प्रोजेक्ट चीता का विस्तार
मध्य प्रदेश सरकार ने आधिकारिक रूप से नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य को राज्य का तीसरा चीता स्थल घोषित कर दिया है, जो कूनो राष्ट्रीय उद्यान और गांधी सागर अभयारण्य के बाद आता है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की कि नामीबिया से लाए गए चीते यहाँ प्रोजेक्ट चीता के तहत छोड़े जाएँगे।
इस विस्तार का उद्देश्य पारिस्थितिक जोखिम को विभाजित करना और केंद्रीय भारत में चीता मेटा-जनसंख्या प्रबंधन (Metapopulation Management) को सशक्त बनाना है।
स्थिर जीके तथ्य: प्रोजेक्ट चीता की शुरुआत 2022 में की गई थी ताकि 1952 में भारत से विलुप्त हुए चीता प्रजाति को फिर से पुनर्स्थापित किया जा सके।
नौरादेही का रणनीतिक महत्व
नौरादेही अभयारण्य, चंबल और विन्ध्य पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है और यह शिकारी-शिकार संतुलन (Predator–Prey Balance) के लिए अत्यंत उपयुक्त क्षेत्र माना जाता है।
कूनो और गांधी सागर में सफल चीता प्रबंधन के बाद इस क्षेत्र को तीसरे स्थल के रूप में चुना गया है।
अधिकारियों का कहना है कि इससे कूनो पर पारिस्थितिक दबाव कम होगा, साथ ही पर्यटन विकास और स्थानीय आजीविका को भी बढ़ावा मिलेगा।
स्थिर जीके तथ्य: नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य मध्य प्रदेश के सागर, दमोह और नरसिंहपुर ज़िलों में फैला हुआ है।
ट्रांसलोकेशन और मॉनिटरिंग प्रोटोकॉल
पहली खेप के चीते नामीबिया से मौजूदा अंतर-सरकारी समझौतों के तहत भारत लाए जाएँगे।
उन्हें पहले बड़े अनुकूलन बाड़ों (Acclimatization Enclosures) में रखा जाएगा, फिर उन्हें जंगली क्षेत्र में धीरे-धीरे छोड़ा जाएगा (Soft Release)।
प्रत्येक चीते को सैटेलाइट–जीपीएस कॉलर से लैस किया जाएगा ताकि 24×7 ट्रैकिंग और निगरानी की जा सके।
विशेष दल शिकार प्रजातियों की संख्या बढ़ाने (Prey Augmentation), पशु स्वास्थ्य निगरानी, और मानव–वन्यजीव संघर्ष न्यूनीकरण पर कार्य करेंगे।
स्थिर जीके टिप: नामीबिया पहला अफ्रीकी देश है जिसने संरक्षण उद्देश्यों के लिए भारत को चीते निर्यात किए।
पूरक संरक्षण उपाय
चीता पुनर्स्थापन कार्यक्रम के साथ-साथ, वन विहार भोपाल से चार मादा और दो नर मगरमच्छों को इंदिरा सागर बांध के बैकवॉटर में छोड़ा गया है।
इसके अतिरिक्त, असम के साथ घड़ियाल विनिमय कार्यक्रम भी चल रहा है, जिसका उद्देश्य प्रजनन विविधता (Breeding Diversity) को बढ़ाना है।
ये जलीय संरक्षण प्रयास नदी पारिस्थितिकी तंत्र के ट्रॉफिक संतुलन (Trophic Balance) को पुनर्स्थापित करने में सहायक होंगे और जैव विविधता गलियारों (Biodiversity Corridors) को सुदृढ़ करेंगे।
स्थिर जीके तथ्य: घड़ियाल (Gavialis gangeticus) को IUCN रेड लिस्ट में गंभीर संकटग्रस्त (Critically Endangered) श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।
ओंकारेश्वर अभयारण्य और भविष्य की योजनाएँ
राज्य सरकार खण्डवा और देवास ज़िलों में फैले 61,407 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले ओंकारेश्वर वन्यजीव अभयारण्य को अधिसूचित करने की प्रक्रिया में है।
नर्मदा नदी के निकट स्थित यह क्षेत्र भविष्य में टाइगर रिज़र्व का दर्जा प्राप्त कर सकता है।
नौरादेही और ओंकारेश्वर दोनों मिलकर मध्य प्रदेश के बहु-प्रजातीय, बहु-आवासीय संरक्षण मॉडल की नींव रखेंगे, जो इको-टूरिज्म, सामुदायिक सहभागिता और वैज्ञानिक निगरानी पर आधारित होगा।
स्थिर जीके टिप: मध्य प्रदेश को “भारत का टाइगर स्टेट (Tiger State of India)” कहा जाता है क्योंकि यहाँ देश की सबसे बड़ी बाघ जनसंख्या पाई जाती है।
स्थिर उस्तादियन करेंट अफेयर्स तालिका
| विषय | विवरण |
| चीता पुनर्स्थापन हेतु स्वीकृत अभयारण्य | नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य, मध्य प्रदेश |
| राज्य में अन्य चीता स्थल | कूनो राष्ट्रीय उद्यान, गांधी सागर अभयारण्य |
| चीतों का स्रोत देश | नामीबिया |
| परियोजना का नाम | प्रोजेक्ट चीता |
| प्रमुख घोषणा | मुख्यमंत्री मोहन यादव |
| ओंकारेश्वर अभयारण्य का क्षेत्रफल | 61,407 हेक्टेयर (लगभग 614 वर्ग किमी) |
| मगरमच्छ छोड़े जाने का स्थल | इंदिरा सागर बांध, मध्य प्रदेश |
| घड़ियाल विनिमय सहयोगी राज्य | असम |
| चीतों की निगरानी विधि | सैटेलाइट–जीपीएस कॉलर और 24×7 मॉनिटरिंग |
| विस्तार का उद्देश्य | केंद्रीय भारत में चीता मेटा-जनसंख्या और जैव विविधता को सुदृढ़ करना |





