द्विपक्षीय रक्षा संबंधों में नया अध्याय
भारत और अमेरिका ने 10-वर्षीय “मुख्य रक्षा साझेदारी (Major Defence Partnership) के फ्रेमवर्क” पर हस्ताक्षर करके रक्षा सहयोग के एक नए चरण में प्रवेश किया है।
यह ऐतिहासिक समझौता 31 अक्टूबर 2025 को संपन्न हुआ, जिसका उद्देश्य सैन्य सहयोग का विस्तार, तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देना, और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा सुरक्षा प्रतिबद्धताओं को सुदृढ़ करना है।
स्थिर जीके तथ्य: भारत और अमेरिका के बीच पहला रक्षा फ्रेमवर्क समझौता 2005 में हुआ था, जिसे 2015 में दस वर्षों के लिए नवीनीकृत किया गया था।
हस्ताक्षर स्थल और प्रमुख प्रतिभागी
यह समझौता कुआलालंपुर (मलेशिया) में आयोजित आसियान-भारत रक्षा मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक के दौरान हुआ।
समझौते पर हस्ताक्षर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा सचिव पीटर हेगसेथ के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक के बाद किए गए।
दोनों नेताओं ने इस वार्ता को “फलदायी और ऐतिहासिक” बताया, और कहा कि यह फ्रेमवर्क आपसी विश्वास और रणनीतिक सहयोग के नए युग की शुरुआत करेगा।
सहयोग के प्रमुख क्षेत्र
इस 10-वर्षीय फ्रेमवर्क में नीतिगत दिशा और सामरिक सहयोग के पाँच प्रमुख क्षेत्र निर्धारित किए गए हैं —
- संयुक्त सैन्य अभ्यास जैसे युद्ध अभ्यास (Yudh Abhyas) और टाइगर ट्रायम्फ (Tiger Triumph) का विस्तार।
- रक्षा प्रौद्योगिकी और अनुसंधान में साझेदारी, विशेष रूप से AI और साइबर डिफेंस क्षेत्रों में।
- खुफिया और सूचना साझाकरण (Intelligence Sharing) के माध्यम से क्षेत्रीय निगरानी को सुदृढ़ बनाना।
- भारतीय और अमेरिकी रक्षा उद्योगों के बीच औद्योगिक सहयोग।
- हिंद-प्रशांत समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त समुद्री पहल।
स्थिर जीके टिप: “Indo-Pacific” शब्द को 2018 में अमेरिकी इंडो-पैसिफिक कमांड (USINDOPACOM) की स्थापना के बाद वैश्विक महत्व प्राप्त हुआ, जिसने Pacific Command का स्थान लिया।
रक्षा नेताओं के वक्तव्य
हस्ताक्षर के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया पर कहा:
“कुआलालंपुर में अमेरिकी रक्षा सचिव पीटर हेगसेथ के साथ फलदायी बैठक हुई। हमने ‘भारत-अमेरिका मुख्य रक्षा साझेदारी के लिए 10-वर्षीय फ्रेमवर्क’ पर हस्ताक्षर किए। यह हमारे पहले से मजबूत रक्षा संबंधों में एक नए युग की शुरुआत करेगा।”
उन्होंने कहा कि यह समझौता दोनों लोकतंत्रों के बीच रणनीतिक समानता (Strategic Convergence) को दर्शाता है और स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र की दिशा में सहयोग को मजबूत करेगा।
अमेरिकी रक्षा सचिव पीटर हेगसेथ ने इस समझौते को “क्षेत्रीय स्थिरता और प्रतिरोध का आधार (Cornerstone for Regional Stability and Deterrence)” बताया।
समझौते का सामरिक महत्व
यह फ्रेमवर्क भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी को गहराई देने की दिशा में एक बड़ा कदम है —
जो 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारियों में से एक है।
यह भारत की रक्षा आधुनिकीकरण प्रक्रिया को मजबूत करता है,
क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है,
और दोनों देशों की वैश्विक चुनौतियों से निपटने की क्षमता को बढ़ाता है।
स्थिर जीके तथ्य: भारत को 2016 में अमेरिका का “Major Defence Partner” घोषित किया गया था — यह दर्जा केवल भारत को मिला है, जो उसकी वैश्विक शांति और क्षेत्रीय स्थिरता में भूमिका को मान्यता देता है।
यह समझौता भारत की Act East Policy और अमेरिका की Free and Open Indo-Pacific Strategy के अनुरूप है, जिससे दोनों देशों के बीच बहुपक्षीय रक्षा मंचों पर सहयोग को दिशा मिलेगी।
स्थिर उस्तादियन करेंट अफेयर्स तालिका
| विषय | विवरण |
| समझौते की तिथि | 31 अक्टूबर 2025 |
| हस्ताक्षर स्थल | कुआलालंपुर, मलेशिया |
| भारतीय प्रतिनिधि | रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह |
| अमेरिकी प्रतिनिधि | रक्षा सचिव पीटर हेगसेथ |
| समझौते की अवधि | 10 वर्ष (2025–2035) |
| मुख्य फोकस क्षेत्र | तकनीकी आदान-प्रदान, संयुक्त अभ्यास, समुद्री सुरक्षा |
| पिछला फ्रेमवर्क समझौता | 2015 (2005 समझौते का नवीनीकरण) |
| सामरिक महत्व | हिंद-प्रशांत सहयोग और रक्षा आधुनिकीकरण को सुदृढ़ बनाना |
| भारत का दर्जा | प्रमुख रक्षा साझेदार (Major Defence Partner) — 2016 |
| संबंधित क्षेत्रीय नीति | Act East Policy और Indo-Pacific Strategy |





