सार्वजनिक क्षेत्र के परिदृश्य को नया स्वरूप
भारत सरकार केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (CPSEs) के वर्गीकरण ढाँचे में बड़ा सुधार लागू करने जा रही है।
नई योजना के तहत दो अतिरिक्त ‘रत्न’ श्रेणियाँ जोड़ी जाएँगी, जिससे प्रदर्शन, शासन और जवाबदेही में वृद्धि होगी।
यह पहल विजन 2047 के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य स्वतंत्रता की शताब्दी तक भारत को एक विकसित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करना है।
यह सुधार पुराने मूल्यांकन प्रणाली को हटाकर एक गतिशील और नवाचार–आधारित ढाँचे को लाएगा, जो स्थिरता और प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रोत्साहित करेगा।
सीपीएसई (CPSE) क्या हैं
केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (CPSEs) वे कंपनियाँ हैं जिनमें केंद्र सरकार की हिस्सेदारी कम से कम 51% होती है — चाहे वह प्रत्यक्ष रूप से हो या किसी अन्य CPSE के माध्यम से।
ये कंपनियाँ या तो कंपनी अधिनियम, 2013 (Companies Act, 2013) के तहत पंजीकृत होती हैं या संसद के अधिनियम (Parliamentary Act) द्वारा स्थापित की जाती हैं।
ये ऊर्जा, बुनियादी ढाँचा, रक्षा, और भारी उद्योग जैसे क्षेत्रों में भारत की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
मौजूदा CPSEs की सहायक कंपनियाँ (Subsidiaries) भी इस श्रेणी में आती हैं।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान तथ्य:
CPSE की अवधारणा स्वतंत्रता के शुरुआती वर्षों में पंचवर्षीय योजनाओं (Five-Year Plans) के दौरान भारत के औद्योगिक आधार को विकसित करने के लिए शुरू की गई थी।
वर्तमान रत्न संरचना
वर्तमान में CPSEs को वित्तीय क्षमता और स्वायत्तता के आधार पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
• महारत्न – 14 उपक्रम
• नवरत्न – 26 उपक्रम
• मिनीरत्न – 74 उपक्रम
इन श्रेणियों के आधार पर कंपनियों को संचालन और वित्तीय स्वायत्तता दी जाती है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान टिप:
ONGC, NTPC और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन जैसी महारत्न कंपनियाँ ₹5,000 करोड़ तक के निवेश के लिए सरकारी अनुमोदन के बिना निर्णय ले सकती हैं।
पुनर्वर्गीकरण की आवश्यकता क्यों
नई वर्गीकरण नीति का उद्देश्य एक अगली पीढ़ी के प्रदर्शन–आधारित CPSE इकोसिस्टम का निर्माण करना है, जो वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी हो।
मुख्य उद्देश्य हैं:
• CPSEs को भारत की दीर्घकालिक आर्थिक प्राथमिकताओं के अनुरूप बनाना।
• कॉर्पोरेट गवर्नेंस और पारदर्शिता को बढ़ावा देना।
• वैश्विक ESG मानकों (Environmental, Social, Governance) के अनुरूप सतत व्यापार मॉडल अपनाना।
• पूँजीगत व्यय (CapEx) और निवेश में दक्षता बढ़ाना।
• नेतृत्व उत्तराधिकार (Succession Planning) के माध्यम से नेतृत्व क्षमता विकसित करना।
यह सुधार प्रौद्योगिकी परिवर्तन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए सार्वजनिक उपक्रमों को तैयार करने की दिशा में एक ठोस कदम है।
नया मूल्यांकन ढाँचा
कैबिनेट सचिव टी. वी. सोमनाथन की अध्यक्षता में एक 10-सदस्यीय समिति इस पुनर्वर्गीकरण मॉडल की समीक्षा कर रही है।
इसकी रिपोर्ट केंद्रीय बजट 2026–27 से पहले प्रस्तुत किए जाने की संभावना है।
नई मूल्यांकन प्रणाली लाभ–आधारित मूल्यांकन से आगे बढ़ेगी और निम्नलिखित मानदंडों को शामिल करेगी:
• शासन की गुणवत्ता और प्रबंधन प्रथाएँ
• निवेश दक्षता और पूँजी उपयोगिता
• डिविडेंड भुगतान अनुपात
• स्थिरता पहलें (Sustainability Initiatives)
• विजन 2047 के उद्देश्यों के साथ संरेखण
यह पुनर्मूल्यांकन लघु अवधि के लाभ के बजाय दीर्घकालिक मूल्य सृजन (Long-term Value Creation) पर केंद्रित है।
रत्न श्रेणियों का महत्व
रत्न ढाँचा (Ratna Framework) का उद्देश्य CPSEs को अधिक स्वायत्तता (Greater Autonomy) प्रदान करना रहा है, जिससे उनकी निर्णय लेने की क्षमता में सुधार हुआ।
अब दो नई रत्न श्रेणियों को जोड़ने से मध्यम आकार के उपक्रमों को बड़े खिलाड़ी बनने का अवसर मिलेगा।
यह कदम ऊर्जा, अवसंरचना और डिजिटल प्रौद्योगिकी जैसे आर्थिक सुरक्षा के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सेक्टोरल चैम्पियंस को प्रोत्साहित करेगा।
Static Usthadian Current Affairs Table
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| CPSE की परिभाषा | कंपनियाँ जिनमें केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 51% या उससे अधिक है |
| वर्तमान वर्गीकरण | 14 महारत्न, 26 नवरत्न, 74 मिनीरत्न |
| नया प्रस्ताव | दो अतिरिक्त रत्न श्रेणियाँ |
| समिति प्रमुख | टी. वी. सोमनाथन, कैबिनेट सचिव |
| मुख्य मूल्यांकन कारक | शासन, उत्तराधिकार, निवेश दक्षता, स्थिरता |
| संबंधित मंत्रालय | सार्वजनिक उपक्रम विभाग (Department of Public Enterprises) |
| शासकीय कानून | कंपनी अधिनियम, 2013 |
| विजन संरेखण | विजन 2047 – विकसित भारत का लक्ष्य |
| रिपोर्ट समयसीमा | केंद्रीय बजट 2026–27 से पहले |
| मुख्य उद्देश्य | CPSEs का आधुनिकीकरण और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता |





