कर्नाटक के विशिष्ट पुरातत्वविद् का सम्मान
धारवाड़, कर्नाटक के वरिष्ठ पुरातत्वविद् प्रो. रविन्द्र कोरिसेट्टर को राज्योत्सव पुरस्कार 2025 के लिए चुना गया है।
यह पुरस्कार उनके चार दशकों से अधिक के उत्कृष्ट योगदान — पुरातत्व, शिक्षा और भारत की प्रागैतिहासिक धरोहर के संरक्षण — के लिए प्रदान किया जा रहा है।
स्थिर जीके तथ्य: राज्योत्सव पुरस्कार की स्थापना 1966 में की गई थी और यह कर्नाटक का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। इसे हर वर्ष 1 नवम्बर (कर्नाटक राज्योत्सव दिवस) के अवसर पर प्रदान किया जाता है।
एक दूरदर्शी विद्वान की शैक्षणिक यात्रा
1951 में जन्मे प्रो. कोरिसेट्टर ने पूना विश्वविद्यालय से पुरातत्व और चतुर्थक अध्ययन (Quaternary Studies) में शिक्षा प्राप्त की।
बाद में उन्होंने INQUA (International Union for Quaternary Research), बीजिंग में उन्नत प्रशिक्षण प्राप्त किया।
वह वर्तमान में कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ के इतिहास एवं पुरातत्व विभाग में यूजीसी एमेरिटस फेलो (UGC Emeritus Fellow) हैं।
उन्होंने चार्ल्स वालेस–AIIT फैलोशिप (कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय) और फुलब्राइट विजिटिंग स्कॉलरशिप (स्मिथसोनियन संस्थान, वॉशिंगटन डी.सी.) जैसी अंतरराष्ट्रीय फैलोशिप भी प्राप्त कीं।
स्थिर जीके टिप: फुलब्राइट कार्यक्रम, जिसकी स्थापना 1946 में अमेरिकी सीनेटर जे. विलियम फुलब्राइट द्वारा की गई थी, दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक विनिमय कार्यक्रमों में से एक है।
प्रागैतिहासिक और भू–पुरातत्व अध्ययन में अग्रणी शोध
प्रो. कोरिसेट्टर के शोध ने भारत में प्रागैतिहासिक पुरातत्व को नई दिशा दी है।
उनके अनुसंधान कार्य Science (2007) और PNAS (Proceedings of the National Academy of Sciences, USA) जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
उन्होंने कई अंतरविषयक परियोजनाओं (Interdisciplinary Projects) का नेतृत्व किया —
- कश्मीर पैलियोक्लाइमेट प्रोजेक्ट (Physical Research Laboratory, Ahmedabad)
- कंप्यूटर एप्लीकेशन इन आर्कियोलॉजी प्रोजेक्ट, जिसके अंतर्गत भारत के प्रागैतिहासिक स्थलों का गज़ेटियर (Gazetteer) तैयार किया गया, जिसे फोर्ड फाउंडेशन ने वित्तपोषित किया।
भारत की प्रागैतिहासिक धरोहर के संरक्षक
प्रो. कोरिसेट्टर ने बल्लारी और धारवाड़ में प्रागैतिहासिक संग्रहालयों (Prehistory Museums) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने सर्व शिक्षा अभियान और कर्नाटक विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय में परिवर्तित करने जैसी समितियों में भी योगदान दिया।
स्थिर जीके तथ्य: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की स्थापना 1861 में हुई थी। यह संस्था भारत के ऐतिहासिक स्मारकों और कलाकृतियों के संरक्षण में अहम भूमिका निभाती है और प्रो. कोरिसेट्टर जैसे विद्वानों के साथ सहयोग करती है।
वैश्विक सहयोग और अंतरराष्ट्रीय मान्यता
प्रो. कोरिसेट्टर का कार्य राष्ट्रीय सीमाओं से परे विस्तृत है।
उन्होंने इंडो-पैसिफिक प्रीहिस्ट्री एसोसिएशन (ऑस्ट्रेलिया), INQUA Commission on Tephrochronology (यूके) और INQUA Commission on Palaeoecology and Human Evolution जैसी संस्थाओं के साथ सहयोग किया है।
उनके अध्ययन ने दक्षिण एशिया में प्रागैतिहासिक मानव विकास और पर्यावरणीय परिवर्तनों की वैश्विक समझ को नई दृष्टि दी है।
अन्य 2025 राज्योत्सव पुरस्कार विजेता
मुंबई–कर्नाटक क्षेत्र से अन्य सम्मानित व्यक्तित्वों में शामिल हैं —
लेखक एच. एम. पुजार, लोक कलाकार सन्नानिंगप्पा मुशेनागोल और सोमन्ना धनागोंडा, कृषि विशेषज्ञ एस. वी. हित्तलमणि, तथा वैज्ञानिक आर. वी. नादगौड़ा।
स्थिर जीके टिप: कर्नाटक राज्य चार प्रमुख सांस्कृतिक क्षेत्रों में विभाजित है — हैदराबाद–कर्नाटक, मुंबई–कर्नाटक, तटीय कर्नाटक, और दक्षिणी कर्नाटक — जो राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विविधता को दर्शाते हैं।
स्थिर उस्तादियन करेंट अफेयर्स तालिका
| विषय | विवरण |
| पुरस्कार | राज्योत्सव पुरस्कार 2025 |
| सम्मानित व्यक्ति | प्रो. रविन्द्र कोरिसेट्टर |
| कार्य क्षेत्र | पुरातत्व और भू–पुरातत्व (Geoarchaeology) |
| संस्थान | कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ |
| फैलोशिप | चार्ल्स वालेस–AIIT, फुलब्राइट विजिटिंग स्कॉलर |
| प्रमुख शोध परियोजनाएँ | कश्मीर पैलियोक्लाइमेट प्रोजेक्ट, कंप्यूटर एप्लीकेशन इन आर्कियोलॉजी प्रोजेक्ट |
| प्रमुख प्रकाशन | Science (2007), PNAS (USA) |
| योगदान | बल्लारी और धारवाड़ में प्रागैतिहासिक संग्रहालयों की स्थापना |
| संबद्ध संस्थाएँ | ASI, INQUA, इंडो–पैसिफिक प्रीहिस्ट्री एसोसिएशन |
| अन्य 2025 पुरस्कार विजेता | एच. एम. पुजार, एस. वी. हित्तलमणि, आर. वी. नादगौड़ा |





