समुद्री नेतृत्व को सशक्त बनाना
इंडिया मेरीटाइम वीक 2025 ने भारत के समुद्री क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की, जिसके दौरान कुल ₹12 लाख करोड़ के निवेश समझौते हुए।
यह पहल मेरीटाइम अमृत काल विज़न 2047 के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य भारत को वैश्विक समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करना है।
इस आयोजन के दौरान देशी तकनीक आधारित कई परियोजनाएँ शुरू की गईं, जो जहाज निर्माण, बंदरगाह अवसंरचना और समुद्री संपर्क को बढ़ावा देंगी।
स्वदेशी जहाज निर्माण में विस्तार
स्वदेशी शिपबिल्डिंग मिशन के तहत तेल और गैस क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनियों (PSUs) ने कुल ₹47,800 करोड़ मूल्य के 59 जहाज निर्माण ऑर्डर दिए।
शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SCI) ने 2047 तक 216 जहाजों का लक्ष्य घोषित किया है, जिसके लिए लगभग ₹1 लाख करोड़ का निवेश किया जाएगा।
यह पहल स्वावलंबन (self-reliance) को प्रोत्साहित करती है और विदेशी जहाजों पर निर्भरता को घटाएगी।
स्थिर जीके तथ्य: शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की स्थापना 1961 में हुई थी और यह भारत के सागर व्यापार में प्रमुख भूमिका निभाती है।
समुद्री क्षेत्र और आर्थिक वृद्धि
भारत की आर्थिक प्रगति में समुद्री क्षेत्र की भूमिका केंद्रीय है — देश के कुल व्यापार का 95% (मात्रा के अनुसार) और 70% (मूल्य के अनुसार) समुद्र मार्गों से होता है।
2024–2025 में देश की कुल बंदरगाह क्षमता 2,762 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MMTPA) तक पहुँच गई, जो 2014 में लगभग 1,400 MMTPA थी।
जहाजों का औसत टर्नअराउंड समय 93 घंटे (2014) से घटकर 48 घंटे (2025) रह गया है, जिससे भारत अब एक प्रतिस्पर्धी समुद्री हब के रूप में उभरा है।
स्थिर जीके टिप: बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) भारत में समुद्री प्रशासन का प्रमुख नोडल मंत्रालय है।
समुद्री कार्यबल में वृद्धि
भारत का नाविक कार्यबल (Seafarer Workforce) 2014 में 1.25 लाख से बढ़कर 2025 में 3 लाख से अधिक हो गया है — यह वैश्विक समुद्री कार्यबल का 12% है।
इस वृद्धि के साथ भारत विश्व के शीर्ष तीन प्रशिक्षित नाविक आपूर्तिकर्ता देशों में शामिल हो गया है।
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ शिपिंग (DGS) के प्रशिक्षण संस्थानों ने इस प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
समुद्री विकास के लिए विधायी सुधार
भारत ने समुद्री क्षेत्र के नियामक ढाँचे को सुदृढ़ करने के लिए कई नए कानून लागू किए हैं —
मर्चेंट शिपिंग एक्ट 2025, कोस्टल शिपिंग एक्ट 2025, और इंडियन पोर्ट्स एक्ट 2025।
इन अधिनियमों का उद्देश्य बंदरगाह आधुनिकीकरण, अंतर्देशीय जल परिवहन, और सतत समुद्री प्रथाओं को प्रोत्साहित करना है।
स्थिर जीके तथ्य: इंडियन पोर्ट्स एक्ट मूल रूप से 1908 में लागू किया गया था, जिसे अब 2025 में आधुनिक रूप दिया गया है।
भविष्य के समुद्री विकास की दृष्टि
मेरीटाइम इंडिया विज़न 2030 ने लॉजिस्टिक्स दक्षता, हरित बंदरगाहों और डिजिटलीकरण जैसे दस प्रमुख विषय निर्धारित किए हैं।
इसका अगला संस्करण मेरीटाइम अमृत काल विज़न 2047, ₹70 लाख करोड़ से अधिक निवेश को लक्षित करता है — जिसमें जहाज निर्माण, क्रूज़ पर्यटन और कौशल विकास शामिल हैं।
सागरमाला कार्यक्रम लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने और पोर्ट-नेतृत्व वाले विकास (Port-led Development) के माध्यम से रोजगार सृजन का लक्ष्य रखता है।
वहीं, ग्रीन टग प्रोग्राम के तहत 2040 तक 100 पर्यावरण-अनुकूल टगबोट्स तैनात करने की योजना है।
भारतीय महासागर की सुरक्षा
भारत अपने समुद्री सुरक्षा ढाँचे (Maritime Security Framework) को मज़बूत कर रहा है — MAHASAGAR पहल, एक्ट ईस्ट नीति, और इंडियन ओशन नेवल संगोष्ठी (IONS) के माध्यम से।
ये कदम एक मुक्त, खुला और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific) सुनिश्चित करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं।
स्थिर उस्तादियन करेंट अफेयर्स तालिका
| विषय | विवरण |
| निवेश की घोषणा | इंडिया मेरीटाइम वीक 2025 में ₹12 लाख करोड़ |
| प्रमुख दृष्टि | मेरीटाइम अमृत काल विज़न 2047 |
| शिपबिल्डिंग ऑर्डर | ₹47,800 करोड़ के 59 ऑर्डर |
| एससीआई लक्ष्य | 2047 तक 216 जहाज |
| समुद्री व्यापार | मात्रा के अनुसार 95%, मूल्य के अनुसार 70% |
| बंदरगाह क्षमता 2024–25 | 2,762 MMTPA |
| नाविक कार्यबल 2025 | 3 लाख से अधिक (वैश्विक 12%) |
| नए समुद्री अधिनियम | मर्चेंट शिपिंग एक्ट 2025, कोस्टल शिपिंग एक्ट 2025, इंडियन पोर्ट्स एक्ट 2025 |
| ग्रीन टग प्रोग्राम | 2040 तक 100 ईको-फ्रेंडली टगबोट्स |
| समुद्री सुरक्षा ढाँचा | MAHASAGAR, एक्ट ईस्ट पॉलिसी, IONS |





