एआई हेरफेर से चुनावों की सुरक्षा
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने नई दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनके तहत सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को अपने प्रचार अभियानों में इस्तेमाल की गई किसी भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) या सिंथेटिक मीडिया सामग्री का खुलासा करना अनिवार्य कर दिया गया है।
यह निर्णय बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले लिया गया है, ताकि डिजिटल दुष्प्रचार और मतदाताओं की धारणा में एआई-आधारित हेरफेर को रोका जा सके।
आयोग ने स्पष्ट किया कि डीपफेक वीडियो और ऑडियो, जो वास्तविक प्रतीत होते हैं लेकिन तकनीकी रूप से निर्मित या बदले गए होते हैं, चुनाव की निष्पक्षता और विश्वसनीयता के लिए गंभीर खतरा हैं।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत का निर्वाचन आयोग अनुच्छेद 324 के तहत कार्य करता है, जो देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के संचालन की शक्ति प्रदान करता है।
सिंथेटिक मीडिया के लिए नए लेबलिंग नियम
नए नियमों के अनुसार, किसी भी एआई टूल से बनाई या संशोधित की गई राजनीतिक प्रचार सामग्री पर अनिवार्य रूप से लेबल लगाया जाना चाहिए, जैसे —
“AI-Generated,” “Digitally Enhanced,” या “Synthetic Content.”
यह लेबल —
- चित्र या दृश्य सामग्री के कम से कम 10% हिस्से पर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होना चाहिए।
- ऑडियो या वीडियो सामग्री के शुरुआती 10% समय में सुनाई या दिखाई देना चाहिए।
- वीडियो में यह लेबल स्क्रीन के ऊपरी भाग (Top Band) पर प्रमुखता से दिखना आवश्यक होगा।
स्थैतिक जीके टिप: सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 डिजिटल प्लेटफॉर्म और प्रकाशकों की दुष्प्रचार रोकने में जिम्मेदारी तय करते हैं।
रिकॉर्ड रखने और निगरानी के प्रोटोकॉल
राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को अपने अभियान में प्रयुक्त सभी एआई-जनित सामग्री का विस्तृत रिकॉर्ड रखना अनिवार्य किया गया है।
इसमें शामिल होंगे —
- निर्माता की जानकारी
- समय-चिह्न (Timestamps)
- मेटाडेटा विवरण — ताकि निर्वाचन आयोग सत्यापन कर सके।
यदि किसी आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर भ्रामक या हानिकारक एआई सामग्री पाई जाती है, तो उसे तीन घंटे के भीतर हटाना अनिवार्य होगा।
नियमों का उल्लंघन करने पर आईटी नियम 2021 के तहत कार्रवाई की जाएगी, जो झूठी या भ्रामक मीडिया सामग्री के प्रसार पर दंडात्मक प्रावधान करता है।
पारदर्शिता और जवाबदेही को सुदृढ़ करना
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि राजनीतिक संचार में एआई तकनीक का उपयोग पारदर्शिता और सच्चाई की कीमत पर नहीं होना चाहिए।
आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से डिजिटल जिम्मेदारी निभाने और मतदाताओं को सत्य एवं प्रमाणिक जानकारी प्रदान करने का आह्वान किया है।
यह निर्णय लोकतांत्रिक प्रणालियों में एआई के नैतिक प्रभावों की बढ़ती पहचान को दर्शाता है।
पारदर्शिता लेबलिंग और रिकॉर्ड रखने के अनिवार्य प्रावधानों के माध्यम से आयोग का उद्देश्य है —
एक तकनीकी रूप से सुरक्षित और विश्वसनीय चुनावी वातावरण बनाना, जहां नवाचार ईमानदारी और विश्वास के साथ जुड़ा रहे।
स्थैतिक जीके तथ्य: भारत में पहला आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) वर्ष 1960 के केरल विधानसभा चुनावों में लागू किया गया था।
आगे की राह
बिहार विधानसभा चुनाव 6 और 11 नवंबर 2025 को होंगे, जबकि मतगणना 14 नवंबर 2025 को की जाएगी।
इन नए एआई प्रकटीकरण नियमों को आने वाले सभी राज्य और राष्ट्रीय चुनावों के लिए एक मिसाल माना जा रहा है।
यह कदम दर्शाता है कि भारत तकनीकी प्रगति और चुनावी पारदर्शिता के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
स्थैतिक उस्तादियन करंट अफेयर्स तालिका
| विषय (Topic) | विवरण (Detail) |
| जारी करने वाला प्राधिकरण | भारत निर्वाचन आयोग (ECI) |
| कानूनी आधार | भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324 |
| मुख्य फोकस | राजनीतिक अभियानों में एआई-जनित सामग्री का खुलासा |
| उद्देश्य | दुष्प्रचार और डीपफेक हेरफेर को रोकना |
| लेबलिंग नियम | “AI-Generated” या “Synthetic Content” (10% दृश्य क्षेत्र को कवर करना आवश्यक) |
| रिकॉर्ड रखने की आवश्यकता | मेटाडेटा, निर्माता विवरण, टाइमस्टैम्प |
| हटाने का नियम | भ्रामक सामग्री तीन घंटे में हटानी होगी |
| संबंधित कानून | आईटी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 |
| आगामी चुनाव | बिहार विधानसभा चुनाव — 6 और 11 नवंबर 2025 |
| परिणाम तिथि | 14 नवंबर 2025 |





