निर्भर हैं।
  4. इनका पारंपरिक आहार पैंडनस फल, समुद्री भोजन, और जंगली मांस पर आधारित होता है।
  5. यह समुदाय मातृवंशीय संस्कृति का पालन करता है और मौसमी संग्रहण की पद्धति अपनाता है।
  6. Great Nicobar Project में ट्रांसशिपमेंट पोर्ट, हवाई अड्डा, और पावर प्लांट जैसी बड़ी अवसंरचना योजनाएं शामिल हैं।
  7. यह विकास 10 वर्ग किमी क्षेत्र को प्रभावित करेगा, जिसमें से 130.75 वर्ग किमी वन भूमि है।
  8. वन Shompens की जीवनरेखा हैं और उनकी भूमिआधारित पहचान को बनाए रखते हैं।
  9. प्रो. विश्वजीत पांड्या जैसे विशेषज्ञ बाहरी संपर्क से होने वाले सांस्कृतिक और स्वास्थ्य जोखिमों की चेतावनी देते हैं।
  10. 1990 के दशक की एक महामारी ने उनकी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता को उजागर किया था।
  11. Shompen जनजाति में एनीमिया और श्वसन रोगों की उच्च दर देखी गई है।
  12. विकास केवल भौगोलिक क्षेत्र की नहीं बल्कि सांस्कृतिक विलुप्ति का कारण भी बन सकता है।
  13. उनकी भूमि उपयोग प्रणाली उनके कुल ढांचे, विवाह, और जीविका पैटर्न का समर्थन करती है।
  14. नए खाद्य पदार्थ, प्रौद्योगिकी, और लोगों के संपर्क से सामाजिक विघटन और बीमारियों का प्रसार हो सकता है।
  15. जनजाति का अलगाव केवल सांस्कृतिक नहीं बल्कि एक रक्षक रणनीति भी है।
  16. कार्यकर्ता “emic” दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह करते हैं, जिसका अर्थ है समुदाय के दृष्टिकोण से समझना
  17. समाधान में स्थानीय स्वास्थ्य सेवा, जनजातीय नेतृत्व वाली शिक्षा, और पर्यावरणअनुकूल कृषि शामिल होनी चाहिए।
  18. संरक्षण को समुदायप्रेरित बनाना चाहिए, जो उनकी भूमि, भाषा, और जीवनशैली को बनाए रखे।
  19. Shompens ने धीरे-धीरे सीमित कृषि को अपनाया है, बिना अपनी वन ज्ञान प्रणाली को खोए।
  20. विकास और जनजातीय स्वायत्तता के बीच संतुलन बनाना भारत की सबसे प्राचीन संस्कृतियों को बचाने के लिए आवश्यक है।

Q1. शोम्पेन, जो एक विशेष रूप से दुर्बल जनजातीय समूह (PVTG) हैं, कहाँ रहते हैं?


Q2. 2011 की जनगणना के अनुसार शोम्पेन जनसंख्या का अनुमान क्या है?


Q3. ग्रेट निकोबार परियोजना के अंतर्गत कौन-सा प्रमुख बुनियादी ढांचा प्रस्तावित है?


Q4. इस परियोजना के तहत शोम्पेनों की भलाई को लेकर किस विशेषज्ञ ने चिंता जताई?


Q5. शोम्पेन समुदाय की एक प्रमुख सांस्कृतिक विशेषता क्या है?


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