आधिकारिक नियुक्ति
न्यायमूर्ति सूर्यकांत को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India – CJI) के रूप में नियुक्त किया गया है।
यह नियुक्ति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंज़ूरी के बाद की गई, जो निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की सिफारिश पर आधारित है।
न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल 23 नवंबर 2025 को समाप्त होगा, और न्यायमूर्ति सूर्यकांत 24 नवंबर 2025 को पदभार ग्रहण करेंगे।
इस नियुक्ति की आधिकारिक घोषणा विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा की गई।
स्थिर जीके तथ्य: भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(1) के अंतर्गत स्थापित है, जो राष्ट्रपति को नियुक्ति का अधिकार देता है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की प्रोफ़ाइल
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, वर्तमान में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं।
वे संविधान की व्याख्या, मानवाधिकार संरक्षण, और सामाजिक न्याय में अपने महत्वपूर्ण योगदानों के लिए प्रसिद्ध हैं।
सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्ति से पूर्व उन्होंने निम्न पदों पर कार्य किया:
• हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
• पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश
उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं और अपने संतुलित दृष्टिकोण, स्पष्ट तर्कशक्ति, और संवेदनशील मामलों में निष्पक्ष निर्णयों के लिए जाने जाते हैं।
स्थिर जीके टिप: भारत का सर्वोच्च न्यायालय 28 जनवरी 1950 को कार्यरत हुआ, भारत के गणराज्य बनने के दो दिन बाद।
नियुक्ति प्रक्रिया
मुख्य न्यायाधीश का चयन कोलेजियम प्रणाली (Collegium System) के अंतर्गत किया जाता है, जिसमें वर्तमान CJI अपने उत्तराधिकारी के रूप में वरिष्ठतम न्यायाधीश का नाम अनुशंसित करते हैं।
यह परंपरा न्यायिक नेतृत्व में निरंतरता और योग्यता सुनिश्चित करती है।
- निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश: न्यायमूर्ति बी. आर. गवई
• नव नियुक्त मुख्य न्यायाधीश: न्यायमूर्ति सूर्यकांत 
इस नियुक्ति की सूचना औपचारिक रूप से विधि मंत्रालय द्वारा सरकारी चैनलों के माध्यम से जारी की गई।
स्थिर जीके तथ्य: कोलेजियम प्रणाली का स्वरूप तीन ऐतिहासिक मामलों — थ्री जजेस केसेस (1981, 1993, और 1998) — के निर्णयों से निर्धारित हुआ, जिन्होंने भारत में न्यायिक नियुक्तियों की रूपरेखा तय की।
प्रमुख प्राथमिकताएँ और चुनौतियाँ
न्यायमूर्ति सूर्यकांत का कार्यकाल भारतीय न्यायपालिका के परिवर्तनशील दौर में शुरू होगा।
उनके नेतृत्व में निम्नलिखित क्षेत्रों पर विशेष ध्यान अपेक्षित है:
• न्यायपालिका का डिजिटलीकरण (Judicial Digitisation) और ई-कोर्ट्स का विस्तार
• लंबित मामलों में कमी और त्वरित न्याय की व्यवस्था
• पर्यावरण एवं सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना
• केंद्र और राज्यों के बीच कानूनी समन्वय को सुदृढ़ करना
• संवैधानिक मुद्दों के समाधान हेतु बड़ी पीठों (Constitutional Benches) का गठन
उनका नेतृत्व न्यायपालिका में पारदर्शिता, जवाबदेही, और सुलभता को बढ़ाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहेगा।
स्थिर जीके टिप: भारत में एकीकृत न्यायिक प्रणाली (Unified Judicial System) है — सर्वोच्च न्यायालय शीर्ष पर, उसके बाद उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय आते हैं।
मुख्य न्यायाधीश का पद और महत्व
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर आसीन होते हैं।
मुख्य न्यायाधीश के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
• सर्वोच्च न्यायालय की पीठों (Benches) और संवैधानिक पीठों की अध्यक्षता करना
• मामलों और न्यायाधीशों का विभाजन और आवंटन करना
• न्यायिक नियुक्तियों और प्रशासनिक कार्यों की निगरानी करना
• न्यायिक सुधार और नीतिगत निर्णयों को दिशा प्रदान करना
न्यायमूर्ति सूर्यकांत का नेतृत्व भारतीय न्यायपालिका को आधुनिकता, तकनीकी नवाचार, और संवैधानिक विकास की दिशा में आगे बढ़ाने में निर्णायक भूमिका निभाएगा।
स्थिर उस्तादियन करेंट अफेयर्स तालिका
| विषय | विवरण | 
| भारत के नए मुख्य न्यायाधीश | न्यायमूर्ति सूर्यकांत | 
| नियुक्ति करने वाली | राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू | 
| निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश | न्यायमूर्ति बी. आर. गवई | 
| कार्यकाल प्रारंभ | 24 नवंबर 2025 | 
| नियुक्ति की घोषणा | विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल | 
| पूर्व न्यायिक पद | हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश; पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश | 
| नियुक्ति प्रणाली | कोलेजियम प्रणाली | 
| संवैधानिक अनुच्छेद | अनुच्छेद 124(1) | 
| सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना वर्ष | 1950 | 
| प्रमुख प्राथमिकताएँ | न्यायिक सुधार, डिजिटलीकरण, संवैधानिक पीठों के मामले | 
				
															




