परिचय
नीति आयोग ने भारत के सेवा क्षेत्र पर दो महत्वपूर्ण रिपोर्टें जारी की हैं —
- Insights from GVA Trends and State-level Dynamics, और
- Insights from Employment Trends and State-level Dynamics।
इन रिपोर्टों में सेवा क्षेत्र की भारत की आर्थिक और रोजगार संरचना में निर्णायक भूमिका को रेखांकित किया गया है, साथ ही इसमें असंगठित रोजगार, असमानता और सीमित औपचारिक नौकरी सृजन जैसी चुनौतियों को भी उजागर किया गया है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य:
नीति आयोग की स्थापना 2015 में योजना आयोग (Planning Commission) के स्थान पर की गई थी, ताकि सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism) और साक्ष्य–आधारित नीति निर्माण को प्रोत्साहन मिल सके।
भारत के रोजगार परिवर्तन का केंद्र: सेवा क्षेत्र
वित्त वर्ष 2023–24 में सेवा क्षेत्र में 18.8 करोड़ (188 मिलियन) श्रमिक कार्यरत थे, जिससे यह कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता बन गया।
हालाँकि 2024–25 में सेवा क्षेत्र ने सकल मूल्य वर्धन (GVA) में लगभग 55% योगदान दिया, यह अभी भी कुल रोजगार का केवल एक–तिहाई ही प्रदान करता है।
इनमें से अधिकांश नौकरियाँ असंगठित और कम वेतन वाली हैं।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य:
सेवा क्षेत्र में आईटी, वित्त, व्यापार, परिवहन, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे उप-क्षेत्र शामिल हैं, जो भारत की GDP वृद्धि में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
रोजगार परिदृश्य
2017 से 2023 के बीच सेवा क्षेत्र ने लगभग 4 करोड़ नई नौकरियाँ जोड़ीं, जिससे यह निर्माण क्षेत्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार जनक बन गया।
यह क्षेत्र आर्थिक परिवर्तन के दौरान श्रम झटकों को अवशोषित (Labour Shock Absorber) करने में मदद करता है, परंतु रोजगार वितरण में असमानता बनी हुई है।
उच्च मूल्य सेवाएँ जैसे आईटी, वित्त और स्वास्थ्य — उत्पादकता में अग्रणी हैं लेकिन सीमित रोजगार उत्पन्न करती हैं, जबकि व्यापार और परिवहन जैसे पारंपरिक क्षेत्र लाखों लोगों को रोजगार देते हैं लेकिन अत्यधिक असंगठित (Informal) हैं।
भारत का सेवा–प्रधान अर्थव्यवस्था की ओर संक्रमण (Service-led Transition) अभी भी चीन और इंडोनेशिया जैसे देशों की तुलना में धीमा है।
रोजगार प्रोफ़ाइल और असमानता
शहरी-ग्रामीण अंतर स्पष्ट है —
शहरी श्रमिकों में 60% सेवा क्षेत्र से जुड़े हैं, जबकि ग्रामीण श्रमिकों में यह हिस्सा 20% से कम है।
लैंगिक असमानता (Gender Disparity) भी गंभीर है —
ग्रामीण महिलाओं में केवल 10.5% सेवाक्षेत्र में कार्यरत हैं, जबकि शहरी महिलाओं में यह अनुपात 60% है।
वेतन अंतर सभी स्तरों पर बना हुआ है।
श्रमबल में प्राइम–एज (30–49 वर्ष) श्रमिकों का वर्चस्व है, जबकि युवाओं में अस्थिरता और अल्परोजगारी (Underemployment) अधिक है।
शिक्षा प्राप्ति से रोजगार अवसर बढ़ते हैं, फिर भी सेवाक्षेत्र के 87% श्रमिक सामाजिक सुरक्षा से वंचित हैं।
ग्रामीण महिलाएँ औसतन पुरुषों की तुलना में 50% से भी कम वेतन पाती हैं, जो गहरी आर्थिक और सामाजिक असमानता को दर्शाता है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान टिप:
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के अनुसार, भारत की महिला श्रम बल भागीदारी दर 2023–24 में 37% रही — जो पिछले वर्षों की तुलना में एक क्रमिक वृद्धि है।
परिवर्तन का रोडमैप
नीति आयोग की रिपोर्टों में समावेशी परिवर्तन के लिए एक विस्तृत रोडमैप प्रस्तुत किया गया है।
मुख्य प्राथमिकताएँ हैं —
- असंगठित, गिग (Gig) और MSME श्रमिकों के लिए औपचारिकता और सामाजिक सुरक्षा बढ़ाना,
- डिजिटल कौशल (Digital Skilling) का विस्तार, विशेष रूप से महिलाओं और ग्रामीण युवाओं के लिए,
- तकनीकी (Tech-based) और हरित नौकरियाँ (Green Jobs) को भविष्य की रोजगार रणनीति में प्रमुख स्थान देना।
साथ ही, टियर-2 और टियर-3 शहरों में सेवा हब (Service Hubs) विकसित करने की सिफारिश की गई है ताकि क्षेत्रीय संतुलन (Regional Balance) और राज्य–स्तरीय प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा मिले।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य:
नीति आयोग की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की गिग और प्लेटफ़ॉर्म अर्थव्यवस्था (Gig & Platform Economy) में 2030 तक 2.3 करोड़ (23 मिलियन) लोग कार्यरत होंगे।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| रिपोर्ट जारी करने वाला संगठन | नीति आयोग (NITI Aayog) |
| रिपोर्ट शीर्षक | Insights from GVA Trends and State-level Dynamics; Insights from Employment Trends and State-level Dynamics |
| जारी वर्ष | 2025 |
| सेवाक्षेत्र में कार्यरत श्रमिक (2023–24) | 188 मिलियन (18.8 करोड़) |
| GVA में सेवाक्षेत्र का हिस्सा (2024–25) | लगभग 55% |
| असंगठित श्रमिकों का अनुपात | 87% सामाजिक सुरक्षा से वंचित |
| ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी | 10.5% |
| शहरी महिलाओं की भागीदारी | 60% |
| नई नौकरियाँ (2017–2023) | लगभग 4 करोड़ |
| प्रमुख सिफारिशें | औपचारिकता, डिजिटल कौशल, क्षेत्रीय सेवा हब का विकास |





